क्या आपको लगता है कि Netaji कांग्रेस के डर से कभी सामने नही आये ?
अगस्त 18 1945 एक प्लेन क्रैश में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हो गई, यह शायद हम सभी को पढ़ाया गया हैं। लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं ,कि इस खबर के कुछ ही दिनों के बाद जापान के ही टोक्यो और ताईवान की प्रेस रिपोर्ट में इस बात को नकारा गया था।इससे भारत में भी कई सवाल उठने लगे ,यहां तक की आजादी के बाद 3 दिसंबर 1995 को एक कमेटी बिठाई गई । जिसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई श्री सुरेश चंद्र बोस भी साथ शामिल थे। इस कमिसन का नाम शाह नवाज़ कमिसन था ।
जहां 600 से ज़्यादा लोगो से तैक़ीकात करने के बाद कमिटी मेंबर्स ने यह स्वीकार कर लिया के Netaji की मृत्यु एक प्लेन क्रैश के दौरान हुई थी ,वही उनके भाई सुरेश चंद्र बोस ने इस कमिटी की रिपोर्ट पे साइन करने से मना कर दिया । उसकी एक बड़ी वजह यह थी कि ताईपे जो कि इस घटना का एक बड़ा हिस्सा है वहाँ कोई भी तैक़ीक़त नही हुई थी ।
Netaji सुभाष चंद्र बोस, मंचूरिया के रास्ते टोक्यो पहुंचने के लिए निकले ,तब वह साईगो के रास्ते से जा रहे थे और उनकी मृत्यु ताईपी में एक प्लेन क्रैश के दौरान हुई थी।यदि उनकी मृत्यु प्लेन क्रैश में हुई है,तो ऐसा कैसे हो सकता है कि उनके बाकी के साथियों ने भी उनका मृत शरीर नहीं देखा। ऐसा कैसे हो सकता है कि इतने बड़े हादसे की एक भी ऑफिशियल तस्वीर जापान की तरफ से नहीं दी गई।
आश्चर्य की बात तो यह है कि खुद गांधी जी ने सुभाष चंद्र बोस के परिवार को पत्र लिखा कि वह Netaji के श्राद्ध ना करें , क्योंकि अंतरात्मा कहती है कि सुभाष चंद्र बोस अभी भी जिंदा है।
जब शाह नवाज़ कमिसन पे दबाव पड़ा तो 1970 में इंदिरा गांधी सरकार ने फिर से खोसला कमिशन का संगठन किया जिसमें समर गुहा ने एक अहम भूमिका निभाई । इस कमेटीने ताइवान में भी तहकीकात की पर इनकी रिपोर्ट भी शाह नवाज़ से मेल खाती थी। समर गुहा जो इन कमिटी के अहम सदस्य थे उन्होंने कुछ साल बाद इस रिपोर्ट से असहमति जताई ।
आगे जाके बहुत सी थ्योरी सामने आई ,एक थ्योरी के अनुसार शुभाष चंद्र बोस की मृत्यु जापान में नही बल्कि रसिया में हुई थी । परंतु इस बात के कोई ठोस सबूत नहीं मिले है ।
सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के के इर्द गिर्द जो अफवा फेल रही थी उसे टैब हवा मिली जब मुखर्जी कमेटी ने प्लेन क्रैश की थ्योरी से असहमिति जताई
यहाँ तक कि यह भी माना जाता है के लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के ठीक एक दिन पहले वह शुभाष चंद्र बोस से भी मिले थे। इस घटना की एक तस्वीर आज भी इंटरनेट पर मौजूद है जहाँ एक व्यक्ति की शक्ल हूबहू नेताजी से मिलती है जो कि शास्त्री जी के पीछे खड़ा हैं।
इन सब मैं से जो सबसे ज़्यादा प्रचलित है वह है अनुज धर द्वारा प्रचलित गुमनामी बाबा की कहानी ।उनके अनुसार सुभाष चंद्र बोस भारत मे 1985 तक जिंदा रहे और उत्तरप्रदेश के एक गांव में रहते थे । इस बात को सही मानने की उनके पास कई वजह है ।
- गुमनामी बाबा की मृत्यु के पश्चात उनके कमरे से ऐसी कई चीज़े बरामत हुई जो कि सुभाष चंद्र बोस की हो सकती है ।
- उन्हें वैश्विक राजनीति, युद्ध नीति और कई भाषाओं का ज्ञान था ।
- कई लोगो ने उनकी घर पर बोहोत से राजनेता और सुभाष चंद्र बोस के परिवार के लोगो को आते जाते देखा है ।
- एक अमेरिकीन एक्सपर्ट से जब गुमनामी बाबा और सुभाष चंद्र बोस के हस्ताक्षर को मिलवाया गया तप यह सामने आया कि वह एक ही इंसान द्वारा लिखे गए खत है ।
- जब जापान से डीएनए टेस्ट के लिये नेताजी की आस्तियों के सैम्पल मांगे गए तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया ।
इतने सालों बाद भी उनकी मृत्यु ले सवाल का एक संतोष जनक जवाब नही मिला । क्यों ? यह कुछ राजनेताओ के अलावा कोई भी नही जानता पर एक बात निश्चित है कि वह आज भी भारतीयों के हृदय में सम्मान सहित जीवित है।
#netajisubhaschandrabose , #japan , #shahnawazcommittee , #khosla committee ,#mukheerjeecommitee , #taipie , #gumnamibaba, #anujdhar, #russia ,