हिन्दुस्तान के मुरीद हुए अमेरिकी राजदूत, कहा भविष्य देखना है तो भारत आइए

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देश में चुनाव चल रहे हैं और पूरा विपक्ष PM मोदी और उनकी नीतियों का विरोध कर रहा है लेकिन पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है और वो भी PM मोदी के राज में…सुपर पावर अमेरिका भी हिन्द का बखान कर रहा है…भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी का कहना है कि भारत में रहना उनके लिए सौभाग्य की बात है…दिल्ली में आयोजित एक इवेंट में एरिक ने कहा कि अगर आप भाविष्य देखना और महसूस करना चाहते हैं तो भारत आइए…अगर आप भाविष्य की दुनिया के लिए काम करना चाहते है तो आपको भारत जरूर आना चाहिए…यहां रहना मेरे लिए सौभाग्य की बात है…-Us Ambassadar on india

अमेरिका और भारत के रिश्तों का जिक्र करते हुए गार्सेटी ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन भारत के साथ रिश्तों को बहुत अहमियत देता है…उन्होंने कहा कि हम यहां पढ़ाने और उपदेश देने नहीं आते बल्कि यहां सुनने और सीखने के लिए आते हैं…अमेरिकी राजदूत का यह बयान ऐसे समय आया है जब 2024 में भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ 8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है…इससे देश के इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर में एक्टिविटीज बढ़ेंगी…-Us Ambassadar on india

इसके पहले अमेरिकी सांसद रिच मैककॉर्मिक ने कहा था कि भारत आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है…मोदी के नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था हर साल 6-8% तक बढ़ रही है…दूसरे देशों के साथ काम करने की PM मोदी की इच्छा की तारीफ होनी चाहिए…उनकी लीडरशिप में भारत बेहद ईमानदार नजर आता है…वो टेक्नोलॉजी चुराने नहीं बल्कि शेयर करने में विश्वास रखते हैं…वो भरोसा दिलाते हैं जिससे टेक्नोलॉजी शेयर करना आसान हो जाता है…-Us Ambassadar on india

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा था कि 11 मार्च को आए CAA के नोटिफिकेशन पर हमारी पूरी नज़र है…देखना होगा कि इसे किस तरह से लागू किया जाता है…इस पर सफाई देते हुए हाल ही में गार्सेटी ने कहा कि कई बार असहमति के लिए भी सहमति जरूरी हो जाती है…इस कानून को कैसे लागू किया जाता है, हम इस पर नजर रखेंगे…मजबूत लोकतंत्र के लिए मजहबी आजादी जरूरी है और कई बार इस पर सोच अलग होती है…दोनों देशों के करीबी रिश्ते हैं…कई बार असहमति होती है लेकिन इसका असर हमारे रिश्तों पर नहीं पड़ता…एरिक गार्सेटी ने बड़ी बात कही कि हमारे देश में ढेरों खामियां हैं और आलोचनाओं को हम सहन भी करते हैं…-Us Ambassadar on india

आपको बता दें कि 1962 में जब चीन ने भारत पर हमला किया तो जॉन केनेथ गोल्ब्रेथ नई दिल्ली में अमेरिकी राजदूत थे…गोल्ब्रेथ तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी के करीबी माने जाते थे…भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से भी उनके अच्छे संबंध थे…युद्ध के दौरान अमेरिकी हथियारों की खेप भारत भिजवाने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है…
अर्थव्यवस्था की बात करें तो हाल ही में ब्रिटेन को पछाड़कर भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया है…भारत में निवेश के लिए अमेरिकी कंपनियों की दिलचस्पी बढ़ रही है…अमेरिकी एंबेसी इसमें काफी मदद कर सकती है…इधर चीन की चुनौती से निपटने के लिए भी अमेरिका को भारत की जरूरत है…ऐसे में भारत में चल रहे चुनावों के बीच अमेरिकी राजदूत की अहमियत और बढ़ जाती है…

2024 में भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ 8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है

क्या भारत की नीतियां मजबूत और परिपक्व हुई हैं?

भारत-अमेरिका के रिश्तों को लेकर आपकी क्या राय है?

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