Vat Purnima Vrat 2025: वट पूर्णिमा व्रत सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि वह आस्था है जिसने यमराज जैसे मृत्युलोक के अधिपति को भी झुका दिया था. आइए जानें व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उससे जुड़ी शास्त्रीय कथा.
वट पूर्णिमा 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त (Vat Purnima Vrat 2025 Shubhu Muhurat)
- व्रत तिथि: मंगलवार, 10 जून 2025
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जून को सुबह 11:35 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जून को दोपहर 1:13 बजे
- वट पूजा का शुभ मुहूर्त: 10 जून, सुबह 8:52 से दोपहर 2:05 बजे तक
- स्नान-दान का मुहूर्त: 11 जून, सुबह 4:02 से 4:42 बजे तक
- चंद्र दर्शन: 10 जून, शाम 6:45 बजे
वट वृक्ष की महिमा
वट वृक्ष (बरगद) को भारतीय शास्त्रों में अमरत्व, ज्ञान और मोक्ष का प्रतीक माना गया है. स्कंद पुराण और पद्म पुराण में वर्णन मिलता है कि वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और शीर्ष में महेश का निवास होता है. अतः इसकी पूजा त्रिदेव की पूजा के समकक्ष मानी गई है.
वट वृक्ष कथा, सावित्री और सत्यवान की अमर प्रेम गाथा
महाभारत (वनपर्व) के अनुसार, राजकुमारी सावित्री ने अपने पति सत्यवान की मृत्यु की पूर्व सूचना मिलने पर कठिन व्रत और उपवास कर यमराज से उसके प्राण वापस मांगे. उसने वट वृक्ष के नीचे तप किया और अपनी दृढ़ भक्ति से यमराज को भी अपने निर्णय को बदलने पर विवश कर दिया. तभी से यह व्रत अमर प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक बन गया.
वट पूर्णिमा की पूजा विधि (Vat Savitri Puja Vidhi)
- प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- निर्जला व्रत का संकल्प लें.
- वट वृक्ष के नीचे जाकर पूजा सामग्री (रोली, अक्षत, फूल, जल, धूप, दीप) से पूजन करें.
- सफेद धागे से वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें. हर परिक्रमा पर मन में प्रार्थना करें.
सावित्री-सत्यवान की कथा (Vat Purnima Vrat Katha)
- सुहाग सामग्री (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि) किसी सुहागन या जरूरतमंद महिला को दान दें.
- संध्या के समय चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करें.
इस व्रत का आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व
वट पूर्णिमा केवल पति की दीर्घायु की प्रार्थना भर नहीं, यह स्त्री शक्ति की दृढ़ता, श्रद्धा और प्रेम का सजीव उदाहरण है. यह व्रत यह सिद्ध करता है कि स्त्री की भक्ति मृत्यु जैसे अटल सत्य को भी बदल सकती है. यह पर्व विवाह संबंधों में प्रेम, विश्वास और आत्मिक गहराई लाने वाला पवित्र अनुष्ठान है.
वट पूर्णिमा 2025 में सावित्री के समान संकल्प, श्रद्धा और प्रेम का संचार करें. यह व्रत जीवन के उस रहस्यमयी तत्व को छूता है जहां प्रेम, तप और आस्था से भी यमराज पर विजय पाई जा सकती है.