युगांडा का जीका virus , पुणे में मचा रहा है अपना खौफ ।

HomeBlogयुगांडा का जीका virus , पुणे में मचा रहा है अपना खौफ...

Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

युगांडा का जीका virus , पुणे में मचा रहा है अपना खौफ ।-Zika Virus in Pune news

सबसे पहले तो आपको खबरों से अवगत कराते हुए चले, Zika  वायरस के अब तक  कुल 15 केसेस आ चुके हैं, जिसमें से आठ तो केवल, गर्भधारण महिलाएं के है । इस वायरस ने कर्नाटक में एक 74 वर्षीय बूढी महिला की जान तक ले ली है ।-Zika Virus in Pune news 

अब बात करते हैं आखिर जीका वायरस है क्या:–

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जीका वायरस एक मच्छर जनित वायरस है जिसे पहली बार 1947 में युगांडा में एक रीसस मकाक बंदर में पहचाना गया था। इसके बाद 1950 के दशक में अफ्रीका के अन्य देशों में इंसानों में संक्रमण और बीमारी के प्रमाण मिले। जीका वायरस संक्रमित एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है, मुख्यतः एडीज एजिप्टी मच्छर से, जो डेंगू और चिकनगुनिया भी फैलाता है। ये मच्छर सामान्यतः दिन के समय काटते हैं। इसके अलावा, जीका वायरस का यौन संचारण, माँ से भ्रूण को और रक्त और रक्त उत्पादों के संक्रमण के माध्यम से भी फैल सकता है।-Zika Virus in Pune news

अब जिका वायरस को समझने के बाद , बात आती है जिका वायरस के लक्षणों के बारे में समझना ,

WHO या वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार जिका वायरस , से अफेक्टेड किसी भी इंसान में तुरंत कोई भी सिम्टम्स डेवलप होते नहीं करीबन 13 से 14 दिन के आसपास उनके शरीर पर रैशेज  ,बुखार आना , आंखों का लाल होना, मांसपेशियों और जोड़ों मेंदर्द, और सर दर्द शामिल हो सकते हैं ।-Zika Virus in Pune news

सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन यानी की(CDSCO) नई यह साफ किया की , अभी इस मौजूदा वक्त में इस इस वाइरस को पूरी तरह से नष्ट करने का कोई ठोस इलाज है नहीं। एक रिपोर्ट के अनुसार यह पता चला है कि जितने भी रोगियो में यह पाया गया है उनके samples , जैसे कि National institute of Virology , मैं कंफर्मेशन के लिए भेजा गया है , और आपको बता दे की रिपोर्ट्स आने में काफी ज्यादा डिले का सामना लोगों को करना पड़ रहा है क्योंकि इस नए वायरस के लिए बस कुछ ही ऐसे लैब है जो इसकी सही पुष्टि कर सकते हैं । 

जिका वायरस का महिलाओं या आप यूं कहें कि प्रेग्नेंट महिलाओं पर कुछ ज्यादा ही गलत असर है , आपको बता दे की जीका वायरस इनफेक्शन प्रेगनेंसी के दौरान नवजात शिशु  , में ज़िका वायरस संक्रमण से माइक्रोसिफ़ेली और अन्य जन्मजात विकृतियाँ हो सकती हैं, और यह प्रीटर्म बर्थ (समय से पहले जन्म) और गर्भपात का कारण भी बन सकता है। माइक्रोसिफ़ेली एक ऐसी स्थिति है जिसमें शिशु का सिर उनकी उम्र के लिए सामान्य से छोटा होता है, और यह मस्तिष्क के सही तरीके से विकसित न होने के कारण हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ज़िका वायरस से संक्रमित गर्भवती महिलाओं से जन्म लेने वाले लगभग 5-15% शिशुओं में ज़िका से संबंधित जटिलताओं के प्रमाण मिलते हैं। 

ज़िका वायरस संक्रमण का संबंध गिलेन-बैरे सिंड्रोम, न्यूरोपैथी और माइलिटिस से भी है, जो वयस्कों और बच्चों में होता है। गिलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिकाओं (पेरिफेरल नर्व्स) पर हमला करती है।

अब सवाल यह उठता है, की ,क्या इसका कोई टीका है?

तो इस पर आपको बता दे की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अभी तक ज़िका वायरस संक्रमण की रोकथाम या इलाज के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। ज़िका वैक्सीन का विकास एक सक्रिय शोध क्षेत्र बना हुआ है। कुछ अध्ययनों ने आशाजनक परिणाम दिखाए हैं। उदाहरण के लिए, भारत में कई कंपनियां वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रही हैं। 2017 में प्रकाशित एक अध्ययन में, भारत बायोटेक के “मृत ज़िका वायरस वैक्सीन,” जो एक अफ्रीकी स्ट्रेन का उपयोग करता है, ने जानवरों के अध्ययन में मृत्यु और बीमारी के खिलाफ 100% प्रभावकारिता दिखाई। इस वर्ष की शुरुआत में, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड ने भी कहा कि वह एक वैक्सीन विकसित करने पर काम कर रही है।

इस जिका वायरस से बचने के लिए पुणे नगर निगम ने सुरक्षा बढ़ा दी है, और कर्नाटक में एक कैसे मिलने के बाद कर्नाटक स्वास्थ्य विभाग ने लोगों के लिए वायरस पर जागरूकता और प्रचार फैलाना शुरू कर दिया है और दोनों राज्य ने जनता से ही अपील की है कि अपने-अपने घरों में मच्छरों को प्रजनन होने का स्थान न दें ।

यही नहीं इन सबके बीच केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य को सतर्क रहने के लिए सलाह दी है और गर्भवती महिलाओं का स्क्रीनिंग करने और मच्छरों की निगरानी में मजबूती और वेक्टर नियंत्रण गतिविधियों को मौजूद करने के लिए प्रशासन को सख्त किया है ।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने राज्यों से यह  कहा है कि न केवल ज़िका के लिए परीक्षण बढ़ाएं, बल्कि चिकनगुनिया और डेंगू जैसे लक्षणों वाले रोगियों के लिए भी ज़िका के लिए परीक्षण के लिए केंद्र भेजा जाए। 

इन सब बुरी घटनाओं के बीच हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक के ‘मृत ज़िका वायरस वैक्सीन’ ने, जो एक अफ्रीकी स्ट्रेन का उपयोग करता है, पशु अध्ययन में मृत्यु और बीमारी के खिलाफ 100% प्रभावकारिता दिखाई है, एक अध्ययन ने यह बताया है। ‘मृत वायरस वैक्सीन’ या ‘अक्रिय वैक्सीन’ में वह वायरस होता है जिसे कल्चर में बढ़ाया गया और फिर भौतिक या रासायनिक प्रक्रियाओं का उपयोग करके मारा गया।

अध्ययन के परिणाम नेचर ग्रुप जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए हैं। वैक्सीन की दो खुराकें (5 और 10 माइक्रोग्राम) चूहों को 0 और 21 दिन पर इंट्रामस्क्युलर तरीके से दी गईं और दूसरी वैक्सीन के सात दिन बाद जानवरों को ज़िका वायरस से बचाया गया।

देश के बड़े हिस्सों में मानसून जारी है, जो मच्छरों के लिए आदर्श प्रजनन स्थल बनाता है, और डेंगू के मामले भी बढ़ रहे हैं, इसलिए राज्य प्रशासन और लोगों को बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए मच्छर नियंत्रण उपायों में सक्रिय होने की आवश्यकता है।

आज के लिए बस इतना ही, Airr न्यूज़ के साथ जुड़ने के लिए आप सबका धन्यवाद!!

कृपया नियमित अपडेट के लिए लाइक, शेयर या फॉलो करना न भूलें

कृपया हमें यह बताने के लिए एक टिप्पणी छोड़ें कि आपको यह जानकारी कैसी लगी

इसके अलावा कृपया अपने मित्र या रिश्तेदार को टैग करें जिनके बारे में आपको लगता है कि वे इस पोस्ट से संबंधित हो सकते हैं

इस तरह के और अपडेट के लिए कृपया अपने Airr News चैनल को सब्सक्राइब करें और जब भी नया वीडियो अपलोड हो तो तत्काल सूचना के लिए घंटी आइकन पर क्लिक करना न भूलें।

Hashtags :-#ZikaVirus #ZikaOutbreak #PuneHealth #KarnatakaHealth #MosquitoBorneDiseases #PublicHealth #ViralInfection #DiseasePrevention #PregnancyCare #HealthAwareness #MosquitoControl #ZikaVaccine #BharatBiotech #ICMR #HealthAdvisory #MonsoonHealth #PublicSafety #DiseaseSurveillance #VaccineResearch #HealthMinistry#airrnews

RATE NOW
wpChatIcon