Vanessa Dougnac एक अनुभवी पत्रकार, लेखिका और फोटोग्राफर हैं, जो 2001 से दिल्ली में रह रही हैं। वे फ्रांस के अखबार ला क्रॉइक्स के लिए काम करती हैं, और भारत के अलावा अन्य दक्षिण एशियाई देशों के बारे में भी लिखती हैं। उन्होंने अपने कार्य के लिए कई पुरस्कार भी जीते हैं, जिनमें से एक है फ्रांस का प्रतिष्ठित अल्बर्ट लॉन्डन पुरस्कार, जो उन्हें 2018 में मिला था। –Vanessa Dougnac
आखिर क्यों ? ये आजकल सुर्खियों में है।
बताएंगे सब कुछ बने रहिए हमारे साथ। नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज।
Vanessa Dougnac को 18 जनवरी 2024 को विदेशी नागरिकों के क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय एफआरआरओ द्वारा एक नोटिस भेजा गया, जिसमें उन्हें 15 दिनों के अंदर अपने ओसीआई कार्ड को वापस को कहा गया। इस नोटिस में उनके पत्रकारिता कार्य को “दुष्प्रचारपूर्ण और भारत के बारे में एक तिरस्कारपूर्ण धारणा पैदा करने वाला” बताया गया, और यह भी कहा गया कि “इसके अतिरिक्त, उनके कार्य अशांति और शांति को भंग करने का कारण भी बन सकते हैं।
इस नोटिस को फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों के भारत दौरे से पहले ही जारी किया गया था, जिसमें वे गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि थे।
आपको बता दे कि, Vanessa Dougnac की पत्रकारिता का मुख्य विषय भारत की आंतरिक राजनीति, सामाजिक मुद्दे और मानवाधिकार है। उन्होंने भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप, धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, आदिवासियों के अधिकारों के उल्लंघन, किसानों के आंदोलन, नागरिकता संशोधन कानून, जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करना आदि जैसे विवादित और संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग की है।
उनकी इन रिपोर्टों को कुछ लोगों ने भारत सरकार और उसकी नीतियों का विरोध करने वाला, देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला, और विदेशी ताकतों के हाथों की कठपुतली के रूप में देखा है। इसलिए, उन्हें एक नोटिस भेजकर उनके ओसीआई कार्ड को वापस लेने की धमकी दी गई है, जो उन्हें भारत में रहने और काम करने का अधिकार देता है।
ऐसे में इस नोटिस का प्रभाव यह हुआ है कि वनेसा डूग्नाक के साथ उनके सहयोगियों, साथियों, और विश्वव्यापी पत्रकार संघों ने उनका समर्थन किया है, और भारत सरकार को उनके खिलाफ की गई कार्रवाई को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने इसे एक अनुचित और अवैध प्रयास कहा है, जिसका उद्देश्य पत्रकारों को चुप कराना, उनकी आजादी को रोकना, और उनके लिए एक डरावना माहौल पैदा करना है।
फ्रांस की सरकार ने भी इस मामले में अपनी चिंता जाहिर की है, और भारत सरकार से इसे सुलझाने की अपील की है। फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों ने भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस विषय पर बातचीत की है, और उन्हें वनेसा डूग्नाक के प्रति सम्मान और सहयोग देने का आश्वासन मांगा है।
इस प्रकार,Vanessa Dougnac के नोटिस का मामला एक गंभीर और जटिल मुद्दा है, जिसमें भारत और फ्रांस के बीच के संबंध, पत्रकारों की आजादी और सुरक्षा, और भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि शामिल हैं। इसे हल करने के लिए दोनों देशों को एक दूसरे के साथ संवाद करना होगा, और वनेसा डूग्नाक को उनके कार्य को निष्पक्ष और व्यावहारिक ढंग से करने का अवसर देना होगा।
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