US-India Relations: The Khalistan Conundrum and Freedom of Speech Debate

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US-India के रिश्तों में खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू एक अहम मसला बन गया है। भारत लगातार अमेरिका से मांग करता रहा है कि पन्नू के ख़िलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, लेकिन अमेरिका पन्नू की गिरफ़्तारी से इनकार करता रहा है। अब अमेरिका के भारत में राजदूत एरिक गारसेटी ने इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि अमेरिका में भारत से अलग भाषण की आज़ादी कानून है।-US-India Relations

नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।

अमेरिकी राजदूत एरिक गारसेटी ने एक इंटरव्यू में कहा कि अमेरिका में भाषण की आज़ादी बहुत मज़बूत है और भारत के भाषण की आज़ादी के कानून से बिलकुल अलग है। उन्होंने कहा कि अमेरिका में किसी को अपराधी साबित करने के लिए केवल भाषण देने से नहीं चलेगा, बल्कि उस व्यक्ति को कोई कार्रवाई करते हुए पकड़ा जाना चाहिए।-US-India Relations

गारसेटी ने कहा कि US-India के बीच खालिस्तान मुद्दे पर कोई भरोसे की कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत की चिंताओं से वाकिफ है और इस मामले में भारत के साथ मिलकर काम करना चाहता है।-US-India Relations

गारसेटी ने कहा कि दोनों देशों के बीच एक “रेड लाइन” है जिसे पार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कोई कहता है कि कुछ बम से उड़ा दिया जाएगा, तो यह भाषण की आज़ादी की सीमा लांघने जैसा है। अमेरिकी राजदूत ने कहा कि अगर किसी पर कोई आपराधिक आरोप है, तो उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि दोषी को सज़ा मिले।

भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर अमेरिकी टिप्पणी के बारे में गारसेटी ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता किसी भी लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा बहुत ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि इसे नकारात्मक तरीके से नहीं देखा जाना चाहिए।

आपको बता दे की गुरपतवंत सिंह पन्नू एक खालिस्तानी नेता है जो कनाडा में रहता है। वह सिख फॉर जस्टिस नामक एक संगठन का प्रमुख है, जो खालिस्तान नामक एक अलग सिख राष्ट्र की मांग करता है। भारत सरकार ने पन्नू पर राजद्रोह और आतंकवाद के आरोप लगाए हैं और उस पर प्रतिबंध लगा दिया है।

हाल के दिनों में पन्नू की गिरफ़्तारी के लिए US-India के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत ने अमेरिका से पन्नू के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की है, लेकिन अमेरिका ने कहा है कि पन्नू के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए उसके पास कोई सबूत नहीं है।

आपको बता दे कि अमेरिकी राजदूत एरिक गारसेटी का बयान US-India के रिश्तों के लिए एक बड़ी चुनौती है। गारसेटी का कहना है कि अमेरिका में भाषण की आज़ादी बहुत मज़बूत है, लेकिन भारत का कहना है कि इससे खालिस्तान समर्थकों को बढ़ावा मिल रहा है।

भारत का मानना है कि पन्नू जैसे खालिस्तानी नेता भारत की सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं। भारत का कहना है कि पन्नू खुले तौर पर भारत के ख़िलाफ़ हिंसा और आतंकवाद का समर्थन कर रहा है।

अमेरिका का कहना है कि पन्नू के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए उसके पास कोई सबूत नहीं है। अमेरिका का कहना है कि वह अपने कानूनों के तहत ही किसी पर कार्रवाई कर सकता है।

US-India को खालिस्तान मुद्दे पर एक समझौते पर पहुँचने की ज़रूरत है। इससे दोनों देशों के रिश्तों को मज़बूत करने और क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।

तो इस तरह हमने जाना कि अमेरिकी राजदूत एरिक गारसेटी ने कहा है कि अमेरिका में भारत से अलग भाषण की आज़ादी कानून है। इस बयान से US-India के रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। भारत का कहना है कि अमेरिका में भाषण की आज़ादी के कानून का इस्तेमाल खालिस्तानी नेताओं को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। अमेरिका का कहना है कि वह अपने कानूनों के तहत ही किसी पर कार्रवाई कर सकता है। US-India को खालिस्तान मुद्दे पर एक समझौते पर पहुँचने की ज़रूरत है।

नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज ।

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