Telangana: Controversy Over Changing City Names and Communal Tensions – AIRR News

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    Telangana: Controversy Over Changing City Names and Communal Tensions

    तेलंगाना: Changing City Names पर विवाद और सांप्रदायिक तनाव

    “कांग्रेस ने हैदराबाद को बनाया। यहां की बीआरएस सरकार आपको 17 सितंबर को मनाने नहीं देती, जो भाजपा की सत्ता में आने पर होगा। हम भाग्यनगर बनाने के लिए आए हैं,” 

    योगी आदित्यनाथ का शनिवार 25  नवम्बर 2023  को दिए गए भाषण में ऐसा कहकर विपक्ष में छटपटाहट पैदा कर दी थी। 

    आपको बता दे कि, 17 सितंबर का महत्व तेलंगाना में इसलिए है क्योंकि इसी दिन, 1948 में, भारतीय सशस्त्र बलों ने हैदराबाद राज्य का नियंत्रण अपने हाथो में ले लिया था, जिससे 200 साल पुराने निजाम शासन का अंत हुआ और हैदराबाद दक्खन क्षेत्र, जिसमें वर्तमान तेलंगाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्से शामिल थे, इनका आज़ाद भारत में विलय कर दिया था।  

    आगे योगी आदित्यनाथ का कहना था कि, “कांग्रेस ने हैदराबाद को बनाया और वहां की BRS  सरकार 17 सितंबर को मनाने नहीं देती, जो भाजपा की सत्ता में आने पर होगा”। उनके कहे अनुसार आदित्यनाथ तेलंगाना में भाग्यनगर बनाने के लिए आए हैं, जिसका साफ़ संकेत यह है कि अगर भाजपा सत्ता में आती है, तो वे हैदराबाद का नाम  सत्ता में आते ही भाग्यनगर कर देंगे। 

    आपको बता दे कि ,2024 लोकसभा चुनावो की आहट कहे या फिर वर्तमान विधानसभा चुनाव में अपनी जीत पक्की करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष की छटपटाहट , जो भी हो मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के इस बयान के पीछे की विचारधारा, इसके प्रभाव और इससे उठने वाले मुद्दों को समझने के लिए, हमें भारत में शहरों के नाम बदलने के इतिहास को देखना होगा। 

    आज़ादी के तुरंत बाद भारत में शहरों के नाम बदलने का इतिहास शुरू हो गया था, जब 1947 में  ब्रिटिश शासन का अंत हुआ।  आपको बता दे कि , कई भारतीय राज्यों के नाम ब्रिटिश राज में भी बदले गए थे और आज़ाद भारत में , कई राज्यों ने अपने स्थानीय भाषा और विभिन्न अन्य वजह से नाम बदलने का प्रस्ताव रखा था । इनमे से कई परिवर्तन विवादित भी हुए थे ,हालाँकि ये बात अलग है कि कुछ प्रस्तावों को छोड़कर काफी प्रस्ताव ऐसे थे जिन्हे तत्कालीन सरकार ने नहीं माने, और उन पर काफी बवाल भी मचा था ।

    अब बात करते है भाजपा द्वारा उठाये गए हैदराबाद का नाम बदलने का मुद्दे कि , जिसकी विपक्षी दलों ने घोर आलोचना की है। 

    आपको बता दे कि ,उत्तर प्रदेश में योगी ने सत्ता सँभालते ही , इलाहबाद का नाम प्रयागराज, फैजाबाद का नाम अयोध्या में बदल दिया था अगर हम विपक्ष कि माने तो अब अलीगढ़ को हरिगढ़, मैनपुरी को मयन नगर, फिरोजाबाद को चंद्र नगर और मिर्जापुर को विद्या धाम नाम देने कि भी तैयारी है 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ताकि इस मुद्दे को लोकसभा चुनाव में भुनाया जाए।  

    इस मुद्दे को लेकर काफी विवाद चल रहा है, क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि शहरों के नाम बदलने से उनकी सांस्कृतिक धरोहर को नष्ट किया जा रहा है।  इसके अलावा, ऐसा करने से सामाजिक और धार्मिक तनाव भी बढ़ता है। 

    इसका उद्दाहरण है  2013 में हुए मुजफ्फर नगर दंगे जिसमे जाट हिन्दुओ और मुस्लिमो के बीच के 62  लोगो कि मौत हुई और 5000  से ज्यादा लोगो को पलायन करना पड़ा।  इसके अलावा मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा था कि उनके राज में कोई दंगा नहीं हुआ , लेकिन  नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के 2017 के डाटा में 8990 और 2019 में 5714 दंगे हुए थे वर्तमान के अकड़े अभी तक उप्लंध नहीं किये गए है।  इन सभी दंगो का आधार हिन्दू मुस्लिम के बीच मनमुटाव रहा था। 

    इसलिए किसी भी हालात में साम्प्रदायिक सद्भावना के खिलाफ कि गयी कोई भी कार्यवाही या भाषण इन नेताओ के लिए कितना भी लाभदायक हो , लेकिन आम नागरिको के लिए सब किसी भयानक हादसे कि आहट जैसे लगते है। 

    धन्यवाद् !

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