वर्ल्ड बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल ने उत्तर प्रदेश के किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए 325.10 मिलियन डॉलर की परियोजना को मंजूरी दी है. इस परियोजना का उद्देश्य फसल उत्पादकता बढ़ाना, डिजिटल तकनीकों को अपनाना और जलवायु-अनुकूल कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना है.
एक आधिकारिक बयान के अनुसार इस परियोजना के तहत 15 मिलियन डॉलर का निजी निवेश भी शामिल होगा, जिससे बाजार संबंधों को मजबूत किया जाएगा. इस परियोजना का नाम “यूपी-एग्रीस योजना” (उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल एंटरप्राइज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोजेक्ट) रखा गया है.
किसानों को कैसे होगा फायदा?
कृषि वैल्यू चेन को मजबूत करने के साथ वित्तीय पहुंच में सुधार किया जाएगा.
ई-केसीसी (इलेक्ट्रॉनिक किसान क्रेडिट कार्ड) जैसे नए वित्तीय साधन शुरू किए जाएंगे, जो किफायती और पारदर्शी होंगे.
यह परियोजना पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड के दस लाख किसानों को सीधे लाभान्वित करेगी.
जलवायु-अनुकूल तकनीक पर जोर
भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे ने बताया कि यह परियोजना कम मीथेन उत्सर्जन वाले चावल की किस्में, चावल के अवशेषों से बायोगैस उत्पादन और उर्वरक के अनुकूलित उपयोग जैसी टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देगी. इससे कृषि के जलवायु प्रभाव को कम किया जा सकेगा. परियोजना के तहत सरकारी अधिकारियों और किसानों के लिए जलवायु अनुकूलन रणनीतियों पर प्रशिक्षण देने के लिए एक समर्पित केंद्र भी स्थापित किया जाएगा.
ऋण और अवधि
यह परियोजना इंटरनेशनल बैंक ऑफ रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से 325.10 मिलियन डॉलर के ऋण पर आधारित है, जिसकी 33.5 वर्ष की अंतिम परिपक्वता और 6 वर्ष की छूट अवधि होगी.परियोजना के टास्क टीम लीडर विनायक घटाटे, एंड्रयू गुडलैंड, और हर्ष झांजरिया ने कहा कि इस योजना के तहत महिला किसानों और उद्यमियों के साथ विशेष रूप से काम किया जाएगा. इसके तहत जलवायु-अनुकूल तकनीकों और फार्मगेट इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जाएगा. इस परियोजना के लिए फ्रांस, इजरायल और गेट्स फाउंडेशन समेत कई देशों और संस्थानों से संसाधन जुटाए जाएंगे.
परियोजना के संभावित लाभ
- उत्पादकता में सुधार
- रोजगार सृजन
- किसानों की आय में वृद्धि
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