क्या आप जानते हैं कि भारत सरकार ने विदेश में काम कर रहे भारतीय मूल के वैज्ञानिकों को भारत में शोध परियोजनाओं पर काम करने के लिए आमंत्रित किया है? और क्या आप जानते हैं कि इस योजना के तहत लगभग 75 वैज्ञानिक अगले तीन साल में भारत लौट सकते हैं? क्या आप जानते हैं कि इस योजना का उद्देश्य भारत के वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना है? अगर नहीं, तो आपको इस वीडियो को जरूर देखना चाहिए, क्योंकि हम आपको वैभव योजना के बारे में सब कुछ बताएंगे।
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VAIBHAV योजना का पूरा नाम वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक योजना है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू की गई है। इस योजना का उद्देश्य विदेश में काम कर रहे भारतीय मूल के वैज्ञानिकों को भारत में शोध परियोजनाओं पर काम करने के लिए आमंत्रित करना है, ताकि वे अपने ज्ञान, अनुभव और विशेषज्ञता का प्रयोग भारत के विकास में योगदान कर सकें।
इस योजना के तहत, वैज्ञानिकों को भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों जैसे कि आईआईटी, आईआईएससी, आईआईएम, आईएसआरओ, डीआरडीओ, आदि के साथ सहयोग करने का मौका मिलेगा। वे अपनी पसंद के संस्थान में प्रतिवर्ष दो महीने, अधिकतम तीन वर्ष तक निवास कर सकते हैं, और उन्हें एक फेलोशिप अनुदान के रूप में प्रति वर्ष 4 लाख रुपए दिए जाएंगे। इसके अलावा, उन्हें अपने विदेशी संस्थानों में भी शोध करने की अनुमति होगी, जिससे वे दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक सहयोग और ज्ञान-सांझीकरण को बढ़ावा दे सकें।
आपको बता दे कि, वैभव योजना की शुरुआत 2023 के मार्च महीने में हुई। इसके प्रभाव के बारे में, वैभव फैलोशिप योजना भारतीय मूल के उत्कृष्ट वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों, प्रवासी भारतीय, भारतीय मूल के अनिवासी भारतीय ,भारत के प्रवासी नागरिक को अपने संबंधित देशों में अनुसंधान गतिविधियों में सक्रिय रूप से संलग्न होने का अवसर प्रदान करती है। इससे भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों, विश्वविद्यालयों और सार्वजनिक वित्तपोषित वैज्ञानिक संस्थानों के साथ मिलकर शोधकार्य करने का अवसर मिलता है। इससे भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में वैज्ञानिक संस्थानों के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार होता है।
अब बात करते है कि, इस वैभव योजना का लाभ कौन उठा सकता है? आपको बताए दे कि इस योजना का लाभ भारतीय वैज्ञानिक समुदाय, भारतीय शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थान, भारतीय डायस्पोरा द्वारा भारत के विकास के लिए होगा।
वैज्ञानिक समुदाय के लिए, यह योजना उन्हें विश्व के अग्रणी वैज्ञानिकों के साथ जुड़ने, उनसे सीखने, और उनके साथ सहयोग करने का अवसर प्रदान करेगी। यह उनके ज्ञान, अनुभव, और विशेषज्ञता को बढ़ाएगा, और उन्हें नए शोध प्रश्नों, विधियों, और उपकरणों के बारे में जानने में मदद करेगी।
शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के लिए, यह योजना उन्हें विश्व स्तर के वैज्ञानिकों को अपने संस्थानों में आमंत्रित करने, उनके साथ शोध परियोजनाओं पर काम करने, और उनसे शिक्षण और संबोधन करवाने की सुविधा देगी। यह उनके अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र, शैक्षणिक गुणवत्ता, और अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण को मजबूत करेगा।
भारतीय डायस्पोरा के लिए, यह योजना उन्हें अपने मातृभूमि के साथ जुड़े रहने, उसके विकास में अपना योगदान देने, और उसकी वैज्ञानिक समृद्धि को बांटने का मंच देगी। यह उनके भारतीयता की भावना को जागृत करेगा, और उनके विदेशी और भारतीय साथियों के बीच एक पुल का काम करेगा।
भारत के विकास के लिए, यह योजना भारत को वैज्ञानिक ब्रेन गेन का एक मौका देगी, जिससे भारत की वैज्ञानिक क्षमता, अनुसंधान उत्पादन, और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। यह भारत को विश्व के साथ वैज्ञानिक सहयोग और साझेदारी को विस्तारित करने में मदद करेगा, और भारत को वैज्ञानिक गतिविधियों में एक नेतृत्व भूमिका निभाने में सक्षम बनाएगा।
वैभव योजना के पीछे का विचार क्या है?
इस योजना के पीछे का विचार यह है कि भारतीय मूल के वैज्ञानिकों का भारत के वैज्ञानिक अनुसंधान में शामिल करना , भारत के लिए एक वरदान होगा, क्योंकि वे अपने विदेशी संस्थानों से लाये गए ज्ञान, अनुभव, और विशेषज्ञता के साथ भारत के वैज्ञानिको की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। इससे भारत के वैज्ञानिक अनुसंधान की गुणवत्ता, प्रभाव, और अंतर्राष्ट्रीय पहचान में सुधार होगा, और भारत को वैज्ञानिक उन्नयन के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाएगा।
वैभव योजना के लिए कौन-कौन से क्षेत्र चुने गए हैं?
इस योजना के लिए 18 नॉलेज वर्टिकल्स चुने गए हैं, जिनमें वर्तमान और भविष्य की वैज्ञानिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, इस योजना के लिए 18 नॉलेज वर्टिकल्स चुने गए हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं
क्वांटम टेक्नोलॉजी
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग
डेटा साइंस और बिग डेटा एनालिटिक्स
नैनोटेक्नोलॉजी
बायोटेक्नोलॉजी
बायोमेडिकल इंजीनियरिंग
बायोइनफॉर्मेटिक्स
बायोमिमिक्री
फार्मास्यूटिकल साइंस
एडवांस्ड मैटेरियल्स
एडवांस्ड मैन्युफैक्चरिंग
रोबोटिक्स
इंटरनेट ऑफ थिंग्स
रेन्यूएबल एनर्जी
वाटर रिसोर्सेज
एग्रीकल्चर एंड फूड साइंस
एयरोस्पेस एंड डिफेंस
इन क्षेत्रों में वैज्ञानिकों को अपने विदेशी संस्थानों में भी शोध करने की अनुमति होगी, जिससे वे दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक सहयोग और ज्ञान-साझाकरण को बढ़ावा दे सकें।
आशा है कि आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी। अगर आपके पास और कोई सवाल है, तो आप हमसे पूछ सकते हैं। नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।
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