मुख्तार अंसारी पूर्वांचल का वह नाम था…जिसका नाम लेने से बड़े-बड़े नेता और माफिया कांप जाते थे…90 के दशक से लेकर साल 2017 तक उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी…चाहे वह मायावती की सरकार रही हो या मुलायम की मुख्तार पर कोई फर्क नहीं पड़ा…ये वो दौर था जब मुख्तार अंसारी के अलावा यूपी-बिहार में दो और भी डॉन थे जिनकी तूती बोलती थी…जो खौफ का दूसरा नाम हुआ करते थे…ये दोनो बाहुबली खौफ की तिकड़ी को पूरा करते थे…यूपी में अतीक अहमद और बिहार में शहाबुद्दीन…-Yogi and Mukhtar Ansari war news
जिस नाम की एक समय में तूती बोलती थी, आज उस नाम के साथ अपना नाम जोड़ने में लोग कतरा रहे हैं….उत्तर प्रदेश में Yogi Adityanath की सरकार बनते ही मुख्तार गैंग पर ऐसी कार्रवाई हुई कि कोई सोच भी नहीं सकता था….जिस मुख्तार का नाम लेने पर ठेके खुल जाते थे, जिसका नाम लेकर अवैध वसूली की जाती थी आज सब बंद हो गया…90 के दशक से शुरू हुआ मुख्तार रसूख 2017 तक ध्वस्त हो गया…-Yogi and Mukhtar Ansari war news
मुख्तार गैंग के सभी गुर्गों को जेल भेज दिया गया या फिर पुलिस मुठभेड़ में मारे गए. मुख्तार अंसारी की अब तक करीब 500 करोड़ की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है…बीते 28 मार्च को मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई…यूपी में मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद ने…तो बिहार में शाहबुद्दीन ने एक जैसे अपराध के साम्राज्य को स्थापित किया…लेकिन वक्त के आगोश में बेमौत मारे गए…तीनों का अंजाम एक जैसा रहा…
यूपी के माफिया मुख्तार अंसारी और बिहार के बाहुबली शहाबुद्दीन के बीच खूनी गठबंधन कितना मजबूत था…इसकी बानगी मुख्तार अंसारी के जनाजे में भी देखने को मिली…दरअसल मुख्तार अंसारी के जनाजे में शहाबुद्दीन का बेटा ओसामा भी गाजीपुर आया था…ऐसा कहा जाता है कि बिहार के माफिया शहाबुद्दीन से मुख्तार के करीबी संबंध थे…यही कारण है कि शहाबुद्दीन के इस दुनिया में ना होने पर उनका बेटा पिता के दोस्त के जनाजे में शामिल होने के लिए पहुंचा था…बता दें शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा भी जेल में बंद था…हालाकि आजकल वो जमानत पर बाहर है…
यूपी और बिहार में गुनाहों की दुनिया बनाने, बसाने और कई हत्याओं के जरिए इसे आबाद रखने वाली इस तिकड़ी का अंजाम कमोबेश एक जैसा ही हुआ…तीनों माफिया सरगनाओं की मौत विवादास्पद हालातों में अस्पताल परिसरों में ही हुई…कत्ल और खूनखराबे का खेल खेलने वाले मुख्तार अंसारी को जेल में हार्ट अटैक आया…और अस्पताल आते ही दम तोड़ दिया…शहाबुद्दीन ने 2021 में दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में कोरोना संक्रमण से दम तोड़ा….तो वहीं अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को इस तरह मौत के घाट उतार दिया गया जैसा वे किया करते थे…एक तरह से यह उत्तर प्रदेश और बिहार में ‘बाहुबलियों’ के एक युग का अंत है…
मुख्तार अंसारी, अतीक और शहाबुद्दीन तीनों के अपराध एक जैसे रहे हैं…दर्जनों लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले इन तीनों ने उत्तर प्रदेश से बिहार तक गुनाहों की सीढ़ियां चढ़कर राजनीति में अपना एक युग कायम किया था…पूरा राज्य उन्हें माफिया के रूप में जानता था, जो जमीन पर कब्जा करते थे, भाड़े पर हत्याएं करते थे, अपहरण और जबरन वसूली ही उनके अस्तित्व का आधार था…
Yogi Adityanath के सीएम बनने के बाद ही इनके ताबूत में अंतिम कील ठुक गई थी…
क्या सियासी सपोर्ट से ही माफिया साम्राज्य फल-फूल रहा था?
योगीराज ने कैसे खत्म किया माफिया साम्राज्य?