क्या अखंड भारत संभव है या यह सिर्फ एक राजनीतिक एजेंडा है

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अखंड भारत, यानी की अनडिवाइडेड इंडिया, जिसे भारतीय राजनीति में बहुत बहस होता है। यह आइडिया थोड़ा एसा है कि अफ़ग़ानिस्तान से लेकर म्यांमार तक एक बड़ा सा टेरिटरी हो, जिसमें आज के समय में इंडिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, तिब्बत, और म्यांमार शामिल हो।

[3 idiots dialogue – kehna kya chahte ho?]

लेकिन जैसे ही हम इस अखंड भारत के हिस्ट्री को समझने की कोशिश करते हैं, पता चलता है कि यह कॉन्सेप्ट सिर्फ एक सपना है, हक़ीक़त से दू-दू तक इसका कोई वास्तविकता नहीं!

[Baat toh sahi hai meme]

अब हम हिस्टॉरिकल पर्स्पेक्टिव की बात करते हैं, तो अखंड भारत का कॉन्सेप्ट 1930s में विनायक दामोदर सावरकर ने पहली बार बोला था। उन्होंने सोचा था कि यह एक ऐसा भूगोलिक एंटिटी होगा जो पूरे इंडियन सबकंटिनेंट को शामिल करेगा और हिंदुओं के लिए पवित्र स्थल होगा। पर समय के साथ, यह कॉन्सेप्ट बदल गया, और आज कल के कुछ लीडर्स इसे एक कल्चरल एंटिटी मानते हैं।

अब देखो, अखंड भारत का विज़न पे कुछ लोग तो कहते हैं कि यह सिर्फ एक कल्चरल रिज़ियन है जिसमें इतिहासिक और सांस्कृतिक जुड़े हैं। लेकिन कुछ लोग इसे एक अलग देश की तरह देखना चाहते हैं, जिसके पास अपनी फ़ौज, संविधान और संसद हो। लेकिन इस आइडिया पे तो बहुत सारी चैलेंजेज़ हैं। पहले तो यह भारत के ऑफिशियल फ़ोरेन पॉलिसी के ख़िलाफ़ है।

[Consistituion to our leaders – tittle on video and Emotional damage meme]

हमारा कॉन्स्टिटूशन शांति से रहने की बात करता है और दूसरे देशों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ है।

आप खुद ही सोचो कि इंडिया और पाकिस्तान दोनों ही न्यूक्लियर-आर्म्ड देश हैं। अगर कोई भी फ़ोर्स से अखंड भारत स्थापित करने की कोशिश करेगा, तो यह ख़तरनाक जंग का कारण नहीं बन सकता है? इंडिया के फ़ोरेन पॉलिसी ने हमेशा से यह माना है कि किसी भी तरह की टेरिटरी की मांग नहीं करनी चाहिए, जैसे रूसिया और चीन करते हैं।

और अब देखो, इतिहासिक हक़ीक़त की तरफ़। आज तक कोई भी भूगोलिक एंटिटी ऐसा नहीं था जो पूरे इंडियन सबकंटिनेंट को गवर्न करता था। मौर्यन एम्पायर, जिसका अशोकन रूल के साथ कनेक्शन है, वो साउथर्न और नॉर्थ ईस्टर्न इंडिया के कुछ हिस्सों को शामिल नहीं करता था। गुप्ता डायनेस्टी भी अपनी लिमिटेशंस के साथ थी। इस इतिहासिक हक़ीक़त से तो यह पता चलता है कि अखंड भारत का सपना बिल्कुल भी हक़ीक़त नहीं है।

अखंड भारत का आइडिया एक राजनीतिक टूल के रूप में भी इस्तेमाल होता है, खासकर इलेक्शन्स के टाइम।

[Samjh rahe ho na- harsh beniwal meme]

यह एक ऐसा विषय है जो देशभक्ति की भावनाओं को टच करता है। लेकिन हमें ध्यान रखना है कि राजनीतिक भाषण और हक़ीक़त अलग है।

और देखो, अनरियलिस्टिक रियलिज़म का चार्म भी है इस कॉन्सेप्ट में। दुनिया भर के नेताओं ने ऐसे रोमांटिक नैरेटिव्स बनाए हैं जिनके पीछे कोई हक़ीक़त नहीं होती। अखंड भारत भी एक ऐसी ख्वाइशपूर्ण बिरयानी है, जिसे लोगों में एकता और राष्ट्रीय जज़्बा जगाता है। पर हक़ीक़त तो है कि इसे पाने की कोई प्रैक्टिकल पॉसिबिलिटी नहीं है।

अंत में, कहना चाहेंगे कि अखंड भारत एक दिलचस्प ख्वाब है, लेकिन प्रैक्टिकल नज़रिए से यह हक़ीक़त नहीं। भूगोलिक चैलेंजेज़, हिस्टोरिकल एविडेंस, और इंडिया के फ़ोरेन पॉलिसी स्टैंस के कारण यह गोल पॉसिबल नहीं। इसके बजाये, हमें फ़ोकस करना चाहिए अपनी संस्कृति और वैल्यूज़ को दुनिया में प्रमोट करने पे और दूसरे देशों की स्वतंत्रता का सम्मान करने पे। इसलिए, एक यूनाइटेड इंडिया की ख्वाहिश न हो बॉर्डर रीड्रा करने में, बल्कि समझ और कॉलेबोरेशन में हो!

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