मध्यप्रदेश की अतिप्राचीन नगरी उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर स्थित है, यह शिव मंदिर भारत के द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक है। इस मंदिर के दर्शन करने का विशेष महत्व है। इस महादेव मंदिर से तीन ऐसे गूढ़ रहस्य जुड़े हुए हैं, जिन्हें शायद हर कोई नहीं जानता है। तो आइए जानते हैं? महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े उन तीन रहस्यों के बारे में …
1- महाकाल की भस्म आरती
ऐसा कहा जाता है महाकालेश्वर मंदिर में भोर के समय होने वाली भस्म आरती में पहले शमसान से जलती चिता की राख लाकर महादेव की आरती की जाती थी, लेकिन अब कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास आदि को जलाकर भस्म तैयार की जाती है और कपड़े से छान कर उपयोग में लिया जाता है।
चूंकि काल से तात्पर्य मृत्यु और समय दोनों से है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में पूरी दुनिया का मानक समय यहीं से निर्धारित होता था इसलिए इसे महाकालेश्वर नाम दे दिया गया।
2- उज्जैन में रात को नहीं ठहरता कोई राजा या मंत्री
ऐसी मान्यता है कि भगवान महाकाल ही उज्जैन के महाराजा है, और उनके अलावा कोई और राजा यहां नहीं रह सकता है। ऐसा कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य के शासनकाल से ही महाकालेश्वर मंदिर के आस-पास या इस शहर में कोई भी राजा, मंत्री या शासक रात में नहीं ठहरता है, वरना उसको इसकी सजा जरूर भुगतनी पड़ती है।
बतौर उदाहरण देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई महाकालेश्ववर मंदिर के दर्शन करने के बाद रात में यहां रुके थे तो अगले ही दिन उनकी सरकार गिर गई थी। ठीक इसी क्रम में कर्नाटक के मुख्यमंत्री वी एस येदियुरप्पा भी जब उज्जैन में रुके थे तो उन्हें कुछ ही दिनों के अंदर इस्तीफा देना पड़ा था।
गौरतलब है कि ग्वालियर के राजा और भाजपा सांसद और कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आज तक इस शहर में रात को कभी नहीं रुके हैं।
3- अकाल मृत्यु के डर से मुक्तिमहाकालेश्वर की पूजा करने से आयु वृद्धि के साथ-साथ जीवन पर आए संकट का भी निवारण हो जाता है। स्कंद पुराण में उज्जैन के इस पवित्र क्षेत्र को महाकाल वन कहा गया है। अग्नि पुराण के मुताबिक यह सर्वोत्तम तीर्थ है, ऐसी मान्यता है कि महाकाल के दर्शन से भक्त की मुक्ति होती है और व्यक्ति की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन से इंसान के जीवन में समस्त कष्ट व सकंट जल्दी ही दूर होने लगते हैं।
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