यूनिफार्म सिविल कोड से मुस्लिम बेटियों को सबसे ज्यादा फायदा, फिर विरोध क्यों?

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    Uniform Civil Code

    पीएम मोदी ने मंगलवार को कहा था कि “हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है, एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पाएगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? “ -Uniform Civil Code 

    यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है? 

    प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान के बाद समान नागरिक संहिता को लेकर देशभर में बहस छिड़ गई। तो आइए सबसे पहले यह जानते हैं कि आखिर समान नागरिक संहित यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है?

    समान नागरिक संहित यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड से तात्पर्य यह है कि भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होना चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति अथवा लिंग का क्यों न हों? बतौर उदाहरण यदि समान नागरिक संहित लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे संवेदनशील विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम-कानून होंगे।  -Uniform Civil Code 

    वर्तमान में हमारे देश भारत में कई निजी कानून धर्म के आधार पर तय किए गए हैं। ऐसे में यदि यूनिफार्म सिविल कोड को लागू किया जाता है तो देश में सभी धर्मों तथा जातियों के लिए वही कानून लागू होगा जिसे भारतीय संसद द्वारा निर्धारित किया जाएगा।

    समान नागरिक संहित लागू करने वाले देश

    यदि हम दुनिया के उन देशों की बात करें जहां समान नागरिक संहिता लागू है, उनमें अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र का नाम शामिल है। यूरोप के कई ऐसे देश हैं, जो एक धर्मनिरपेक्ष कानून को मानते हैं वहीं इस्लामिक देशों में शरिया कानून को मानते हैं।

    मुसलमानों को कबूल नहीं है यूनिफार्म सिविल कोड?

    देश के अधिकांश मुसलमानों का कहना है कि भारत एक सेक्यूलर देश है जहां सभी धर्मावंलबियों को धार्मिक स्वतंत्रता मिली है। इसलिए समान नागरिक संहिता को लागू किया जाना देशहित में नहीं होगा। जबकि देखा जाए तो यूनिफार्म सिविल कोड से सबसे ज्यादा फायदा मुस्लिमों को ही होगा। मुस्लिम समाज से यह बातें सुनने को मिल रही हैं कि समान नागरिक संहिता लागू होने की वजह से काजी निकाह नहीं पढ़ा पाएंगे। जबकि सिविल कोड से इसका कोई लेना.देना नहीं। मुस्लिम में काजी निकाहनामा पढ़ाते रहेंगे। यहां तक कि सिख, क्रिश्चियन अपनी परंपरा के अनुसार विवाह करते रहेंगे। बता दें कि सिविल कोड से सबसे ज्यादा फायदा मुस्लिम बेटियों को ही मिलने वाला है।

    सिविल कोड से मुस्लिम बेटियों को सबसे ज्यादा फायदा 

    1-सिविल कोड के जरिए लड़के और लड़की की शादी की उम्र बराबर हो जाएगी। इससे मुस्लिम बेटियों को फायदा होगा। बता दें कि मुस्लिम बेटियों में शादी की उम्र अभी 9 साल निर्धारित है। इससे मुस्लिम बेटियां पढ़ नहीं पाती हैं, वो पढ़ पाएंगी। जिससे वह मानसिक, आर्थिक रूप से मजबूत होंगी।

    2- तलाक के नियम सभी के लिए बराबर होंगे। मुस्लिमों में तीन तलाक खत्म हुआ है, बाकी तलाक चल रहे हैं। इसलिए मुस्लिम बेटियों को इसका लाभ मिलेगा।

    3- एक पति और एक पत्नी का नियम सभी पर लागू होगा।

    4- गोद लेने का नियम और प्रक्रिया एक जैसी होगी।

    5- विरासत का अधिकार, वसीयत का अधिकार यह हिंदुओं में बराबर का हो चुका है। मुस्लिम में इस तरह का नहीं है, मुस्लिम में शौहर को अधिक अधिकार प्राप्त हैं।

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