UGC ने ऐलान कर दिया है कि अब असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिए अभ्यर्थियों के पास PhD होना ज़रूरी नहीं है…लेकिन अभी तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में सहायक प्रोफेसर के पद पर सीधी भर्ती के लिए कम से कम NET/SET/SLET होना चाहिए या यूं कहें कि इनमें से एक योग्यता होना अनिवार्य है…यानि कि इन परीक्षाओं में पास होने वाले अभ्यर्थी बिना PhD किए सीधे सहायक प्रोफेसर बन सकते हैं…अब सवाल यह उठता है कि जो उम्मीदवार PhD कर रहे हैं या कर चुके हैं, क्या उनकी डिग्री बेकार चली जाएगी…आज हम अपने इस वीडियो में इसी पर चर्चा करेंगे…
आपको बता दें कि UGC ने 6 जुलाई को जारी विस्तृत नोटिफिकेशन में साफ कर दिया है कि अब असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए उम्मीदवारों के पास इन 2 योग्यताओं में से 1 योग्यता होनी चाहिए…पहला यह कि मास्टर डिग्री धारक अभ्यर्थियों को NET/SET/SLET की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी….दूसरा यह कि अभ्यर्थी के पास PhD की डिग्री होनी चाहिए…इसका मतलब यह है कि जिन उम्मीदवारों के पास PhD की डिग्री है उन्हें NET/SET/SLET परीक्षा पास करने की जरूरत नहीं है…ऐसे अभ्यर्थी सीधे असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे…ऐसे में जो अभ्यर्थी PhD कर रहे हैं या कर चुके हैं उनकी डिग्री बेकार नहीं होगी बल्कि उनकी योग्यता UGC नेट पास करने वाले अभ्यर्थियों के बराबर ही होगी…UGC का नया नियम 1 जुलाई 2023 से लागू हो गया है…
एक बात और सहायक प्रोफेसरों को काम पर रखने के लिए पीएचडी की न्यूनतम पात्रता बनाने वाले यूजीसी के 2018 के नियम 2021 से लागू होने थे लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था…अब मानदंड को जुलाई 2023 तक बढ़ा दिया गया है…यानी UGC नेट स्कोर के आधार पर हायरिंग जारी रहेगी…इस कदम से उच्च शिक्षा संस्थानों के रिक्त पदों को सामान्य से अधिक तेजी से भरने की उम्मीद है…
UGC ने एक आधिकारिक नोटिस में कहा कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए सहायक प्रोफेसरों की सीधी भर्ती के लिए अनिवार्य योग्यता के रूप में पीएचडी की तिथि को 1 जुलाई 2021 से बढ़ाकर 1 जुलाई, 2023 करने का फैसला किया है…जिन उम्मीदवारों को यूजीसी के नियमों के अनुसार पीएचडी की डिग्री दी गई है, उन्हें NET/SET/SLET की न्यूनतम पात्रता शर्त की आवश्यकता से छूट दी जाएगी…
इससे पहले UGC से इस नियम को लागू करने में देरी की मांग करते हुए कई एप्लिकेशन मिले थे जिसमें दावा किया गया था कि यह NET योग्य उम्मीदवारों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगा…
यूजीसी ने पीएचडी की अनिवार्यता को खत्म कर बड़ा कदम उठाया है…नेट की परीक्षा के जरिए छात्रों की क्षमता को जांच लिया जाता है..ऐसे में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए इसे न्यूनतम योग्यता माना जाना सही कदम है…दरअसल पीएचडी करने में छात्रों को 6 साल तक लग जाते हैं… ऐसे में जिन छात्रों का उद्देश्य सिर्फ शिक्षक के तौर पर काम करना है उन्हें जल्द असिस्टेंट प्रोफेसर बनने का मौका मिलेगा…भर्ती के बाद भी ये छात्र अपनी पीएचडी पूरी कर सकते हैं…