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आज हम बात करेंगे उत्तर प्रदेश के चुनावी रैली में हुए विवादित बयानों पर, जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी पर निशाना साधा। क्या राहुल गांधी और अखिलेश यादव की “दो लड़कों की जोड़ी” चुनाव में सफल हो पाएगी?
क्या उनकी दोस्ती सच्ची है या केवल राजनीतिक मजबूरी है?
और क्या संयुक्त राष्ट्र पीएआईडीआई मोदी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देगा?
तो चलिए शुरू करते हैं ,
नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश में एक चुनावी रैली में राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी पर निशाना साधा। उन्होंने बिना नाम लिए दोनों पर “तुष्टिकरण की राजनीति” का आरोप लगाया।
मोदी ने आरोप लगाया, “क्या आप ‘दो लड़कों की जोड़ी’ से विकास की उम्मीद कर सकते हैं, जो फ्लॉप हो चुकी है,” उन्होंने आरोप लगाया कि वे पिछड़े वर्गों के अधिकारों को छीनने की कोशिश कर रहे हैं।
“यूपी में दो लड़कों के बीच दोस्ती तुष्टिकरण की राजनीति पर आधारित है। दोनों अपने भाषणों में ओबीसी की बात करते हैं लेकिन वे चोरी-छिपे उनके अधिकारों को छीनना चाहते हैं और अपने वोट बैंक को मजबूत करना चाहते हैं,” उन्होंने आरोप लगाया।
मोदी ने कहा, “कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने रातोंरात सभी मुस्लिम जातियों को कर्नाटक में ओबीसी बना दिया है और उन्हें 27 प्रतिशत का मालिक बनने के लिए कहा है। उन्होंने ओबीसी के अधिकारों को छीन लिया है। कांग्रेस यूपी में भी यही खेल खेलना चाहती है, जहाँ भी उन्हें देश में मौका मिलेगा, वे चोरी-छिपे ओबीसी, एससी और एसटी के अधिकारों को छीनना चाहते हैं। और इसमें समाजवादी पार्टी भी उनका पूरा साथ दे रही है।”
मोदी ने कहा, ”सपा और कांग्रेस इन समुदायों को संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को छीनना चाहती है और इसे अपने वोट बैंकों को देना चाहती है। वोट बैंक के लिए, समाजवादी पार्टी यादवों और पिछड़े समुदायों के साथ विश्वासघात कर रही है। कांग्रेस और सपा दोनों तुष्टिकरण की राजनीति में लिप्त हैं और उनकी सोच एक जैसी है। भाषणों में वे ओबीसी की बात करते हैं, लेकिन चोरी-छिपे अपने अधिकारों को अपने वोट बैंकों को देना चाहते हैं।
बाकि राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने 2019 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में गठबंधन किया था। गठबंधन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा था, क्योंकि बीजेपी ने सीटों पर भारी लाभ उठाया था। कई लोगों का मानना है कि “दो लड़कों की जोड़ी” में गठबंधन का विस्तार करना मुश्किल होगा, खासकर पिछड़े वर्गों के वोटरों को लुभाने के लिए।
पीएम मोदी का “मंगलसूत्र” हमला एक संदर्भ था कि अखिलेश यादव के शासन में महिलाएं असुरक्षित थीं और उनके आभूषण छीनकर महिलाओं का उत्पीड़न किया जाता था। उनके द्वारा “कांग्रेस राजकुमार” पर “मंगलसूत्र छीनने” का आरोप चर्चा का एक और विषय बन गया है।
हालाँकि पीएम मोदी के आरोपों को उनकी सरकार के प्रतिपक्ष के शासन के रिकॉर्ड को कमजोर करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी का भाषण विभाजनकारी है और इसका उद्देश्य वोट बैंक को मजबूत करना है।
दूसरी ओर, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वे जनता को गुमराह करने और उनकी एकता को तोड़ने के लिए किए जा रहे हैं।
बाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के चुनावी रैली में राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि “दो लड़कों की जोड़ी” तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है, ओबीसी के अधिकारों को छीनने की कोशिश कर रही है और महिलाओं की सुरक्षा को कमजोर कर रही है।
इन आरोपों का कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने खंडन किया है, जो मानना है कि जनता को गुमराह करने और उनकी एकता को तोड़ने का प्रयास है।
आपको बता दे कि मोदी के आरोपों को कई तरह से देखा जा रहा है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वे उनकी सरकार के प्रतिपक्ष के शासन के रिकॉर्ड को कमजोर करने के प्रयास का हिस्सा हैं। दूसरों का तर्क है कि ये आरोप विभाजनकारी हैं और इसका उद्देश्य वोट बैंक को मजबूत करना है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मोदी द्वारा लगाए गए आरोपों का स्वतंत्र रूप से सत्यापन नहीं किया गया है। हालाँकि, ये आरोप पहले से ही चुनावी बहस पर हावी हो गए हैं।
तो इस तरह हमने जाना कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर “तुष्टिकरण की राजनीति” करने का आरोप लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि “दो लड़कों की जोड़ी” ओबीसी के अधिकारों को छीनने की कोशिश कर रही है और महिलाओं की सुरक्षा को कमजोर कर रही है। इन आरोपों का कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने खंडन किया है, जो मानना है कि जनता को गुमराह करने और उनकी एकता को तोड़ने का प्रयास है।-Uttar Pradesh Elections
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