त्रिपुरा का एचआईवी संकट एक छोटी सुई से फैला कहर

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*एक छोटी सुई बनी , एचआईवी का सबसे बड़ा कारण ।।*Tripura‘s HIV crisis news

जी हां मेरा यह स्टेटमेंट भले ही आपको अजीब सा लग सकता है ,पर हां ,यही सच है , आज की खास खबर में हम बात करेंगे कैसे करीबन 800 से ज्यादा बच्चे एचआईवी पॉजीटिव पाए गए, और करीबन 45 बच्चों की मौत भी हुई, और बस इतना ही नहीं,  करीबन 1790 लोग, पूरे शहर त्रिपुरा में एचआईवी पॉजीटिव पाए गए है । –Tripura‘s HIV crisis news

सबसे पहले तो आपको एचआईवी के बारे में बता दे एचआईवी का मतलब है ––”ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस”(HIV) ।

एक ऐसा वायरस है जो हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी की वह कोशिकाएं जो हमें किसी भी बीमारी को आसानी से नहीं होने देती और बीमारियों के खिलाफ हमारी रक्षा करती है, तो यह वाइरस उन्हें कोशिकाओं को नष्ट कर देता है, और अगर किसी भी व्यक्ति को एचआईवी होता है, तो उसकी प्रतिरोधक क्षमता को नुकसान पहुंचता है, और कोई भी बीमारी उसे आसानी से संक्रमित कर देती और वक्त के साथ उसका शरीर उन बीमारियों से लड़ नहीं सकता और उसकी जान चली जाती है । –Tripura‘s HIV crisis news

*अब सबसे इंपोर्टेंट बात ऐसे मास लेवल पर ऐसी चीज आखिर हुई कैसे?*

तो इसका  जवाब देते हुए त्रिपुरा स्टेट AIDS कंट्रोल सोसायटी के सीनियर ऑफिशल ने बताया कि उनके जांच के मुताबिक उन्होंने करीबन 220 स्कूल और 24 कॉलेजेस और यूनिवर्सिटी की पहचान की है जिनमें उन्होंने पाया कि वहां के विद्यार्थी ड्रग्स का सेवन करते थे । उन्होंने अपने रिपोर्ट में बताते हुए कहा कि उन्होंने करीबन 164 अलग-अलग सबडिविजंस के हेल्थ फैसेलिटीज की रिपोर्ट को संग्रहित करके एक रिपोर्ट बनाई जिसके मुताबिक यह दावा वह कर रहे हैं । 

हमारे भारत में ड्रग्स लेना कोई सस्ती चीज है नहीं , और सबसे बड़ी बात कॉलेजेस और स्कूल में आखिर ड्रग्स पहुंच कैसे इतने आराम से बच्चे कैसे ड्रग्स को ले पा रहे थे इसके लिए एक बहुत ज्यादा फाइनेंशियल हेल्प भी चाहिए तो जांच के दौरान यह बिल्कुल साफ हुआ कि मोस्टली बच्चे अच्छे घर से ,  एक समृद्ध परिवार से बिलॉन्ग करते थे । कुछ बच्चों का कनेक्शन सरकारी परिवार से भी था, और जब ऐसे समृद्ध परिवार के बच्चे अपने पेरेंट्स से कुछ मांगते हैं तो शायद ऐसे पैरेंट पेरेंट्स अपने बच्चों की मांगे पूरी करने में जरा भी नहीं कतराते , और शायद बस यही सबसे बड़ा कारण बना इन युवाओं में इस बीमारी का फैलना , 

इससे अभी राहत की सांस नहीं ले जा सकती क्योंकि उनकी इस रिपोर्ट के हिसाब से कई ऐसे बच्चे हैं जो अफेक्टेड हैं पर पढ़ाई के लिए वह दूसरे शहर में जाकर या दूसरे राज्य में जाकर बस गए हैं , ऐसी आदतों वाले बच्चे आगे जाकर और बच्चों को और शहर के बच्चों को प्रभावित कर सकते हैं , 

चलिए आपको एक और kamal  की बात बताते हैं आखिर बच्चों के बीच एचआईवी फैलने का सबसे प्राइमरी मोड ऑफ ट्रांसमिशन था क्या ? 

तो इस बीमारी का बच्चों में फैलने का सबसे बड़ा हथियार एक छोटी सी सुई थी , मेरा मतलब है सिरिंज या  नीडल, ड्रग्स को लेने के लिए या ड्रग्स को हमारे शरीर में इंजेक्ट करने के लिए एक सिरिंज या नीडल की आवश्यकता पड़ती है अब यह बच्चे , एक नीडल  से कई बच्चे ड्रग्स लिया करते थे,  मतलब की अलग-अलग बच्चों का अलग-अलग blood  अलग-अलग veins  में जाया करता था और एचआईवी फैलने के कुछ मुख्य कर्म में से सबसे बड़ा कारण यह भी सामने आता है , 

अब सबसे बड़ी बात इस चीज से निजात कैसे पाया जाए कैसे बचा जाए , सबसे पहले तो एचआईवी एड्स के बारे में सामाजिक जागरूकता को बढ़ाने की आवश्यकता है सरकार को कुछ कदम भी उठाने पड़ेंगे , लीगल एक्शंस भी उठाने पड़ेंगे ।

एक जागरूकता फैलानी जरूरी है कि नीडल शेयरिंग कितना खतरनाक हो सकता है, ड्रग्स को लेकर काउंसलिंग हो सकती है और सब  से खास बात टेस्टिंग होनी चाहिए की एक समूह में से कितनों में एचआईवी पॉजीटिव , पाई  गई है और उनके ऊपर क्या ट्रीटमेंट की जा सकती हैं, ।

अब हम चलिए एचआईवी के प्रमुख उपचार के तरफ बढ़ते हैं अगर कोई बीमारी है तो जरूर इसका उपचार भी है ,एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) एचआईवी/एड्स के इलाज का मुख्य आधार है, जिसमें दवाओं के संयोजन शामिल होते हैं जो शरीर में वायरस के प्रतिकृति को दबाते हैं। एआरटी वायरस की गतिविधि को अवरुद्ध करके रक्त में एचआईवी के निम्न स्तर को बनाए रखने में मदद करता है, जिसे वायरल लोड कहा जाता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली की सुरक्षा होती है और एड्स की प्रगति को रोका जाता है। यह थेरेपी एचआईवी का इलाज नहीं करती, लेकिन इसे प्रभावी रूप से नियंत्रित करती है, जिससे एचआईवी के साथ जी रहे लोग लंबा और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। एआरटी की प्रभावशीलता के लिए इसका सही से पालन करना महत्वपूर्ण है, जिसके लिए रोज़ाना निर्धारित दवा लेना आवश्यक है। निरंतर अनुसंधान का उद्देश्य एआरटी रेजिमेंस को बेहतर परिणाम और कम साइड इफेक्ट्स के लिए सुधारना है।

इस संकट से उबरने के लिए हमें सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। सामाजिक जागरूकता, कड़ी निगरानी और उचित उपचार से ही हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं। एचआईवी के प्रति जागरूकता फैलाएं, नीडल शेयरिंग की खतरनाक प्रवृत्ति को रोकें, और एचआईवी से ग्रस्त लोगों को सही इलाज उपलब्ध कराएं।

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