Why is Swami Prasad Maurya insulting Sanatan?
स्वामी प्रसाद मौर्य क्यों कर रहे हैं सनातन का अपमान?
लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, दरअसल राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है विपक्ष की बेचैनी बढ़ती जा रही है. विपक्ष के कई नेता ऐसे बयान दे रहे हैं जिससे आने वाले वक्त में विपक्षी गठबंधन की परेशानी और बढ़ सकती है. कुछ दिनों पहले अखिलेश यादव ने लखनऊ में ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन किया था. इस सम्मेलन का मकसद था कि ब्राह्मणों को पार्टी से जोड़ा जाए, समाजवादी पार्टी को लेकर अगर ब्राह्मणों में कोई नाराजगी है तो उसको दूर किया जाए. सम्मेलन के दौरान ब्राह्मण समाज के नेताओं ने Swami Prasad Maurya के बयानों को लेकर आपत्ति जताई. ब्राह्मण नेताओं ने कहा कि Swami Prasad Maurya सनातन का अपमान करते हैं, रामचरितमानस को लेकर गलत बयानबाजी करते हैं, राम मंदिर पर विवादित बयान देते हैं. बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव ने ब्राह्मण समाज के लोगों को आश्वासन दिया है कि वो ऐसे बयानों पर रोक लगाएंगे. इस सम्मेलन के दो दिन बाद ही Swami Prasad Maurya ने फिर बयान दिया कहा हिंदू धर्म जैसी कोई चीज नहीं है. स्वामी के इस बयान पर फिर घमासान मच गया है, बीजेपी के नेताओं ने इस बयान को लेकर जोरदार पलटवार किया है और अखिलेश यादव से जवाब मांगा है. बीजेपी का कहना है कि यह समाजवादी पार्टी का दोहरा चरित्र दिखता है कि एक तरफ तो ब्राह्मण सम्मेलन करते हैं दूसरी तरफ उनके नेता सनातन को गाली देते हैं और हिंदू धर्म पर सवाल उठाते हैं. उधर कांग्रेस के यूपी प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी इस बयान को लेकर आपत्ति जताई है उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी को स्वामी प्रसाद मोर्य के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए. इंडिया गठबंधन के कुछ और नेताओं ने भी स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर आपत्ति जताई है. जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि इस तरीके के बयान नहीं देने चाहिए जिससे समाज में माहौल खराब हो, समाज को बांटने वाले बयान बिलकुल भी जायज नहीं कहे जा सकते हैं. 2024 के चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन और कांग्रेस के नेताओं के डर सता रहा है कि सनातन विरोधी, हिंदू विरोधी ऐसे बयानों को बीजेपी मुद्दा बन सकती है और ऐसे बयान उसको चुनाव में नुकसान पहुंचा सकते हैं, स्वामी प्रसाद मौर्य इससे पहले रामचरित मानस पर सवाल उठा चुके हैं, उन्होंने रामचरित मानस की कुछ लाइनों को हटाने की मांग की थी. इसके पहले वह राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम पर भी सवाल उठा चुके हैं, जाहिर है बीजेपी ऐसे बयानों को मुद्दा बना लेती है. बीजेपी के नेता समाजवादी पार्टी, इंडिया गठबंधन से सवाल करते हैं की एक तरफ यह चुनाव के वक्त मंदिरों के चक्कर लगाते हैं वहीं उनके नेता सनातन को गाली देते हैं आखिर यह दोहरा चरित्र जनता कैसे बर्दाश्त करेगी. इस बीच राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को लेकर सियासत गरम है. राम मंदिर ट्रस्ट ने सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, अधीर रंजन चौधरी समेत विपक्ष के कई नेताओं को प्राण प्रतिष्ठा का न्योता दिया है, निमंत्रण के बाद अब चर्चा है कि क्या विपक्ष के नेता प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल होंगे, अगर वह शामिल होते हैं तो भी उनको सियासी रूप से नुकसान होने का डर सता रहा है, उनको लगता है कि अल्पसंख्यक, मुस्लिम समाज कहीं उनसे नाराज न हो जाए. दूसरी तरफ अगर विपक्ष के नेता प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में नहीं जाते हैं तो बीजेपी सवाल उठाएगी कि विपक्ष के नेता कभी राम मंदिर का निर्माण नहीं चाहते थे इसीलिए वो राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से दूरी बना रहे हैं, वैसे भी बीजेपी 2024 के चुनावों में राम मंदिर को बड़ा मुद्दा बनाने जा रही है. पार्टी के नेता कह रहे हैं हमनें जो वादा किया था वो पूरा कर रहे हैं. अयोध्या में भव्य रामलला का मंदिर बन रहा है. इस बीच सीपीएम की नेता वृंदा करात ने साफ कह दिया है कि उनकी पार्टी राम मंदिर के उद्घाटन में शिरकत नहीं करेगी. इस बीच स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को लेकर समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा है कि ऐसे बयानों से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है. समाजवादी पार्टी जानती है कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम की तारीख नजदीक आ रही है, लोगों की आस्था का सवाल है इसलिए उसको लगता है कि ऐसे बयान उसको सियासी तौर पर नुकसान पहुंचा सकते हैं अब देखना होगा कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में विपक्ष के नेता पहुंचते हैं या नहीं और इसको लेकर जारी सियासत क्या रुख लेती है.
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