दुनिया को वर्ल्ड वॉर की तरफ ले रहा Middle East-world war – Middle East
इजरायल और ईरान हमले के बाद बदली आबोहवा
गाजी पट्टी में जारी है जंग
आखिर क्यों अशांत है Middle East
इजरायल से ज्यादातर मुस्लिम देश नफरत करते हैं
इजरायल पर ईरानी हमले के बाद से Middle East में तनाव बढ़ रहा है. इजरायल ने दो टूक कह दिया कि वो जवाब देगा. फिलहाल गाजा पट्टी में भी जंग जारी है. ज्यादातर मुस्लिम देश इजरायल को खत्म करने की बात करते हैं, लेकिन उनके आपसी रिश्ते भी उठापटक वाले रहते आए. वे एक-दूसरे को नापसंद करते और नुकसान पहुंचाने की फिराक में रहते हैं.. पहली बार ईरान ने इजरायल पर सीधा हमला किया. इससे पहले दोनों आपस में शैडो वॉर करते रहे थे, मतलब छिपकर या आड़ में दूसरे को परेशान करना. अब लड़ाई चूंकि आमने-सामने की होती दिख रही है तो डर भी ज्यादा है. एक्सपर्ट्स ये अंदेशा भी जता रहे हैं कि दो देशों की जंग कहीं पूरी दुनिया को चपेट में न ले ले. अरब कंट्रीज को मिलाकर Middle East लगातार इजरायल को परेशानी की वजह बताता रहा, लेकिन इन हिस्से में आपसी खटास भी काफी ज्यादा है. -world war – Middle East
कह सकते हैं कि पूरा Middle East लगातार जंग में ही उलझा रहता है.. अब आपको बताते हैं किMiddle East में कौन-कौन से देश में हैं.. Middle East में कुल 18 देश हैं, जिनमें बहरीन, साइप्रस, मिस्र, ईरान, इराक, इजरायल, जोर्डन, कुवैत, लेबनान, उत्तरी साइप्रस, ओमान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सीरिया, तुर्की, यूएई, और यमन हैं. इनमें से 13 देश अरब वर्ल्ड का हिस्सा हैं. -world war – Middle East
इन्हें मिलाकर ग्रेटर Middle East भी कहा जाता है. ये इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्म को मानने वाले हैं… सवाल ये है कि आखिर अशांति कैसे बढ़ी…दरअसल यहूदी देश इजरायल से लगभग सारे ही देश नफरत करते और उसे जाहिर भी करते रहे. अपने बनने के बाद से ही इजरायल ने 4 बड़े युद्ध अरब पड़ोसियों से लड़े. लेकिन फिलीस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानि के बनने के बाद से उसकी मुश्किल और बढ़ गई. वहां हमास फलने-फूलने लगा जो इजरायल को रोजमर्रा में नुकसान पहुंचाने लगा.
बात यहीं तक रुक जाती तो भी खैर थी. हालत ये हुई कि ईरान इजरायल से नफरत करता है. इराक और सीरिया लड़ते रहते हैं. सीरिया को तुर्की नापसंद है और कुवैत-इराक की आपस में कम बनती है. यूएई के अलावा लगभग सारे ही देश आपस में परेशान होते-हवाते रहते हैं… अब बात करते हैं इजरायल और हमास की..दरअसल अस्सी के दशक में लेबनान को हराने के बाद PLO वहां से तो हट गया, लेकिन गाजा और वेस्ट बैंक में फैल गया. इसके बाद से दोनों के बीच टकराव बढ़ता ही गया. हमास फिलहाल गाजा पट्टी पर शासन कर रहा है और वहीं से अपने आतंकी ऑपरेशन चलाता है. पिछले साल अक्टूबर में उसने सैकड़ों इजरायलियों को मारकर ढाई सौ के करीब लोगों को अगवा भी कर लिया. इसके बाद से इजरायल और हमास में खुली जंग जारी है. इनकी लड़ाई में गाजा लगभग तबाह हो चुका…. आपको बता दें कि ईरान और इजरायल में छत्तीस का आंकड़ा है…
ये दोनों देश दोस्त से दुश्मन में बदल गए. अब हालात ऐसे हैं कि दोनों में डिप्लोमेटिक रिश्ते तक नहीं. ईरानी धर्मगुरु इजरायल को शैतान कहते और खत्म करने की शपथ ले-लिवाते हैं. ईरान ने केवल इजरायल को खत्म करने के लिए एक मिलिशिया तैयार करवाया, जिसका नाम है हिजबुल्लाह. इसके अलावा सीरिया, इराक और यमन में भी इस देश ने कई आतंकी गुट खड़े किए, जिनका काम ही इजरायल को अस्थिर बनाना है. हालांकि इसका असर पूरी दुनिया पर होता है. मसलन, कुछ समय यमन के हूती विद्रोहियों ने लाल सागर के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया और व्यापारिक जहाजों पर हमला करने लगे थे. इसका असर अमेरिका से लेकर भारत पर दिखा.. आपको अब अरब और इजरायल की केमिस्ट्री भी दिखाते हैं..
दशकों तक अरब देश इस बात की कसमें खाते रहे कि वो इजरायल से कोई संबंध नहीं रखेंगे, जब तक कि वो फिलीस्तीन को अलग देश न बना दे. ये कसम तब टूटी, जब साल 1978 में इजिप्ट ने उसके साथ रिश्ता रखना शुरू कर दिया. साल 2021 में अब्राहम अकॉर्ड्स पर दस्तखत करके कई और देशों ने इजरायल से सुलह का रुख लिया, लेकिन हमास और इजरायल की ताजा लड़ाई ने सबको फिर भड़का दिया.. ईरान का Middle East में तैनात अमेरिकी सेनाओं पर प्रॉक्सी अटैक भी दुनिया को अशांत करता रहा. असल में इस्लामिक स्टेट के खात्मे के बाद भी अमेरिका ने सीरिया और इराक में अपनी सेना रख छोड़ी थी ताकि आतंकी दोबारा सक्रिय न हो जाएं. वो वहां लोकल आर्मी को भी ट्रेनिंग दे रहा था, लेकिन ये बात ईरान को पसंद नहीं आई.
अमेरिका से खासी नफरत करता है. इसी वजह से ईरान लगातार इराक, सीरिया और यहां तक कि जॉर्डन में तैनात यूएस बेस पर हमले करवाता रहा. ये हमले वो डायरेक्ट तो कर नहीं सकता था, लिहाजा इसके लिए उसने आतंकी गुट तैयार किए. लोकल गुट यूएस आर्मी को परेशान करने के बाद खाली समय में अपने ही देशों को अस्थिर करने लगे...मिलिशिया क्या करता है, इसका अंदाजा इस बात से लगाइए कि हमास और इजरायल की लड़ाई छिड़ने के बाद से सीरिया और इराक में तैनात यूएस आर्मी पर 160 से ज्यादा हमले हो चुके.. इस्लामिक क्रांति के बाद से वॉशिंगटन और तेहरान के बीच टेंशन लगातार बनी हुई है. अमेरिका मानता है कि दुनिया को आधुनिक बनना चाहिए, जबकि ईरान की सोच है कि देशों में इस्लामिक कानून रहे.
उसे रोकने के लिए अमेरिका कई बैन लगा चुका जिसमें ज्यादातर इकनॉमिक बैन हैं. दोनों देशों के बीच चलते चूहे-बिल्ली के खेल ने पूरे Middle East को धधका रखा है… जैसा की आप जानते ही हैं कि सऊदी अरब और यूएई के बीच हमेशा से ही टेंशन का माहौल रहा है…ये दोनों गल्फ के सबसे मजबूत देशों में से हैं. ऐसे में उनके टकराव हमेशा बना रहता है. हाल में हूती विद्रोहियों के मामले में भी उनका तनाव जाहिर हो गया, जब यूएई ने हूतियों पर कार्रवाई की बात की, जबकि सऊदी चुप्पी साधे रहे. हालांकि ऐसा नहीं है कि ईरान से भी उसके बढ़िया संबंध हैं.
लोकल विद्रोही समूहों की बात करें तो इन सारे ही देशों में आतंकी गुटों की मशरूमिंग हो चुकी. वे तैयार तो पड़ोसी देश को तंग करने के लिए किए जाते हैं, लेकिन बाद में वे हर जगह, यहां तक कि अपने ही देश के मामलों में दखल देने लगते हैं. चूंकि ये हथियारबंद होते हैं तो मामूली बात को भी हिंसक रूप दे देते हैं. फिलहाल हमास, हूती, हिजबुल्लाह, कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी, इस्लामिक स्टेट, अल कायदा समेत कई छोटे-बड़े मिलिशिया हैं, जो आतंक मचाए हुए हैं