SIT रिपोर्ट का सनसनीखेज खुलासा, मुर्शिदाबाद हिंसा में TMC नेता का हाथ

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SIT रिपोर्ट में हुआ खुलासा

SIT की रिपोर्ट के अनुसार, 11 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में शुरू हुई हिंसा सुनियोजित थी। इसमें विशेष रूप से हिंदू समुदाय को निशाना बनाया गया। बेटबोना गांव में 113 घरों को जलाया और नष्ट किया गया, जबकि धुलियान के जफराबाद गांव में हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई।

पुलिस पर उठाए सवाल

रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि हिंसा के दौरान पुलिस पूरी तरह निष्क्रिय रही और समय पर कार्रवाही नहीं की, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) को हाई कोर्ट के आदेश के बाद 12 अप्रैल की रात को ही तैनात किया गया।

BJP का TMC पर हमला

भाजपा ने इस रिपोर्ट को आधार बनाकर TMC और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला है। भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “SIT की रिपोर्ट ने TMC सरकार की हिंदू-विरोधी क्रूरता को पूरी तरह उजागर कर दिया है।” उन्होंने ममता बनर्जी से हिंसा में शामिल TMC नेताओं के खिलाफ कार्रवाही की मांग की है। भाजपा के बंगाल प्रभारी अमित मालवीय ने भी X पर लिखा, “TMC के नेतृत्व में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा सुनियोजित थी, और पुलिस की निष्क्रियता ने इसे और बढ़ावा दिया।”

TMC का जवाब

वहीं, TMC ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे भाजपा की “उकसावे वाली राजनीति” करार दिया है। TMC प्रवक्ता जॉय प्रकाश मजुमदार ने कहा, “हमें ऐसी किसी रिपोर्ट की जानकारी नहीं है।” मेहबूब आलम ने भी अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारते हुए कहा कि वह हिंसा के दौरान बेटबोना गांव में मौजूद नहीं थे और पुलिस को भेजने की कोशिश की थी। TMC के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने हिंसा के लिए विपक्षी दल (भाजपा) को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि उनके नेताओं ने समुदायों के बीच तनाव भड़काने के लिए भड़काऊ बयान दिए।

हाई कोर्ट का रुख

कलकत्ता हाई कोर्ट ने हिंसा प्रभावित लोगों के पुनर्वास और मुआवजे के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने केंद्रीय और राज्य सरकारों से समसेरगंज और धुलियान में स्थायी BSF कैंप स्थापित करने पर विचार करने को भी कहा है। अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।

क्या था मामला

मुर्शिदाबाद में 8 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में शुरू हुए प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई, सैकड़ों लोग विस्थापित हुए, और भारी नुकसान हुआ।



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