AIRR News: Kalki Dham Temple in Sambhal District, Uttar Pradesh – A New Dimension to India’s Religious and Cultural Heritage

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Uttar Pradesh के संभल जिले में एक ऐतिहासिक घटना हुई, जिसने भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को एक नया आयाम दिया। जी हां हम बात कर रहे हैं कल्कि धाम मंदिर की, जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।

कल्कि धाम मंदिर क्या है? क्यों इसका निर्माण किया जा रहा है? क्या है कल्कि अवतार का रहस्य? ये सब सवाल आपके मन में उठ रहे होंगे। तो चलिए, हम आपको इन सवालों के जवाब देते हैं, और आपको बताते हैं कि कल्कि धाम मंदिर का महत्व क्या है। और इसे बनाने की रणनीति के बारे में। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।- Uttar Pradesh

आज की हमारी खास रिपोर्ट कल्कि धाम मंदिर के बारे में है, जो Uttar Pradesh के संभल जिले में बनने जा रहा है। यह मंदिर भारत के धार्मिक इतिहास में एक अनोखा मंदिर होगा, क्योंकि इस मंदिर में भगवान की मूर्ति तब लगाई जाएगी, जब वह अवतार लेंगे। जी हां, आपने सही सुना, यह मंदिर भगवान विष्णु के 24वें अवतार, कल्कि अवतार का मंदिर होगा।

भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से 23 अवतार पहले ही धरती पर आ चुके हैं, और अंतिम अवतार कल्कि का अभी तक जन्म नहीं हुआ है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, जब कलियुग का अंत होगा, तब भगवान विष्णु कल्कि के रूप में धरती पर आएंगे, और अधर्म, अन्याय और पाप का नाश करके, सत्युग की शुरुआत करेंगे।

कल्कि अवतार का जन्म कब और कहां होगा? इसका उत्तर धर्मग्रंथों में मिलता है। कहा जाता है कि कल्कि अवतार का जन्म Uttar Pradesh के संभल जिले में होगा, जहां अभी कल्कि पीठ है। कल्कि पीठ में एक सफेद घोड़े की प्रतिमा है, जिसे भगवान कल्कि का वाहन माना जाता है। इस घोड़े के तीन पैर जमीन पर हैं, और एक पैर हवा में है। यह माना जाता है कि जब इस घोड़े का चौथा पैर भी जमीन पर आएगा, तब भगवान कल्कि का जन्म होगा।

कल्कि अवतार का जन्म किस तिथि और नक्षत्र में होगा? इसका उत्तर भी धर्मग्रंथों में मिलता है। कहा जाता है कि कल्कि अवतार का जन्म श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि में होगा, जब गुरु, सूर्य और चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होंगे।

कल्कि अवतार का स्वरूप कैसा होगा? इसका उत्तर अग्नि पुराण में मिलता है। अग्नि पुराण में कल्कि अवतार को एक घुड़सवार बताया गया है, जो धनुष और बाण लेकर आएंगे। उनका घोड़ा देवदत्त नाम का होगा, जो 64 कलाओं से सुशोभित होगा। 

भगवान कल्कि के आने का समय कैसे पता चलेगा? इसका उत्तर भविष्य पुराण में मिलता है। भविष्य पुराण में कहा गया है कि कल्कि अवतार के आने से पहले कुछ निशानियां दिखाई देंगी, जैसे धर्म का ह्रास, अधर्म का प्रचार, अन्याय का बढ़ना, असत्य का फैलना, अहंकार का उभरना, लोभ का बढ़ना, विषय वासना का बढ़ना, विवेक का नष्ट होना, शांति का नष्ट होना, विश्व में अशांति का फैलना, युद्धों का होना, रोगों का बढ़ना, दुर्भिक्ष का होना, जनसंख्या का घटना, जाति-वर्ण का नष्ट होना, वेद-शास्त्रों का लोप होना, ब्राह्मणों का अपमान होना, शूद्रों का उच्च पद प्राप्त करना, नारी का अपमान होना, बालकों का बुजुर्गों का अनादर करना, गुरु-शिष्य का सम्बन्ध टूटना, राजा-प्रजा का सम्बन्ध टूटना, धर्म-गुरुओं का धोखा देना, अवतारों का अनादर करना, देवताओं का तिरस्कार करना, यज्ञ-पूजा का बन्द होना, तीर्थ-स्थानों का नष्ट होना, गौ-वंश का नष्ट होना, वृक्ष-वन का नष्ट होना, नदी-सरोवर का शुष्क होना, आकाश में अशुभ ग्रहों का दिखाई देना, भूकंप, आग, बाढ़, आँधी, तूफान, चक्रवात आदि प्राकृतिक आपदाओं का होना।

इन सभी निशानियों के दिखाई देने के बाद, भगवान कल्कि का जन्म होगा, और वे अपने घोड़े देवदत्त पर सवार होकर, अपने धनुष और बाण से पापियों का संहार करेंगे। इस प्रकार, वे कलियुग का अंत करके, सत्युग की शुरुआत करेंगे।

यह थी हमारी आज की खास रिपोर्ट कल्कि धाम मंदिर के बारे में। इस विशेष कार्यक्रम में इतना ही, हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह कार्यक्रम पसंद आया होगा, और आपने इस मुद्दे के बारे में कुछ नया जाना होगा। अगर आपके पास इस मुद्दे से जुड़ी कोई राय या सुझाव है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं।

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 नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़। 

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