आज हम बात करेंगे एक ऐसे मुद्दे पर जो न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश की राजनीति को प्रभावित करने वाला है। जी हां, हम बात कर रहे हैं RLD और भाजपा के बीच चल रहे गठबंधन की अटकलों की, जो आगामी लोकसभा Elections में एक साथ चुनाव लड़ने वाले है, जिससे विपक्षी गठबंधन को एक बड़ा झटका लगा है। तो सबसे पहले सवाल उठता है कि RLD कौन सी पार्टी है और इसका इतिहास क्या है? और दूसरा सवाल है कि जयंत चौधरी कौन हैं और उनका राजनीतिक परिवार कैसा है? तीसरा सवाल है कि भाजपा ने RLD को Uttar Pradesh में कौन सी सीटें देने का प्रस्ताव दिया है और इससे विपक्षी गठबंधन को कितना नुकसान होगा?
तो चलिए, शुरू करते हैं इस विशेष कार्यक्रम को, और जानते हैं कि आखिर क्या है वो झटका और कैसे यह चुनावी परिणामों को प्रभावित करेगा। नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़।
RLD का पूरा नाम राष्ट्रीय लोक दल है, जो एक एक क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है, और उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सक्रिय है। इस पार्टी की स्थापना भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र चौधरी अजित सिंह ने 1996 में जनता दल के एक अलग फाड़ के रूप में की थी। RLD का मुख्य वोट बैंक जाट जनजाति है, जो उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में अधिकांश है। RLD किसानों के अधिकारों, सामाजिक न्याय और धार्मिक सहिष्णुता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है।
वर्तमान में जयंत चौधरी RLD के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जो वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य हैं। उन्होंने 15वीं लोकसभा में मथुरा से सदस्यता ग्रहण की थी। वह चौधरी अजित सिंह के पुत्र हैं और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पोते हैं। उन्होंने श्री वेंकटेश्वर कॉलेज से बी.कॉम हॉनर्स की डिग्री और 2002 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस से एम.एससी एकाउंटिंग एंड फाइनेंस की डिग्री प्राप्त की।
आपको बता दे कि, भाजपा ने RLD को उत्तर प्रदेश में चार लोकसभा सीटें देने का प्रस्ताव दिया है, जो कैराना, बागपत, मथुरा और अमरोहा हैं। इनमें से कैराना और बागपत चौधरी अजित सिंह और जयंत चौधरी के पूर्व संसदीय क्षेत्र हैं, जहाँ उन्होंने 2014 और 2019 के चुनावों में हार का सामना किया था। मथुरा जयंत चौधरी का वर्तमान संसदीय क्षेत्र है, जहाँ उन्होंने 2009 में जीत दर्ज की थी। अमरोहा एक ऐसा क्षेत्र है, जहाँ RLD के पास एक मजबूत समर्थन बेस है।
यदि RLD भाजपा के साथ गठबंधन करती है, तो इससे विपक्षी गठबंधन को बड़ा झटका लगेगा, क्योंकि RLD के जाट और किसान वोटर्स भाजपा को लाभ पहुंचाएंगे। इससे भाजपा को उत्तर प्रदेश में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलेगी, जो कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके लिए फायदेमंद होगा। वहीं, समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस को अपने वोट बैंक को बचाने के लिए और अधिक मेहनत करनी होगी, जो कि उनके लिए आसान नहीं होगा।
इस तरह, RLD और भाजपा के बीच की संभावित गठबंधन की बातें उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती हैं, जो कि आगामी लोकसभा चुनावों के नतीजों पर भी असर डालेगी। क्या आपको लगता है कि RLD भाजपा के साथ मिल जाएगी? क्या आपको लगता है कि विपक्षी गठबंधन को इससे कोई फर्क पड़ेगा? क्या आपको लगता है कि उत्तर प्रदेश के लोगों को इससे कोई लाभ या हानि होगी? हमें अपनी राय बताएं।
यह था आज का विशेष कार्यक्रम, जिसमें हमने आपको RLD और भाजपा के बीच के गठबंधन की संभावना के बारे में बताया। आशा है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको इस कार्यक्रम के बारे में कोई सुझाव या टिप्पणी हो, तो आप हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में लिख सकते हैं। साथ ही अगर आपको हमारा यह प्रोग्राम पसंद आया हो, तो कृपया इस वीडियो को लाइक, शेयर और AIRR न्यूज़ को जरूर सब्सक्राइब करें। आप हमें ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर भी फॉलो कर सकते हैं। हमारे साथ जुड़े रहें, और देखते रहें AIRR न्यूज। धन्यवाद।
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