लंदन आधारित प्रोफेसर Nitasha Kaul का दावा है कि केंद्र सरकार ने उन्हें कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने से रोका है। उन्हें बेंगलुरु एयरपोर्ट पर रोका गया और लंदन भेज दिया गया। उनके इस दावे पर सोशल मीडिया पर जमकर बहस हुई।-Who is Nitasha Kaul?
लेकिन क्या आप जानते हैं कि Nitasha Kaul ने भारत के खिलाफ कौन से बयान दिए हैं? क्या आप जानते हैं कि उनका कश्मीर मुद्दे पर क्या रुख है? क्या आप जानते हैं कि उनके पाकिस्तान के साथ क्या संबंध हैं? अगर नहीं, तो आपको इस वीडियो को जरूर देखना चाहिए, जिसमें हम आपको इन सभी सवालों के जवाब बताएंगे। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।-Who is Nitasha Kaul?
Nitasha Kaul एक लंदन आधारित प्रोफेसर, लेखक और कवि हैं, जो राजनीति, अंतर्राष्ट्रीय संबंध और आलोचनात्मक अध्ययन में विशेषज्ञता रखती हैं। वे वेस्टमिनस्टर विश्वविद्यालय में राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध की एक एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था, लेकिन उनके पूर्वज श्रीनगर कश्मीर के कश्मीरी पंडित परिवार से हैं।0Who is Nitasha Kaul?
Nitasha Kaul का दावा है कि उन्हें कर्नाटक सरकार के आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने से केंद्र सरकार ने रोका। उन्हें बेंगलुरु एयरपोर्ट पर रोका गया और लंदन भेज दिया गया। उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों पर बोलने की सजा बताया। उन्होंने अपने X पर एक पोस्ट में लिखा, “भारत में प्रवेश नहीं मिला, लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों पर बोलने के लिए। मुझे कर्नाटक सरकार (कांग्रेस शासित राज्य) द्वारा एक सम्मानित प्रतिनिधि के रूप में एक सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था, लेकिन केंद्र ने मुझे प्रवेश नहीं दिया। मेरे सभी दस्तावेज वैध और वर्तमान थे (यूके पासपोर्ट और OCI)।”
लेकिन, उनके इस दावे पर सोशल मीडिया पर जमकर बहस हुई। लोगों ने उनके भारत के खिलाफ बयानों, उनके कश्मीरियों की मानगो के समर्थन, उनके पाकिस्तान के साथ रिश्तों और उनके विद्यालय के पाठ्यक्रम को आलोचना का निशाना बनाया। लोगों ने उन्हें देशद्रोही, झूठी, अज्ञानी और पाकिस्तान की एजेंट कहा। लोगों ने उनके X पर उनके खिलाफ टिप्पणियां की, उनके वीडियो को डिसलाइक किया और उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करने की मांग की।
Nitasha Kaul के भारत में प्रवेश न मिलने का मामला एक राजनीतिक, कानूनी और सामाजिक विवाद का केंद्र बन गया है। इस मामले में कुछ बिंदु हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है। Nitasha Kaul को भारत में प्रवेश न मिलने का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। केंद्र सरकार ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है। कुछ सूत्रों के अनुसार, उन्हें वीजा नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। कुछ अन्य सूत्रों के अनुसार, उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे के तौर पर माना गया है।
आपको बता दे कि Nitasha Kaul को एक कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण कर्नाटक सरकार ने दिया था, जो कांग्रेस द्वारा शासित है। यह कार्यक्रम ‘संविधान और राष्ट्रीय एकता सम्मेलन’ के नाम था, जिसमें भारत के संविधान के जनक डॉ. बी. आर. अम्बेडकर की जयंती के अवसर पर उनकी विचारधारा और योगदान पर चर्चा की जानी थी। इस कार्यक्रम में कई विद्वान, वकील, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार शामिल होने वाले थे।
Nitasha Kaul के भारत के खिलाफ बयानों, उनके कश्मीर के लिए मांगों, उनके पाकिस्तान के साथ रिश्तों और उनके विद्यालय के पाठ्यक्रम को सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना का सामना करना पड़ा है। उन्हें देशद्रोही, झूठी, अज्ञानी और पाकिस्तान की एजेंट कहा गया है। उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करने की मांग भी की गई है।
Nitasha Kaul का यह मामला भारत की लोकतंत्र और संविधान की मजबूती और कमजोरी को भी उजागर करता है। यह मामला यह भी दिखाता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कितनी असहमति और टकराव है। यह मामला यह भी दिखाता है कि सोशल मीडिया कितना प्रभावशाली और जोखिमपूर्ण हो सकता है।
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