केशव प्रसाद मौर्य ने योगी को सराहा, क्या दोनों नेताओं के बीच हो गई सुलह, जानें- केशव के इस कदम से किसका होगा नुकसान?

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Yogi Vs Keshav Maurya

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की है. केशव प्रसाद मौर्य ने योगी को देश का सबसे अच्छा मुख्यमंत्री बताया है. केशव प्रसाद मौर्य ने यह बयान मिर्जापुर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए दिया है. -Yogi Vs Keshav Maurya

बता दें, अभी कुछ दिन पहले तक केशव प्रसाद मौर्य कई बार दिल्ली दरबार में मत्था टेकते हुए नजर आ रहे थे और लखनऊ पहुंचकर योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बयानबाजी रहे थे. जिससे इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि सत्ताधारी पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कौ चैलेंज करते हुए नजर आ रहे थे. -Yogi Vs Keshav Maurya

दरअसल, लोकसभा चुनावों में भाजपा की सीटें कम होने के बाद केशव प्रसाद मौर्य ने योगी पर सीधा प्रहार किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि संगठन से बड़ा कोई नहीं हो सकता है. इसलिए किसी को इस बात का वहम नहीं होना चाहिए कि जो कुछ हो रहा है हमारी वजह से हो रहा है. -Yogi Vs Keshav Maurya

केशव प्रसाद मौर्य का रुख अचानक क्यों बदल गया? क्या दोनों नेताओं के बीच मतभेद से पार्टी को नुकसान होने की बात उनके समझ में आ गई या दिल्ली दरबार पहुंचकर मत्था टेकने पर केशव को कुछ इशारा किया गया?

केशव प्रसाद मौर्य दिल्ली दरबार के काफी करीबी माने जाते हैं, क्योंकि पहली बार 2024 में जब केंद्र में भाजपा की सरकार बनी थी, तो केशव प्रसाद मौर्य की बड़ी भूमिका थी. लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में भाजपा को ऐतिहासिक जीत मिली थी. उस समय केशव प्रसाद मौर्य स्वयं फूलपुर लोकसभा सीट से चुनकर दिल्ली की संसद में पहली बार पहुंचे थे. -Yogi Vs Keshav Maurya

केशव प्रसाद मौर्य को अप्रैल 2026 में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने कड़ी मेहनत करके पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत से जीत दिलाने में कामयाब रहे थे. भाजपा में पिछड़े वर्ग के सबसे बड़े नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाए थे. उस समय यह माना जा रहा था कि केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. लेकिन, नतीजे घोषित होने के बाद योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया गया और केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी चीफ मिनिस्टर बनाकर उनका कद छोटा कर दिया गया. तभी से केशव प्रसाद मौर्य के मन में यह टीस बनी हुई है और अभी तक केशव प्रसाद मौर्य योगी को निशाने पर ले रहे थे. 

अबकी बार लोकसभा चुनावों में भाजपा जहां 400 पार का नारा लगा रही थी, तो उसकी सीटें काफी कम हो गईं. भले ही भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हो गई लेकिन पार्टी की उम्मीदों के मुताबिक सीटें नहीं आ पाईं. यहां तक कि वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीत का अंतर काफी कम हो गया, जिनके बारे में कहा जा रहा था कि अबकी बार पीएम 10 लाख वोट के अंतर से चुनाव जीतेंगे. 

भाजपा की सीटें कम करने में उत्तर प्रदेश ने काफी अहम भूमिका निभाई. उत्तर प्रदेश में सीटें घटने पर पार्टी के अंदर मंथन का दौर शुरू हुआ. पार्टी के सीनियर लीडर्स इस नतीजे पर पहुंचे कि कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की गई. उनकी बातें नहीं सुनी गईं, जिससे वो नाराज होकर अपने घरों से वोटर्स को बूथ तक पहुंचाने का काम नहीं किया. साथ ही योगी सरकार के कई कामों में सवाल उठाए गए, जिसमें बुलडोजर को भी मुद्दा बनाया गया. साथ ही, भाजपा से ठाकुरों की नाराजगी भी एक बड़ा कारण बनी. 

इसको लेकर केशव प्रसाद मौर्य योगी आदित्यनाथ को निशाने पर लेने लगे. शायद उनकी दबी हुई इच्छाएं फिर से हिलोरें मारने लगीं. झट से दिल्ली दरबार का रुख करते नजर आए. दिल्ली दरबार में जितनी बार मत्था टेककर आते उतने ही नए तेवर के साथ योगी को निशाने पर ले रहे थे. लेकिन सूत्रों की मानें तो इसमें आरएसएस ने दखल दिया और पार्टी के नेताओं को समझाया कि योगी को हटाने का मतलब अगली बार के चुनावों में हमारे हाथ से उत्तर प्रदेश निकल सकता है. 

वहीं, राज्य में कई सीटों पर उपचुनाव कराए जानें हैं जिसमें भाजपा सीटें गंवा सकती है. विपक्ष को यह मौका मिल जाएगा कि सरकार ठीक से काम नहीं कर पा रही थी, सरकारी योजनाओं को लेकर पहले से ही हमालवर है. इसके साथ आरक्षण और संविधान का मुद्दा काफी गरमाया हुआ है, जिसका विपक्ष को बड़ा लाभ हो जाएगा. 

तमाम कोशिशों के बाद, इस बात पर विराम लग गया कि योगी आदित्यनाथ को फिलहाल नहीं हटाया जाएगा. फिर भी केशव प्रसाद मौर्य दिल्ली दरबार के खास बने रहे. उन्हें विधानसभा उपचुनावों में दो सीटों की जिम्मेदारी दी गई. इन सीटों पर जीत दिलाने का जिम्मा केशव प्रसाद मौर्य को मिला है. इसी तरह के योगी आदित्यनाथ के पास भी दो सीटों की जिम्मेदारी है, जिसमें एक सीट अयोध्या की है और दूसरी सीट उससे सटे हुए जिले की है. इसमें से एक सीट सुरक्षित है और दूसरी पर पिछड़े वर्ग से आने वाले लालजी वर्मा के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है. मिल्कीपुर सीट अवधेश प्रसाद के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है. 

अब दिल्ली दरबार के इशारे पर उपचुनावों में जीत दिलाने की जिम्मेदारी मिलने के बाद केशव प्रसाद मौर्य फिर से एक बार जोश में आ गए हैं. कई मौकों पर उन्होंने पिछड़ों और दलितों को साधने का काम किया है. राज्य में 69,000 शिक्षकों के भर्ती के मामले में हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और इस फैसले को पिछड़ों और दलितों के हक में बताया है. 

बता दें, केशव प्रसाद मौर्य राज्य में डिप्टी सीएम भले हैं, लेकिन वो अपना चुनाव खुद हार चुके हैं. केशव मौर्य का गृह जिला कौशांबी है, जहां से समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार पल्लवी पटेल से चुनाव हार चुके हैं. इसके बावजूद, उन्हें विधान परिषद भेजकर राज्य में डिप्टी सीएम बनाया गया है.   

हालांकि, केशव प्रसाद की मजबूती से समाजवादी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव फिलहाल पीडीए के फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं, लेकिन केशव प्रसाद मौर्य के मजबूत होने पर सपा से पिछड़े वर्ग का वोट खिसक सकता है जिससे सपा को नुकसान हो सकता है. 

गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्य के योगी के खिलाफ दिए जा रहे बयानों से पार्टी कमजोर हो रही थी. अब उनके पक्ष में बयान से पार्टी को मजबूती मिल सकती है. इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश आ सकता है. जिससे वे अधिक लगन के साथ पार्टी के काम में लग सकते हैं, जिसका असर विधानसभा उपचुनावों के नतीजों में ही दिख सकता है.
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