Which technology is used to prevent train accidents in India?

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Which technology is used to prevent train accidents in India?

 भारत में train accidents रोकने के लिए कौन सी तकनीकि का इस्तेमाल होता है?.

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के बाद देश में एक बार फिर ट्रेनों की सुरक्षा को लेकर चर्चा तेज़ हो गई है…कैसे हुई ये दुर्घटना इसको लेकर CBI अपनी जांच कर रही है लेकिन सवाल ये है कि क्या इस दुर्घटना को रोका जा सकता था? क्या इन ट्रेनों में वो सारे सुरक्षा यंत्र लगे थे जिनसे किसी भी रेल दुर्घटना को रोक सकते हैं? इस सवाल के साथ सभी लोग ये जानना चाहते हैं कि ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भारत में कौन सी तकनीक  का इस्तेमाल किया जाता है? आज हम अपने इस वीडियो में इसी का जिक्र करेंगे…

सबसे पहले बात करेंगे इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग यानि EI का जो एक प्रकार का रेलवे सिग्नलिंग सिस्टम है, जो सिग्नलिंग, पॉइंट्स और ट्रैक सर्किट को प्रबंधित और समन्वयित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक घटकों का उपयोग करता है…यह इन बिंदुओं, संकेतों और ट्रैक सर्किट की स्थिति की निगरानी करता है और दुर्घटना को होने से रोकने के लिए ऐसे घटकों को जोड़ता है…उदाहरण के तौर पर देखें तो अगर दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर आ जाएं तो ये सिस्टम अलर्ट जारी करता है…

भारतीय रेलवे ने 2018 से ट्रेन के इंजन में ‘विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस’ भी लगाया है…यह उपकरण एक मल्टी-रीसेटिंग सिस्टम के माध्यम से चालक की सतर्कता की निगरानी करता है, जो चालक दल की सामान्य परिचालन गतिविधियों द्वारा रीसेट हो जाता है…इसका मतलब है कि डिवाइस तब काम करता है जब चालक एक मिनट के लिए रिस्पॉन्स नहीं देता…इसके अगले 16 सेकंड के भीतर एक ऑडियो-विजुअल संकेत शुरू हो जाता है…इसे चालक को बटन दबाकर स्वीकार करना होता है…अगर पायलट इस संकेत का भी जवाब नहीं देता तो स्वचालित आपातकालीन ब्रेकिंग 16 सेकंड के बाद शुरू होती है जो ट्रेन को रोक देती है…

अब बात करते हैं कवच की जो एक स्वदेशी ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है…यह लोको पायलटों को खतरे के दौरान सिग्नल पास करने और ओवर स्पीडिंग से बचने में सहायता करता है…साथ ही ये तूफान या घने कोहरे के दौरान भी ट्रेन संचालन में सहायता करता है…हालांकि ओडिशा में दुर्घटना का शिकार हुई ट्रेनों में से एक कोरोमंडल एक्सप्रेस में अभी कवच सिस्टम नहीं लगा है 

कवच किसी भी दिशा से आने वाली ट्रेन का पता लगाने में सक्षम है…ये RFID रीडर के जरिए ट्रैक पर आ दूसरी ट्रेन से होनी वाली झंझनाहट को पढ़ लेता है…अगर ओडिशा में हादसे का शिकार हुई ट्रेनों में कवच होता तो लोको पायलट को ट्रैक पर आ रही दूसरी ट्रेन की जानकारी मिल जाती है, जिससे घातक दुर्घटना को कुछ हद तक रोका जा सकता था…


अब बात एंटी कोलिजन डिवाइस की जिसे टक्कर रोधी उपकरण या रक्षा कवच भी कहा जाता है…इसे कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन ने उच्च गति पर टक्करों को रोकने के लिए विकसित किया गया है जो सिग्नलिंग और इंटरलॉकिंग सिस्टम की विफलता के समय काम करता है…दूसरे शब्दों में कहें तो एंटी कोलिजन डिवाइस जीपीएस सिस्टम पर आधारित है…इसका मुख्य काम टकराव जैसी स्थिति आने पर ट्रेन में ब्रेक सिस्टम चालू करके तेजी से चल रही ट्रेन की टक्कर को रोकना है…इसे सिर्फ नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे पर लगाया गया है…

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