UAE changed the rules regarding giving birth to children, which was never allowed before now, Muslim countries are surprised

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UAE changed the rules regarding giving birth to children, which was never allowed before now, Muslim countries are surprised

बच्चे पैदा करने को लेकर UAE ने बदले नियम, जो पहले कभी नहीं हुआ अब उसकी इजाजत, मुस्लिम देश हैरान

पूरी दुनिया में जीवन जीने के जो नियम कायदे हैं मुस्लिम देशों में उससे अलग या यूं कहें कि मानवाधिकारों की कमी जिसे Muslim countries अपने धर्म का चोला पहनाकर आम लोगों से दूर रखते हैं…लेकिन इसमें अब धीरे-धीरे बदलाव हो रहे हैं…लोगों में बढ़ती जागरूकता के चलते समाज के ठेकेदारों और सरकारों में नियमों में बदलाव करना ही पड़ रहा है…इसी कड़ी में बच्चे पैदा करने को लेकर UAE सरकार ने बड़ा बदलाव किया है जो अपने आप में सराहनीय है…क्या है UAE का ये पूरा फैसला…देखिए हमारी ये स्पेशल रिपोर्ट…

शादी के बाद बच्चे हर जोड़े का सपना होता है और अगर ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है तो सोरगेसी या IVF जैसे तरीकों से घरों में किलकारियां गूंजती हैं… लेकिन मुस्लिम देशों में इसकी मान्यता बहुत कम है…लेकिन संयुक्त अरब अमीरात में बच्चों को लेकर हाल में कानून में संशोधन किया गया…नया नियम अब लोगों को सरोगेसी के माध्यम से बच्चे के जन्म का विकल्प चुनने की अनुमति देता है जो पहले नहीं था…कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार संघीय कानून में संशोधन ने अभूतपूर्व बदलाव की शुरुआत की है जो प्रजनन तकनीकों के प्रति देश के दृष्टिकोण में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है…सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक महिला किसी कपल या किसी व्यक्ति के बच्चे को जन्म देने और पालने के लिए सहमत होती है…और इसको कानूनी मान्यता देकर UAE ऐसा करने वाला पहला मुस्लिम देश बन गया है…

UAE में हुए संशोधनों में विवाह प्रमाण पत्र के बिना गैर-मुस्लिम पक्षों को चिकित्सकीय सहायता प्राप्त प्रजनन तकनीकों IVF का विस्तार करना औऱ सरोगेसी की अनुमति देना शामिल है…लेकिन संयुक्त अरब अमीरात में कपल्स के लिए इसका क्या मतलब है इसको लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं…जानकारों के मुताबिक अविवाहित और गैर-मुस्लिम जोड़े संबंधित नियामकों के पास आवेदन करने के बाद कानून का उपयोग कर सकते हैं…वे अब सरोगेसी सहित देश के भीतर किसी भी कानूनी सहायता प्राप्त गर्भधारण और प्रजनन सेवाओं तक पहुंच सकते हैं…लेकिन अगर तीनों में से यानि कपल और सरोगेसी में जाने वाली महिला कोई भी एक मुस्लिम है तो शादी की शर्त को मानना हर हाल में अनिवार्य होगा…

सरोगेसी को रोकने वाले पूर्व कानून को खत्म कर दिया गया है…नया कानून सरोगेसी का नियमन प्रत्येक अमीरात पर छोड़ता है…जानकार कहते हैं कि कानून मुस्लिम और गैर-मुस्लिम प्रवासियों पर लागू होता है…हालांकि नए कानून के अनुच्छेद 8(2) के तहत संबंधित नियामक के पास आवेदन करने पर अविवाहित रहते हुए केवल गैर-मुस्लिम ही प्रासंगिक सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं…ऐसे कपल के लिए जहां एक या दोनों साथी मुस्लिम हैं सेवाओं तक पहुंचने के लिए शादी एक शर्त है…हालांकि वर्तमान कानून में इस बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है कि सरोगेट्स को कैसे चुना जाएगा और कोई विशिष्ट मानदंड पब्लिश नहीं किया गया है…लेकिन फिर भी UAE जैसे देश में इस तरह का फैसला लैंडमार्क फैसला माना जा रहा है…

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