नमस्कार, आप देख रहे हैं Airr News। मैं हूँ [एंकर का नाम], और आज हम बात करेंगे भारतीय पुरुष हॉकी टीम के फॉरवर्ड खिलाड़ी सुखजीत सिंह की प्रेरणादायक कहानी के बारे में। सुखजीत सिंह, जो अब 26 साल के हैं, अपनी हॉकी सफलता का श्रेय अपने पिता को देते हैं। उनके पिता, जो खुद भी एक पूर्व हॉकी खिलाड़ी थे, ने उन्हें केवल चार साल की उम्र में एक हॉकी स्टिक थमाई थी। तब से लेकर अब तक, सुखजीत ने भारतीय पुरुष हॉकी टीम में अपनी जगह बनाने के लिए कई मुश्किलों का सामना किया है।-sukhjit singh latest news
हाल ही में Hockey India द्वारा शुरू की गई पॉडकास्ट सीरीज “Hockey Te Charcha” के ताज़ा एपिसोड में, सुखजीत ने अपनी यात्रा की जटिलताओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा, “मेरे पिता के पास एक बड़ी हॉकी स्टिक थी। उन्होंने उस बड़ी स्टिक को काटकर मुझे दी थी जब मैं लगभग चार या पांच साल का था। मेरे पिता काम से लौटते थे और मुझे मैदान में हॉकी सिखाने ले जाते थे। इसलिए मेरी हॉकी करियर में मेरे पिता ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मेरी मेहनत और मेरे पिता ने सबसे महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं।”-sukhjit singh latest news
सुखजीत आगे चलकर चंडीगढ़ के हॉस्टल में गए, जहां उन्होंने सात साल बिताए। इसके बाद उन्होंने सिंध बैंक, पंजाब पुलिस, इंडियन ऑयल और फिर पंजाब नेशनल बैंक जैसी विभागीय टीमों के साथ खेला। 2018 में बेंगलुरु में इंटर-डिपार्टमेंटल नेशनल चैंपियनशिप में पंजाब नेशनल बैंक टीम के लिए शानदार प्रदर्शन के बाद, उन्हें भारतीय पुरुष हॉकी टीम के लिए चुना गया।-sukhjit singh latest news
हालांकि, सुखजीत के लिए हॉकी में सबसे बड़ी परीक्षा उनकी पीठ की चोट के रूप में आई, जब उन्हें चयनित किया गया था। उन्होंने बताया, “वह मेरे जीवन का सबसे कठिन समय था। मैं उस समय को कभी नहीं भूल सकता क्योंकि मैंने कभी ऐसा दर्द नहीं जाना था। मैं बिस्तर पर बैठ भी नहीं पाता था और खाना भी नहीं खा सकता था; चलने की तो बात ही अलग थी। यह मेरे लिए एक बहुत ही अंधकारमय समय था; मुझे नहीं पता था कि मैं कभी फिर से चल भी पाऊंगा या नहीं।”
सुखजीत ने आगे कहा, “जब मेरे पिता ने मुझे हवाई अड्डे से उठाया, तो मैंने अपने पिता को रोते हुए देखा। मैंने सोचा कि मेरे पिता ने मुझे भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा था और जब मैं वापस आया, तो मैं रोलर वॉकर का उपयोग करके चल रहा था। मेरे पिता ने मुझे गले लगाया और मैं भी रोने लगा। मेरे पिता ने मुझे विश्वास बनाए रखने के लिए प्रेरित किया और मुझमें आत्मविश्वास जगाया। मेरे पिता मुझे ठीक होने के लिए मालिश करते थे। वहां कोई फिजियो नहीं था, मेरे पिता ने सब कुछ किया, वे मेरे कठिन समय में मेरे लिए चट्टान की तरह खड़े रहे, और उन्होंने मुझे फिर से खेलने के लिए तैयार किया।”
इस चोट से उबरकर सुखजीत ने एफआईएच प्रो लीग 2021-2022 सीजन में भारतीय पुरुष हॉकी टीम के लिए अपना डेब्यू किया। तब से, एक फॉरवर्ड के रूप में उनकी प्रगति ने उन्हें एफआईएच ओडिशा हॉकी पुरुष विश्व कप 2023 भुवनेश्वर – राउरकेला और हीरो एशियन चैंपियंस ट्रॉफी चेन्नई 2023 के लिए टीम में जगह दिलाई।
अब सुखजीत चीन में हैं, जहां उनका मिशन 19वें एशियाई खेल हांग्जो 2022 में स्वर्ण पदक जीतने का है। सुखजीत ने चीन जाने से पहले अपनी तैयारियों के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा, “सीनियर खिलाड़ी हमारी मदद करते हैं, अगर हमें संरचना समझ में नहीं आती है, या अगर हमें किसी चीज के बारे में नहीं पता होता है, तो हम उनके पास जाते हैं। इसके अलावा, कोच ने हमें इस तरह से प्रशिक्षित किया है कि चाहे स्ट्राइकर कोई भी हो, अगर हम गोल करने में असफल होते हैं, तो हमें अपने टीम के साथियों के लिए मौका बनाना होता है और यही हम 19वें एशियाई खेल हांग्जो 2022 में करने की कोशिश करेंगे।”
भारतीय पुरुष हॉकी टीम वर्तमान में 19वें एशियाई खेल हांग्जो 2022 के पूल ए में शीर्ष पर है, उन्होंने उज़्बेकिस्तान, सिंगापुर, जापान और पाकिस्तान को हराया है। वे 2 अक्टूबर को ग्रुप स्टेज के अंतिम मैच में बांग्लादेश का सामना करेंगे, जिसमें उनका लक्ष्य शीर्ष दो स्थानों में रहना और सेमीफाइनल में प्रवेश करना है।-sukhjit singh latest news
टीम की मौजूदा सफलता और भविष्य की चुनौतियों पर बात करते हुए, सुखजीत सिंह ने कहा कि टीम का मनोबल उच्च है और हर खिलाड़ी अपनी पूरी क्षमता से प्रदर्शन करने के लिए तत्पर है। उन्होंने यह भी बताया कि कोच और सीनियर खिलाड़ियों का मार्गदर्शन बेहद महत्वपूर्ण है। कोच ने खिलाड़ियों को इस तरह से प्रशिक्षित किया है कि अगर कोई स्ट्राइकर गोल करने में असफल होता है, तो उसे अपने साथी खिलाड़ियों के लिए मौका बनाने का प्रयास करना चाहिए। यही रणनीति उन्हें इस टूर्नामेंट में आगे बढ़ने में मदद करेगी।
सुखजीत ने आगे बताया कि टीम की सफलता का श्रेय उनके सामूहिक प्रयासों को जाता है। हर खिलाड़ी एक-दूसरे की मदद करता है और सीनियर खिलाड़ियों का अनुभव युवा खिलाड़ियों के लिए बेहद उपयोगी साबित हो रहा है। यह सामूहिक सहयोग और टीम भावना ही उन्हें इस महत्वपूर्ण टूर्नामेंट में सफलता की ओर ले जा रही है।
सुखजीत ने अपनी चोट से उबरने के बाद के समय को याद करते हुए बताया कि यह उनके लिए एक कठिन दौर था, लेकिन उनके पिता के समर्थन और प्रेरणा ने उन्हें दोबारा खेल के मैदान पर वापसी करने में मदद की। उन्होंने कहा, “मेरे पिता ने मेरी हर संभव मदद की और मुझे कभी हार नहीं मानने दी। उनके मार्गदर्शन और देखभाल ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया है।”
भारतीय पुरुष हॉकी टीम की इस सफलता में सुखजीत सिंह की भूमिका महत्वपूर्ण है। उनकी कहानी न केवल एक प्रेरणा स्रोत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कठिनाइयों का सामना करते हुए सफलता कैसे हासिल की जा सकती है। सुखजीत की मेहनत, समर्पण और उनके पिता का समर्थन उनकी सफलता की कुंजी रहे हैं।-sukhjit singh latest news
हमें उम्मीद है कि भारतीय पुरुष हॉकी टीम 19वें एशियाई खेल हांग्जो 2022 में अपने शानदार प्रदर्शन को जारी रखेगी और स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन करेगी। हम उनके आगामी मैचों के लिए शुभकामनाएं देते हैं और उम्मीद करते हैं कि वे अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।
आखिर में, हम सुखजीत सिंह और उनकी टीम के सभी खिलाड़ियों के संघर्ष और समर्पण को सलाम करते हैं। उनकी प्रेरणादायक कहानी हमें यह सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी हमें हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा अपने सपनों को पाने की कोशिश करनी चाहिए।जैसा कि हमने देखा, सुखजीत सिंह की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है जो हमें दिखाता है कि कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, सफलता हासिल की जा सकती है। उनकी मेहनत, समर्पण और आदर्श विचारधारा हमें यह बताती है कि अगर किसी को अपने सपनों को पूरा करना है तो उसे परिश्रम करना होगा।-sukhjit singh latest news
टीम भारतीय हॉकी की भी इस सफलता में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। उनका अच्छा प्रदर्शन और सहयोग ने टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उनका अनुभव और मार्गदर्शन नए खिलाड़ियों को सही दिशा में ले जा रहा है और उन्हें अच्छे खिलाड़ियों बनाने में मदद कर रहा है।
सुखजीत सिंह की प्रेरणादायक कहानी सभी को यह बताती है कि जीवन में सफलता हासिल करने के लिए केवल मेहनत ही काफी नहीं होती। समर्पण, सहयोग, और असली उत्साह भी जरूरी होते हैं। इन सभी गुणों के साथ, हर कोई अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है और अपने सपनों को साकार कर सकता है।
आखिरकार, हम उन्हें सुखजीत सिंह की सफलता पर बधाई देते हैं और उनके भविष्य की ओर शुभकामनाएं भेजते हैं। हमें उनके खिलाड़ी जीवन के अगले चरण के लिए उत्सुकता है और उन्हें अगले उच्च स्तर पर जाने के लिए सफलता की शुभकामनाएं देते हैं।
सुखजीत सिंह की प्रेरणादायक कहानी और भारतीय पुरुष हॉकी टीम की उपलब्धि के बारे में नवीनतम अपडेट्स के लिए हमारे साथ बने रहें।
धन्यवाद।
5questions :-
1. सुखजीत सिंह की हॉकी करियर में किन महत्वपूर्ण कदमों ने उन्हें सफलता की ओर ले जाया?
2. उनके पिता का क्या योगदान रहा है उनकी हॉकी सफलता में?
3. सुखजीत सिंह का कौन-कौन सा अच्छा प्रदर्शन उन्हें भारतीय पुरुष हॉकी टीम में चयनित होने का मौका दिया?
4. उनकी हॉकी करियर में क्या-क्या महत्वपूर्ण चुनौतियाँ आईं और उन्होंने इनका कैसे सामना किया?
5. भारतीय पुरुष हॉकी टीम के सफलता में सुखजीत सिंह का क्या योगदान रहा है?
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