Lower 01 – What are the long-term effects of Forest Fires in Uttarakhand?
Lower 02 – The devastating effects of forest fires in Uttarakhand
Lower 03 – Investigating the Role of Human Activities in Forest Fires in Uttarakhand
Lower 04 – A Closer Look at the Environmental Impact of Forest Fires in Uttarakhand
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR NEWS….क्यों लगती है पहाड़ों के जंगलों में आग? कुमाऊं से लेकर गढ़वाल तक क्यों जल रहे हैं जंगल ? कौन जिम्मेदार है इस आग के लिए? आपको बता दें कि सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं बल्कि दुनियाभर के जंगलों में आग की घटनाएं होती रहती हैं…..मतलब ये एक वैश्विक मुद्दा है….वैसे तो हर साल गर्मियों में उत्तराखंड के जंगलों में आग की घटनाएं होती रहती हैं….
लेकिन इस बार इसने विकराल रूप धारण कर लिया है….जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल के जंगलों में आग लगने की घटनाओं में इजाफा होने लगता है….इस बार वनाग्नि की घटना तो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी हैं….अब तक जंगल की इस आग में जलकर 6 लोगों की दर्दनाक मौत हो चुकी है, वहीं उत्तराखंड में 1300 हेक्टेअर जंगल राख हो चुके हैं….
युद्धस्तर पर इसको रोकने की कोशिश की जा रही है….कुमाऊं के जंगलों में लगी आग आबादी तक पहुंच गई है और एनडीआरएफ को मोर्चा संभालना पड़ा है…वायुसेना के हेलीकॉप्टर लगातार झील से पानी भरकर जंगलो में आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं….अल्मोड़ा से लेकर टिहरी, उत्तरकाशी, रानीखेत, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चंपावत, कौसानी, केदारनाथ वन प्रभाग, रुद्रप्रयाग, रामनगर, लैंसडौन, कोटद्वार और भीमताल के जंगल बुरी तरह से आग की चपेट में हैं….कई हेक्टेअर वन क्षेत्र जल चुके हैं और वन संपदा को काफी नुकसान हुआ है…..
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर 2023 से लेकर अब तक उत्तराखंड में वनाग्नि की 606 घटनाएं हुई हैं और 735 हेक्टेअर क्षेत्रफल में जंगल प्रभावित हुए हैं….जंगलों में आग लगने की 220 घटनाएं गढ़वाल और 333 कुमाऊं मंडल की हैं….53 घटनाएं वन्य जीव क्षेत्र की हैं जिससे 735 हेक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है….उत्तराखंड में पिछले दस सालों में जंगलों में आग लगने की 14 हजार से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें 23 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में वन संपदा प्रभावित हुई है…
वन विभाग शरारती तत्वों के खिलाफ लगातार कानूनी कार्रवाई कर रहा है….उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने के कई कारण हैं….भीषण गर्मी के कारण तापमान बढ़ जाता है और जंगलों में एक मामूली सी चिंगारी भी बड़े आग में तब्दील हो जाती है क्योंकि पहाड़ों के जंगलों में चीड़ के पेड़ बहुत हैं, जिसमें से गिरने वाला पीरूल बेहद ज्वलनशील होता है…..दूसरी तरफ किसान खेत में खरपतवार जलाते हैं, जिस कारण ये आग जंगल के निकट पहुंच जाती है और पूरे जंगल को अपनी चपेट में ले लेती है….
वहीं पहाड़ों के जंगलों में बीड़ी या सिरगेट पीकर फेंकने से भी आग लग जाती है और विकराल रूप ले लेती है….जंगलों में आग की घटनाओं के पीछे कई बार शरारती तत्व भी होते हैं जो मौजमस्ती के चक्कर में जानबूझकर जंगलों में आग लगा देते हैं, और एक जंगल से फैलते-फैलते ये आग कई जंगलों तक पहुंच जाती है….
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की वेबसाइट बताती है कि भारत के लगभग 36 प्रतिशत जंगलों में अक्सर आग लगने का खतरा रहता है….उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि जंगल की आग बुझाने पर प्रदेश सरकार वनाग्नि प्रबंधन समितियों को 25 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का इनाम देगी….उनका कहना है कि बिना जनसहभागिता के जंगल की आग से नहीं निपटा जा सकता…
इस मामले को राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने गंभीरता से लेना चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने चाहिए…ये आगजनी हमारे पर्यावरण, हमारे वन्य जीव और हमारी धरोहर को धीरे-धीरे राख कर रही है….पूरा वीडियो देखने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद…आप देखते रहिए AIRR NEWS……..
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