राजनीतिक अखाड़े में महिला सशक्तिकरण: एक अधूरी कहानी, 2024 में भी Women Empowerment की चुनौती – राजनीतिक दलों का आत्ममंथन। -Women Empowerment in Political Arena
आज हम बात करेंगे उस विषय पर जो आधुनिक भारत के लिए एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है – महिला सशक्तिकरण। -Women Empowerment in Political Arena
2024 हो गया है, लेकिन क्या हमारी राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी एक सपना ही है? क्या राजनीतिक दल इस दिशा में अपने कदम बढ़ा रहे हैं या यह सिर्फ एक दिखावा है? आइए जानते हैं इसे विस्तार से। नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़।
हाल ही में, AICC प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने केरल के लिए कांग्रेस पार्टी की लोकसभा उम्मीदवारों की सूची में केवल एक महिला उम्मीदवार को शामिल करने पर अपनी निराशा व्यक्त की। उनकी टिप्पणी तब आई जब पद्मजा वेणुगोपाल उचित व्यवहार न मिलने पर भाजपा में शामिल हो गईं। पद्मजा, दिवंगत मुख्यमंत्री के. करुणाकरण की बेटी हैं।
शमा मोहम्मद ने कहा, “महिलाओं को प्रतिनिधित्व देना चाहिए। पिछली बार केरल से दो महिला उम्मीदवार थीं। लेकिन महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद इस बार केवल एक है। यह मेरी सबसे बड़ी निराशा है।”
केरल में, जिसे एक “प्रगतिशील राज्य” माना जाता है, CPI (M) ने पार्टी द्वारा लड़ी जा रही 15 सीटों में केवल दो महिलाओं को उतारा है। CPI ने अपनी पांच सीटों में से एक महिला उम्मीदवार को उतारा है। भाजपा ने 12 सीटों में से दो महिलाओं को उतारा है।
वही अन्य राज्यों की बात करे तो तमिलनाडु में, DMK ने 21 सीटों में से केवल तीन महिला उम्मीदवारों को उतारा है, जबकि AIADMK ने 32 सीटों में से केवल एक उम्मीदवार को उतारा है। यह संख्या निश्चित रूप से निराशाजनक है, खासकर जब इन दलों ने महिला सशक्तिकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
थमिऴच्ची थंगापांडियन, जो दक्षिण चेन्नई से फिर से उम्मीदवार हैं, ने अपनी पार्टी का बचाव करते हुए कहा कि DMK द्वारा महिलाओं को दी जाने वाली महत्वता को केवल इस चुनाव में उतारी गई महिला उम्मीदवारों की संख्या से नहीं आंका जा सकता। नेतृत्व को सहयोगी दलों से जुड़े विभिन्न दबावों को ध्यान में रखना पड़ता है।
वैसे इस तरह की उपेक्षा से राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धता पर सवाल उठते हैं और यह भी संकेत मिलता है कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है।
ऐसे में भारतीय राजनीति में महिला सशक्तिकरण एक जटिल और बहुआयामी चुनौती है। यह न केवल राजनीतिक दलों के लिए बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए एक परीक्षा है। इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि महिलाओं को उनका उचित स्थान मिल सके।
हमारी अगली वीडियो में, हम इस विषय पर और गहराई से चर्चा करेंगे कि कैसे राजनीतिक दल महिला सशक्तिकरण के लिए अपनी नीतियों और रणनीतियों में बदलाव ला सकते हैं। नमस्कार, आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।
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