Violence in Manipur: Human Rights Commission Issues Notice, AIRR News Special
Manipur में हिंसा: मानवाधिकार आयोग ने जारी किया नोटिस, एआईआरआर न्यूज विशेष
मानवाधिकार आयोग ने Manipur सरकार और राज्य की पुलिस को एक गोलीबारी में कम से कम 13 लोगों की मौत के मामले में नोटिस जारी किया है। आयोग ने अपने इस बयान में कहा है कि कानून, प्रवर्तन एजेंसियों और राज्य में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने वाली सेनाओं की तरफ से हुई “चूक” बहुत ही चिंताजनक है।
आगे आयोग ने कहा कि लेथाओ गांव में 13 लोगों की मौत का मामला “चिंताजनक और व्याकुल करने वाला” है। आपको बता दे कि इस गांव में Manipur राज्य में हिंसा फूटने के बाद भी शांति बनी हुई थी। आयोग ने एक मीडिया रिपोर्ट पर सुओ मोटू कार्रवाई करते हुए कहा है कि “4 दिसंबर को मणिपुर के तेंगनौपाल जिले में साइबोल के पास लेथाओ गांव में एक गोलीबारी में कम से कम 13 लोग मारे गए”। आयोग ने जोर दिया है कि अगर रिपोर्ट की सामग्री सच है, तो यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और एक बड़ी चिंता का विषय है।
आगे आयोग ने ध्यान दिया है कि मणिपुर राज्य को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से दो हफ्ते के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही इस रिपोर्ट में पुलिस द्वारा दर्ज FIR की स्थिति और राज्य सरकार द्वारा ऐसी हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए किये गए उपायों की जानकारी शामिल होनी चाहिए।
आपको बता दे कि आयोग मई 2023 से ही मणिपुर में मानवाधिकारों के मुद्दों की देख रेख कर रहा है, क्योंकि इस मामले में व्यक्तिगत, संगठनों और कार्यकर्ताओं द्वारा कई शिकायतें दर्ज की गई थी । इन मामलों पर आयोग की पूर्ण पीठ का विचार कर रही है, और 17 नवंबर को असम के गुवाहाटी में एक बैठक में इस पर विस्तृत चर्चा हुई, जिसमें मणिपुर सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और शिकायतकर्ताओं और सिविल समाज के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
120 निवासियों वाला लेथाओ गांव जिसमे ये घटना हुई उसने मणिपुर में इस साल खुली हिंसा में सबसे ज्यादा एक दिन में जान माल का नुकसान देखा है । इस घटना के पीछे का कारण और इसके प्रभावों को समझने के लिए, हमें मणिपुर में हुई अन्य हिंसा की घटनाओं की जानकारी होनी चाहिए।
आपको बता दे कि,मणिपुर में हिंसा का शुरुआत 14 अप्रैल 2023 को हुई, जब मणिपुर हाईकोर्ट ने एक याचिका पर कार्रवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य में अफसरों की भर्ती की प्रक्रिया को रोक दे। इस याचिका में यह दावा किया गया था कि इस भर्ती में भारी भ्रष्टाचार और अनियमितता हुई थी। इस फैसले का राज्य में विभिन्न संगठनों ने हड़ताल और प्रदर्शन करके अपना विरोध जताया था।
इसके बाद, 17 मई को, राज्य में एक और घटना हुई, जिसमें एक विधायक के बेटे ने एक ट्रैफिक पुलिस वाले को मारा, जिसके कारण उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद, राज्य में आक्रोश फैल गया, और लोगों ने विधायक के खिलाफ गुस्से में आकर उसके घर और कार को जला दिया। विधायक को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन लोगों का कहना है कि उसे कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
इसके अलावा, 23 मई को, राज्य में एक और घटना हुई, जिसमें एक आतंकवादी संगठन ने एक बस में बम फोड़ा, जिसके कारण 10 लोगों की मौत और 20 लोगों के घायल होने की खबर आई। इस आतंकवादी घटना में राज्य सरकार को दोषी ठहराया गया , और कहा कि वह राज्य के लोगों के हितों की अनदेखी कर रही है। इस घटना के बाद, सुरक्षा बलों ने राज्य में अलर्ट जारी किया, और आतंकवादियों को पकड़ने के लिए अभियान शुरू किया।
इन सभी घटनाओं ने मणिपुर में हिंसा की लहर को ओर बढ़ा दिया है, जिससे राज्य के लोगों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। इन घटनाओं के कारण, राज्य में कई बार कर्फ्यू लगाया गया, जिससे लोगों का रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा। इन घटनाओं के कारण, राज्य के लोगों का विश्वास भी कमजोर हो गया उन्हें लगने लगा कि सरकार और सुरक्षा बलों कि वजह से ही ये सब हो रहा है।
इस प्रकार, मणिपुर में हिंसा का मुद्दा एक गंभीर चुनौती थी , जिसको हल करने के लिए सरकार, सुरक्षा बल, सिविल समाज और मानवाधिकार आयोग को मिलकर काम करना चाहिए था । इसके लिए, इन सभी पक्षों को एक-दूसरे के साथ बातचीत और राज्य में शांति और समानता को बहाल करने के लिए एक सामंजस्यपूर्ण रणनीति बनानी थी। लेकिन इस मामले में सरकार नाकाम रही।
अब मणिपुर कि जनता ओर पीड़ितों को कुछ उम्मीद की किरण जगी है, शायद अब उन्हें न्याय मिलेगा। बाकि न्याय मिलेगा या नहीं ये तो आने वाल वक़्त बताएगा।
धन्यवाद्
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