लोकसभा चुनाव से पहले इंदौर में कांग्रेस की दावेदारी खत्म, कांग्रेस प्रत्याशी बीजेपी में शामिल

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why Congress candidate joins BJP ?

इंदौर कांग्रेस प्रत्याशी ने छोड़ा मैदान-why Congress candidate joins BJP ?

अक्षय कांति बम ने नामांकन वापस लिया

आखिर क्यों अक्षय ने कांग्रेस का दामन छोड़ा ?

बीजेपी की प्रेशर पॉलिटिक्स का बड़ा रोल

कांग्रेस प्रत्याशी के मैदान छोड़ने के कई कारण

17 साल पुराने केस में जानलेवा हमले की धारा बढ़ी

चुनावी खर्च पर भी बिगड़ी बात
इंदौर के कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने ऐन वक्त पर मैदान छोड़ दिया। तुरंत भाजपा भी जॉइन कर ली है। इसके पीछे की कहानी दिलचस्प है। वे भाजपा ही नहीं, बल्कि लोकल कांग्रेस की तरफ से भी प्रेशर का शिकार हो रहे थे। इसी कारण उन्होंने नामांकन वापस ले लिया। यही नहीं, अक्षय के खिलाफ पूर्व विधायक संजय शुक्ला की ही तरह BJP नेता प्रेशर गेम खेल रहे थे… आखिर अक्षय के बीजेपी में जाने के क्या कुछ कारण थे आपको बताएंगे.. नमस्कार.. आप देखना शुरू कर चुके हैं AIRR NEWS…. -why Congress candidate joins BJP ?

एक सबसे बड़ा कारण बना बीजेपी की प्रेशर पॉलिटिक्स.. दरअसल अक्षय कांति बम और उनके परिवार के कई प्राइवेट कॉलेज हैं, लेकिन उनका ज्यादा इन्वॉल्वमेंट जमीन से धंधे में है। 78 करोड़ की प्रॉपर्टी में 80% शेयर जमीनों का है.. इंदौर, खरगोन, उज्जैन के छह अलग-अलग इलाकों में 25 एकड़ से ज्यादा के खेत-खलिहान, कई प्लॉट और कॉमर्शियल बिल्डिंग हैं.. पार्टनरशिप में उन्होंने सबसे ज्यादा जमीन 2017 से 2022 के बीच खरीदी.. अक्षय के खिलाफ दर्ज 3 में से दो मुकदमे सीधे तौर पर जमीन पर कब्जे के विवाद के हैं... -why Congress candidate joins BJP ?

चुनाव में उतरते ही उनका 17 साल पुराना जमीन विवाद का केस फिर सुर्खियों में आ गया। अचानक अदालत में पक्षकार की ओर से आवेदन लगा दिए गए जिसके बाद सुनवाई हुई तो आरोप सही पाए गए। तुरंत धारा 307 यानी प्राण घातक हमले की गंभीर धारा बढ़ गई।

इसमें 10 साल तक की सजा भी हो सकती है.. जब विधानसभा चुनाव के लिए इंदौर-4 से अक्षय की दावेदारी सामने आई तभी भाजपा के कुछ नेता हरकत में आ गए। पुराने केस का स्टेटस निकलवाया तो पता चला कि गंभीर धारा बढ़ने ही नहीं दी जा रही है। लेकिन, ऐन वक्त पर अक्षय को टिकट नहीं मिला तो मामला दब गया.. जब लोकसभा चुनाव आया तो मामला फिर उछला।

इस बार वकील की ओर से सामान्य प्रक्रिया करने के बजाय, सीधे अदालत के सामने प्राण घातक हमले की धाराएं नहीं बढ़ाए जाने का मुद्दा रख दिया। जब प्रकरण देखा गया तो तुरंत आदेश कर दिए गए। इसके बाद परिवार सहित प्रेशर में आ गए । कुछ मामलों में शिकायत पेंडिंग थीं, उनके भी खुलने का डर था.. दूसरा, उनके खिलाफ एक कॉलेज में फैकल्टी को लेकर भी खबर आई थी।

इसकी भी जांच की तैयारी शुरू करा दी गई थी। यह भी हवा चलने लगी कि महिला से जुड़े आचरण संबंधी किसी मामले को भी अक्षय के खिलाफ लाया जा सकता है…बता दें कि अक्षय के खिलाफ भाजपा कांग्रेस के पूर्व विधायक संजय शुक्ला की तरह ही प्रेशर बना रही थी। पहले 140 करोड़ के अवैध खनन का नोटिस दिया गया, फिर अचानक शुक्ला बीजेपी में आ गए.. बीजेपी की प्रेशर पॉलिटिक्स के साथ-साथ अक्षय कांग्रेस की लोकल पॉलिटिक्स का भी शिकार हो रहे थे.. वे रह-रहकर इसे शेयर करते रहते थे। -why Congress candidate joins BJP ?

दरअसल, उन्होंने इंदौर-4 से विधानसभा चुनाव में टिकट मांगा, लेकिन पार्टी ने नहीं दिया। उनकी जगह राजा मंधवानी को उतारा। राजा भी हार गए। कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव में उन्हें उम्मीदवार बनाने पर राजी हो गई। तब प्रदेशाध्यक्ष समेत तमाम नेताओं से चुनावी खर्च को लेकर प्राइमरी कमिटमेंट कर दिया गया था.. कहा गया था कि इंदौर लोकसभा में 2500 से ज्यादा पोलिंग बूथ हैं। चुनाव प्रचार और सभाओं के अलावा पोलिंग डे का बूथ मैनेजमेंट और खर्च उन्हें ही उठाना है।

तय हुआ था कि पोलिंग-डे पर हर बूथ पर 6 हजार रुपए खर्च करने पड़ेंगे। उस दिन कुछ कार्यकर्ताओं को खाना खिलाना होगा। इस बीच चुनाव आगे बढ़ा तो शर्त बदल दी गई। कहा गया कि 6 हजार नहीं, प्रत्येक बूथ पर 4 एजेंट के लिए 10 हजार रुपए और हर बूथ के 30 कार्यकर्ताओं का खाना अलग से। इस हिसाब से बजट 6 के बजाय 12 हजार के आसपास पहुंच गया था। यानी डबल।

बम ने शर्त रखी कि पैसा मेरा आदमी खुद जाकर बूथ वालों को देगा, इस पर संगठन के नेता राजी नहीं थे.. यही वजह है कि RSS-BJP के गढ़ में चुनाव के लिए सिर्फ एक दिन में 3.25 करोड़ का बजट खर्च करने के पक्ष में वे कतई नहीं थे। उन्हें इस बार का एहसास था कि कांग्रेस यहां 40 साल से चुनाव ही नहीं जीती है तो इन्वेस्ट किया जाए या नहीं…. अक्षय के एक सलाहकार ने जानकारी दी है कि कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम को लोकसभा चुनाव से ज्यादा, अपने करियर की चिंता थी

वे किसी भी तरह से कांग्रेस से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे। कांग्रेस ने जब उन्हें लोकसभा के लिए मना लिया तो यह गारंटी दी कि अगली विधानसभा में वे जहां से चाहेंगे, टिकट मिल जाएगा..। इससे वे चुनाव अपने खर्च पर लड़ने को राजी भी हो गए.. बावजूद, चुनाव के बीच में जिस तरह कांग्रेस नेताओं से खर्च पर अनबन हुई तो वे विचलित हो गए।

उनके सलाहकारों ने सवाल पूछना शुरू कर दिए कि विधानसभा का चुनाव 5 साल बाद होगा। तब न विधानसभा का टिकट का वादा करने वाले अध्यक्ष रहेंगे न हाईकमान में वही लोग रहेंगे। ऐसे में तब कौन सी गारंटी चल पाएगी कि मुझसे लोकसभा चुनाव लड़ने पर विधानसभा के टिकट का कमिटमेंट किया गया था। अक्षय को भी सलाहकारों की यह बात समझ आने लग गई थी…

वहीं एक बात ये भी थी कि कांग्रेस इंदौर में पहली बार ऐसा चुनाव लड़ रही है, जिसके पास एक भी विधायक नहीं है, न ही कोई बड़ा लोकल चेहरा फुलटाइम सपोर्ट में है। पूर्व विधायक संजय शुक्ला, विशाल पटेल, अंतरसिंह दरबार, रामकिशोर शुक्ला, स्वप्निल कोठारी जैसे तमाम नेता पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं। दूसरी तरफ, भाजपा से कैलाश विजयवर्गीय जैसे दिग्गज 10 साल बाद फिर से लोकल पॉलिटिक्स में सक्रिय हैं। कांग्रेस लोकसभा का पिछला चुनाव करीब 5 लाख वोट हारी थी, इसे पाटना बड़ी चुनौती है..

दूसरा, विजयवर्गीय ने गेम प्लान किया था कि 8 लाख से ज्यादा वोट से जीतेंगे, यह भी एक मेंटल प्रेशर की तरह अक्षय पर आ गया था.. उन्हें यह डर भर गया था कि यदि इतनी बड़ी हार मिली तो कांग्रेस में कमिटमेंट के बावजूद अगले विधानसभा चुनाव का टिकट तो दूर, इस हार के बहाने विरोधी करियर ही चौपट करवा देंगे…  आपको बता दें कि अक्षय कांति बम मूल रूप से उज्जैन जिले के बड़नगर के रहने वाले हैं।

बचपन से इंदौर डेली कॉलेज में पढ़े हैं। पिता ने भी इंदौर आकर लॉ, नर्सिंग कॉलेज के साथ टैक्सटाईल्स से जुड़ा काम शुरू किया था। परिवार में एक रिश्तेदार बीजेपी से भी जुड़े हैं… एक बात और है कि  खजुराहो की तरह नामांकन निरस्त होने का डर कांग्रेस का यहां भी था.. लेकिन उसने यह नहीं सोचा था कि सूरत की तरह नामवापसी ही हो जाएगी।

यही कारण है कि कांग्रेस ने डमी प्रत्याशी मोतीसिंह पटेल से कांग्रेस की ओर से डमी फॉर्म भरवाया..  कांग्रेस का अधिकृत पत्र अक्षय बम के पास होने से मोतीसिंह का फॉर्म स्क्रूटनी में रिजेक्ट हो गया था। इसी के साथ कांग्रेस की उम्मीदवारी पूरी तरह खत्म हो गई.. यही सारी वजहें है जिसकी वजह से इंदौर में कांग्रेस की दावेदारी खत्म हो गई… इसी तरह की सियासी खबरों के लिए आप जुड़े रहिए AIRR NEWS के साथ..

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