दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर तैयारियां जोरो-शोरों से चल रही है. लेकिन इस बीच चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने और मतदान के प्रारूप को गुप्त रखने लिए दो प्रमुख चुनावी सुधारों की तैयारी पूरी है. इसमें टोटलाइजर भी एक ऑप्शन है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि टोटलाइजर क्या होता है और इसका इस्तेमाल चुनाव में कैसे किया जा सकता है.
चुनाव आयोग ने किया टोटलाइजर का जिक्र
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया है कि चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने और मतदान के प्रारूप को गुप्त रखने लिए दो प्रमुख चुनावी सुधारों की तैयारी पूरी है. लेकिन इन्हें लागू करने के लिए राजनीतिक सहमति की आवश्यकता होगी. दरअसल बीते 7 जनवरी को दिल्ली विधानसभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा करने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि कई ईवीएम को जोड़ने और बूथ-वार मतदान के प्रारूप को गुप्त रखने की तकनीक ‘टोटलाइजर’ चुनाव आयोग के पास तैयार है. हालांकि उन्होंने कहा कि इसका उपयोग केवल राजनीतिक सहमति के बाद ही किया जा सकता है.
क्या है टोटलाइजर
अब सवाल ये है कि टोटलाइजर क्या होता है? बता दें कि टोटलाइजर वोटिंग मशीनों में बूथ-वार वोटिंग पैटर्न को छिपाने के लिए एक तंत्र है. एक टोटलाइजर सभी ईवीएम को जोड़कर लगभग 14 मतदान केंद्रों में डाले गए वोटों को एक साथ गिनने की अनुमति देता है. बता दें कि वर्तमान में वोटों की गिनती बूथ दर बूथ की जाती है. जिससे राजनीतिक दलों को पता होता है कि किसे सबसे अधिक वोट मिले हैं. इस दौरान कई बार उन क्षेत्रों में हिंसा भी देखने को मिलती है.
टोटलाइजर से बढ़ेगी गोपनीयता
बता दें कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बूथ पर वोटिंग के दौरान कई बार राजनीतिक दलों को ये पत चल जाता है कि उन्हें कहां से वोट कम मिला है. जिसके बाद वो मतदाताओं को डराते हैं. लेकिन टोटलाइजर के आने से 14 मतदान केंद्र के वोट एक साथ गिने जा सकते हैं, जिससे किसी को पता नहीं चलेगा कि किस बूथ पर किस पार्टी को वोट कम मिला है. ऐसा होने से मतदान और मतदाताओं को लेकर सभी जानकारी गुप्त हो सकेगी. हालांकि चुनाव आयोग के मुताबिक इसको लागू करने के लिए सभी राजनीतिक दलों की सहमति जरूरी है, उसके बिना चुनाव में टोटलाइजर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
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