The Truth About Caste Census | Who Wants It And Who Doesn’t |

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क्या आप ये जानते हैं कि भारत में जाति के आधार पर आखिरी बार कब Census हुई थी? और आपको क्या लगता है कि जातिगत जनगणना करने से किसको क्या फायदा होगा, और किसको क्या नुकसान? क्या आपको भी लगता है कि जाति के आधार पर जनगणना करना देश की एकता और अखंडता को मजबूत करेगा, या फिर कमजोर? मौजूदा परिवेश में जाति के आधार पर जनगणना का मुद्दा भारत की राजनीति में कितना गरमाया हुआ है, और इस पर राजनीतिक दल और देश की जनता आमने-सामने हैं?

अगर आपके मन में भी इन सबका जवाब जानने की जिज्ञासा है, तो ये वीडियो आपके लिए ही है, जिसमे हम आपको जाति के आधार पर जनगणना के बारे में हर एक बात बताएंगे, जो आपको जाननी चाहिए। जी हा आज हम बात करेंगे जाति जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रही तीखी बहस के बारे में। नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़। 

जाति जनगणना का मुद्दा आज के समय में बहुत ही गंभीर और संवेदनशील है, क्योंकि इससे देश की आबादी के विभिन्न समुदायों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का पता चलता है, जिसके आधार पर उन्हें आरक्षण, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और अन्य सुविधाओं का लाभ मिलता है। जातीगत जनगणना के जो भी समर्थन में हैं, वो कहते हैं कि इससे नीतियां बनाने में मदद मिलेगी, और वंचित और कमजोर वर्गों को उनका हक मिलेगा। उनके अनुसार जाति के आधार पर जनगणना से यह पता चलेगा कि विभिन्न समुदायों में कितने अनपढ़ और पढ़े लिखे है , कितनो को रोजगार की आवश्यकता है, और किस समुदाय के पास घर और अन्य सम्पत्तिया है या नहीं। इससे नीतिगत फैसले लेने में मदद मिलेगी, और संसाधनों का समान वितरण होगा।

लेकिन जाति जनगणना के जो विरोध में हैं, वो कहते हैं कि इससे देश की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचेगा, और जातिवाद और साम्प्रदायिकता का फैलाव होगा। वे कहते हैं कि जाति जनगणना से लोगों को अपनी जाति के आधार पर ही पहचाना जाएगा, और उनकी योग्यता और योगदान को नजरअंदाज किया जाएगा। वे कहते हैं कि जाति जनगणना से देश की विकास योजनाओं में बाधा आएगी, और विभिन्न वर्गों के बीच तनाव बढ़ेगा।

आपको बता दे कि, भारत में जाति के आधार पर जनगणना आखिरी बार 1931 में हुई थी, जिसके बाद 1951 में सरकार ने फैसला किया कि सिर्फ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आंकड़े ही जुटाए जाएंगे। इसके बाद से ही एससी और एसटी के आंकड़े जारी होते हैं, लेकिन अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के आंकड़े नहीं। 2011 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना कराने का फैसला लिया, लेकिन उसके आंकड़े अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।

लोकसभा चुनाव से पहले जातीगत जनगणना का मुद्दा आज की राजनीति में काफी गर्म है, और इस पर कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी बहस चल रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में जाति जनगणना की मांग के साथ-साथ आरक्षण में बदलाव की मांग की है, और कहा है कि 2011 में हुई जाति जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक किए जाएं। वहीं, भाजपा ने इस मांग को नकारते हुए कहा है कि जाति जनगणना से देश को नुकसान होगा, और ये एक विभाजनकारी कदम है। भाजपा ने कहा है कि जाति जनगणना के बजाय आय और आर्थिक स्थिति के आधार पर आरक्षण देना चाहिए।

वैसे जाति जनगणना के फायदे और नुकसान के बारे में विभिन्न वर्गों के विचार और राय अलग अलग है, इस पर आपका नजरिया क्या कहता है ? अगर आपके मन में इस विषय पर कोई सवाल या सुझाव है, तो आप हमें ट्विटर, फेसबुक, या इंस्टाग्राम पर भेज सकते हैं।

आशा है कि आपको यह कार्यक्रम पसंद आया होगा, और आपको जाति जनगणना के बारे में नई जानकारी मिली होगी। अगर आपको यह वीडियो पसंद आया हो, तो कृपया इसे लाइक, शेयर और AIRR न्यूज़ को यूट्यूब, इंस्टाग्राम, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर फॉलो ,सब्सक्राइब और लिखे जरूर करें।  नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़। 

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