लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में फूट,केरल में कांग्रेस से नहीं बनी सहमति

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केरल में भी I.N.D.I.A ब्लॉक में फूट-split in india alliance

CPI ने 4 सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए

वायनाड से राहुल, तिरुवनंतपुरम से थरूर के खिलाफ कैंडिडेट उतारे

लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन में दरार

लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन में लगातार फूट पड़ती जा रही है.. एक के बाद एक कई राज्यों में शीट शेयरिंग को लेकर रणनीति नहीं बन पा रही है… वहां पश्चिम बंगाल और पंजाब के बाद अब केरल में भी विपक्षी I.N.D.I.A ब्लॉक में फूट पड़ गई है.. यहां गठबंधन की प्रमुख सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने सोमवार को 4 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की.. इसमें से राहुल गांधी की संसदीय सीट वायनाड से पार्टी ने एनी राजा को टिकट दिया है..इसके अलावा तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद शशि थरूर के खिलाफ पनियन रवींद्रन को टिकट दिया है.. वहीं, वीएस सुनील कुमार को त्रिशूर से और अरुण कुमार को मवेलिकारा से उम्मीदवार बनाया है.. -split in india alliance

CPI ने केरल में कांग्रेस के दो दिग्गज सांसदों के खिलाफ पार्टी के प्रत्याशी घोषित किए हैं, जबकि पार्टी महासचिव डी राजा I.N.D.I.A ब्लॉक की समन्वय समिति और चुनाव रणनीति समिति के सदस्य हैं.. सीपीआई की वायनाड सीट से उम्मीदवार एनी राजा पार्टी के महासचिव डी राजा की पत्नी हैं.. वे फिलहाल भारतीय राष्ट्रीय महिला फेडरेशन (NFIW) की महासचिव हैं. एनी राजा कन्नूर के इरिट्टी की रहने वाली हैं और उनका जन्म वामपंथी पृष्ठभूमि वाले एक ईसाई परिवार में हुआ था.. आपको बता दें कि CPI नेता और राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा कि यह एक राजनीतिक लड़ाई है..  व्यक्तिगत रूप से मैं राहुल गांधी को एक बहुत अच्छा दोस्त मानता हूं.. -split in india alliance

चुनाव की इस महत्वपूर्ण लड़ाई में कांग्रेस पार्टी का मुख्य दुश्मन कौन है, RSS के नेतृत्व वाली भाजपा या वामपंथी? स्पष्ट है कि मुख्य राजनीतिक शत्रु आरएसएस के नेतृत्व वाली भाजपा है.. क्या कांग्रेस इस बारे में स्पष्ट है?…. अब आपको बताते हैं कि केरण चुनाव का गणित क्या है.. CPI ने 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल में 4 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन तब कोई भी सीट नहीं जीत सकी थी..  केरल में 20 लोकसभा सीटें हैं.. वहीं 2019 में कांग्रेस को 15 सीटें मिली थीं, जबकि दो इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को मिली थीं..

सीपीआई (एम), केसी (एम) और आरएसपी ने 1-1 सीटें जीती थीं… इतना ही नहीं वायनाड के अलावा, त्रिशूर और तिरुवनंतपुरम में भी लोकसभा चुनावों में उम्मीदवारों को लेकर मतभेद देखे जा सकते हैं.. सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ के साथ, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को भी त्रिशूर और तिरुवनंतपुरम में बहुत उम्मीदें हैं.. हालांकि यहां किसी भी पार्टी ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है.. अब आपको राज्यों और सीट शेयरिंग को लेकर बताते हैं.. अगर दिल्ली की बात की जाए तो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच लोकसभा सीटों का बंटवारा 24 फरवरी को फाइनल हुआ था..

दिल्ली में आम आदमी पार्टी 4 और कांग्रेस 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.. वहीं गुजरात की 26, हरियाणा की 10, गोवा की 2 और चंडीगढ़ सीट के लिए भी शेयरिंग फॉर्मूला फाइनल हो गया है… वहीं पंजाब की बात की जाए तो यहां की 13 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस और AAP में सहमति नहीं बनी है.. AAP और कांग्रेस सभी सीटों पर अलग-अलग ही चुनाव लड़ेंगीं.. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब में 10 फरवरी को इसका ऐलान भी किया था.. उन्होंने 21 फरवरी को कहा था- पंजाब में अकेले लड़ने का फैसला जीतने के लिए किया है।​​​​​​.. वहीं एमपी और यूपी की बात करें तो यहां समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने सीटों पर समझौता किया है..

समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 17 सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ी हैं.. मध्यप्रदेश की 29 सीटों में से कांग्रेस ने एक खजुराहो सीट समाजवादी पार्टी को दी है।​.. वहीं महाराष्ट्र में कुल 48 लोकसभा सीटें हैं.. राज्य में उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की NCP और कांग्रेस महाविकास अघाड़ी अलायंस में है.. तीनों पार्टियों में 40 सीट पर सहमति बन गई है.. राहुल ने 22 फरवरी को उद्धव को फोन किया और करीब एक घंटे बात की.. 8 सीटों पर मामला अटका हुआ है.. इसमें छह सीटें मुंबई की हैं…यानि कुछ राज्यों में तो सहमति बन गई है लेकिन कई जगहों पर अभी भी पेंच अड़ा हुआ है….

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