How are votes counted, who gets entry into the counting center?
कैसे होती है votes counted, मतगणना केंद्र में किसे मिलती है एंट्री?
5 राज्यों में चुनाव खत्म हुए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं…3 राज्यों में BJP ने क्लीन स्वीप करते हुए सरकार भी बना ली है…लेकिन अभी भी देश में चुनावी हलचल खत्म नहीं हुई है…5 राज्यों में चुनाव के निपटते ही 2024 के महासमर की तैयारियां शुरू हो गई हैं…जब पूरे देश में अभी भी चुनावी चर्चा बरकरार है तो हम आपको चुनाव से ही जुड़े कुछ रोचक तथ्यों से रूबरू करवाते हैं…आज हम बात करेंगे मतगणना की जिसके बाद ही चुनाव का असल परिणाम सामने आता है…ये कैसे होती है…क्या-क्या नियम कायदे होते हैं…आज हम इसे विस्तार से समझेंगे…
इलेक्शन कमीशन के मुताबिक votes counted सुबह 8 बजे से शुरू होती है…किसी विशेष परिस्थिति में समय में बदलाव भी किया जा सकता है…सबसे पहले बैलेट पेपर और ETPBS यानी इलेक्ट्रानिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम के जरिए दिए गए वोटों की गिनती होती है…इस माध्यम से आमतौर पर सरकारी कर्मचारी वोट करते हैं जिसमें सैनिक, चुनाव ड्यूटी में तैनात कर्मचारी, देश के बाहर कार्यरत सरकारी अधिकारी और प्रिवेंटिव डिटेंशन में रहने वाले लोग होते हैं…इस प्रक्रिया में करीब आधे घंटे का समय लगता है…जिसके बाद बारी आती है EVM की…
सुबह साढ़े आठ बजे के बाद सभी टेबलों पर एक साथ EVM के वोटों की काउंटिंग शुरू होती है…मतगणना केंद्र पर मौजूद रिटर्निंग ऑफिसर यानी RO प्रत्येक राउंड की गिनती के बाद रिजल्ट बताते हैं और जिसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी अपडेट किया जाता है…काउंटिंग का पहला रुझान 9 बजे घोषित किया जाता है…चुनाव आयोग के मुताबिक EVM के वोटों के अंतिम 2 राउंड की गिनती तभी की जा सकती है जब उस निर्वाचन क्षेत्र के सभी डाक मतपत्र पहले ही गिने जा चुके हों…यानि साफ है, EVM के वोटों की गिनती में लगने वाला समय वास्तव में इस बात पर भी निर्भर करता है कि मैनुअली डाक मतपत्रों की गिनती में कितना समय लगता है…ऐसे में ये समझना होगा कि काउंटिंग में देरी की वजह डाक मतपत्र भी हो सकते हैं…
रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट-1951 के सेक्शन 128 और 129 के मुताबिक मतगणना से जुड़ी जानकारी को गुप्त रखना बहुत जरूरी है…मतगणना से पहले कौन से अधिकारी किस निर्वाचन क्षेत्र की और कितने नंबर के टेबल पर गिनती करेंगे, ये जानकारी किसी को भी नहीं पता होती है…काउंटिंग शुरू होने से पहले ही इसे बताया जाता है…सुबह 6 बजे तक सभी अधिकारियों को मतगणना सेंटर पहुंचना होता है…इसके बाद जिले के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और मतगणना केंद्र के रिटर्निंग ऑफिसर रैंडम तरीके से सुपरवाइजर और कर्मचारी को हॉल नंबर और टेबल नंबर अलॉट करते हैं उसके बाद ही काउंटिंग का पहला चरण शुरू होता है…
और अब बात करते हैं काउंटिंग हाल में बैठने की व्यवस्था का जो बहुत महत्वपूर्ण होता है…किसी एक मतगणना हॉल में काउंटिंग के लिए 14 टेबल और 1 टेबल रिटर्निंग अधिकारी के लिए लगा होता है…हॉल में 15 से ज्यादा टेबल लगाने के नियम नहीं है…अगर किसी विशेष परिस्थिति में टेबलों की संख्या बढ़ाने की जरूरत पड़ी तो मुख्य निर्वाचन अधिकारी के आदेश पर ही टेबल की संख्या बढ़ाई जा सकती है…जैसे मध्य प्रदेश के इंदौर-2 मतगणना केंद्र पर इस बार 21 काउंटिंग टेबल लगाई गई थीं…
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