हर साल Tamil Nadu के हजारों मछुआरों के जीवन और आजीविका को प्रभावित कर रहा एक मुद्दा जिसका अब समाधान मिलता नजर आ रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं श्रीलंका द्वारा Tamil Nadu के मछुआरों को गिरफ्तार करने की घटना के बारे में। इस विषय पर Tamil Nadu के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से कूटनीतिक हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा है कि यह मामला Tamil Nadu के मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए तत्काल और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता से जुड़ा है।-Tamil Nadu- Fishermen Imprisoned in Sri Lanka
लेकिन क्या यह इतना आसान है?
क्या भारत और श्रीलंका के बीच इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है?
क्या Tamil Nadu के मछुआरों को अपनी मछली पकड़ने की तकनीक बदलनी चाहिए?
क्या श्रीलंका के मछुआरों को भी इस मामले में कोई हक है?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए जुड़े रहिये हमारे साथ। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
पिछले महीने श्रीलंका ने 23 Tamil Nadu के मछुआरों को गिरफ्तार किया, जिनपर अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा पार करने का आरोप लगाया गया था। इनमें से तीन मछुआरों को आदतन अपराधी घोषित करके सालो की कैद की सजा सुनाई गई। इसके अलावा, उनकी दो नावों को भी जब्त कर लिया गया।-Tamil Nadu- Fishermen Imprisoned in Sri Lanka
इस घटना ने Tamil Nadu के मछुआरों में आक्रोश और निराशा पैदा की। उन्होंने अपनी नावों पर काले झंडे बांधकर अपना विरोध प्रदर्शन किया। उनकी मांगें थीं कि भारत सरकार उनके साथियो की रिहाई के लिए श्रीलंका के साथ बातचीत करे, और उन्हें अपने अधिकारों और सुरक्षा का भरोसा दिलाए।
तमिलनाड में यह समस्या नई नहीं है। भारत और श्रीलंका के बीच पाक जलसन्धि में मछुआरों का संघर्ष दशकों से चल रहा है। पाक जलसन्धि क्षेत्र भारत के दक्षिण-पूर्वी तट और श्रीलंका के बीच एक आधा-बंद उथला पानी का क्षेत्र है। इस क्षेत्र में दोनों देशों के मछुआरे सदियों से मछली पकड़ते आ रहे हैं।
इस समस्या की जड़ तो 1974 में भारत और श्रीलंका के बीच समुद्री सीमा समझौते में छिपी हुई है। इस समझौते के तहत, दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) को निर्धारित किया था। इस समझौते में कच्चतीवु द्वीप को भी श्रीलंका को सौंप दिया गया था, जो पहले Tamil Nadu के मछुआरों द्वारा अपनी मछली और जालों को साफ करने और सुखाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
1976 में, दोनों देशों ने पत्रों के आदान-प्रदान के माध्यम से एक दूसरे के पानी में मछली पकड़ना बंद करने का समझौता किया था। लेकिन इस समझौते को लागू करना असंभव साबित हुआ, क्योंकि मछुआरे कोई सीमा नहीं जानते। वे अपनी पारंपरिक मछली पकड़ने की जगहों को छोड़ने को तैयार नहीं थे।
इस समझौते के बाद भी, दोनों देशों के मछुआरों के समुदाय शांतिपूर्ण ढंग से पाक जलसन्धि क्षेत्र में मछली पकड़ते रहे, जब तक कि 1983 का श्रीलंकाई गृहयुद्ध शुरू नहीं हुआ। युद्ध के दौरान, श्रीलंका के मछुआरों को पानी में मछली पकड़ने से रोका गया, और भारतीय मछुआरों को इस क्षेत्र में अधिक स्वतंत्रता मिली।
लेकिन 2009 में युद्ध के खत्म होने के बाद, श्रीलंका के मछुआरों ने भारतीय मछुआरों के द्वारा इस क्षेत्र में मछली पकड़ने का विरोध करना शुरू कर दिया। उन्होंने यह आरोप लगाया कि भारतीय मछुआरे ट्रॉलिंग के जरिए उनके समुद्री संसाधनों को लूट रहे हैं, और उनके मछुआरों को अपनी रोजी-रोटी के लिए जगह नहीं छोड़ रहे हैं।
ट्रॉलिंग एक ऐसी मछली पकड़ने की विधि है, जिसमें एक बड़ा जाल एक नाव के पीछे खींचा जाता है, जो समुद्र के तल पर या उसके करीब से गुजरता है। इससे बहुत सारी मछलियां और अन्य समुद्री जीवों को पकड़ा जाता है, लेकिन इसका असर समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर भी पड़ता है।
श्रीलंका के मछुआरे ट्रॉलिंग को अवैध मानते हैं, और अपनी मछली पकड़ने की विधि को जैविक और सतत मानते हैं। वे कहते हैं कि भारतीय मछुआरों की ट्रॉलिंग ने उनके समुद्री जीवन को नष्ट कर दिया है, और उन्हें अब मछली पकड़ने के लिए अधिक दूर जाना पड़ता है।
इसके अलावा, श्रीलंका के मछुआरों का यह मानना है कि भारतीय मछुआरे उनके अधिकारों,संस्कृति और परंपरा का अपमान कर रहे हैं। वे यह भी कहते हैं कि भारतीय मछुआरों को कच्चतीवु द्वीप पर जाने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि वह श्रीलंका का हिस्सा है, और उन्हें वहां से दूर रहना चाहिए।
इस प्रकार, दोनों देशों के मछुआरों के बीच एक तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है, जिसमें श्रीलंका की नौसेना भारतीय मछुआरों को बार-बार गिरफ्तार करती है, उनकी नावों को जब्त करती है, और कभी-कभी उन पर गोली भी चलाती है। इससे भारतीय मछुआरों को न केवल आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि उनकी जान भी खतरे में पड़ती है।
भारत और श्रीलंका के बीच इस मुद्दे को हल करने के लिए कई बार बातचीत और वार्ता हुई है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है। दोनों देशों ने 2016 में एक संयुक्त कार्यदल (JWG) की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य इस मुद्दे पर एक निरंतर और समन्वयित तरीके से काम करना था। JWG के अनुसार दोनों देशों के मछुआरों को अपने पानी में ही मछली पकड़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए , और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा का भी सम्मान करना चाहिए। साथ ही भारतीय मछुआरों को ट्रॉलिंग से बचने के लिए प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करने, और उन्हें अन्य जैविक और सतत मछली पकड़ने की विधियों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने के अलावा दोनों देशों के मछुआरों के बीच एक व्यापक और नियमित संवाद स्थापित करना, और उन्हें एक दूसरे की समस्याओं और चुनौतियों को समझने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।-Tamil Nadu- Fishermen Imprisoned in Sri Lanka
JWG का सुझाव है कि श्रीलंका द्वारा गिरफ्तार या जब्त किए गए सभी भारतीय मछुआरों और नावों को शीघ्र ही रिहा या वापस करना, और उनके साथ किसी भी प्रकार के हिंसा का परहेज करना बहुत जरुरी है।
लेकिन इन सुझावों को लागू करने में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है, और इस मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच एक गहरी असहमति बनी हुई है। लेकिन फिलहाल इस मुद्दे पर एक सम्भावना नजर आ रही है जो शायद दोनों देशो के रिश्तो में फिर से मिठास ला सके।
तो, इस विशेष कार्यक्रम में इतना ही, हम आशा करते हैं कि आपको हमारा यह कार्यक्रम पसंद आया होगा, और आपने इस मुद्दे के बारे में कुछ नया जाना होगा। अगर आपके पास इस मुद्दे से जुड़ी कोई राय या सुझाव है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं।
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नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़।