लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी की एक और लिस्ट-Siraj-ud-Daula’s entry in the war of Bengal!
बीजेपी ने जारी की आपनी 5वीं लिस्ट
बंगाल की जंग में Siraj-ud-Daulaकी एंट्री!
कृष्णानगर सीट पर राजमाता अमृता रॉय को टिकट
टीएमसी की महुआ मोइत्रा को टक्कर देंगी अमृता रॉय
राजा कृष्ण चंद्र रॉय पर ब्रिटिश सेनाओं की मदद का आरोप
प्लासी की लड़ाई में Siraj-ud-Daula से गद्दारी का आरोप
लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के उम्मीदवारों की पांचवीं लिस्ट में पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से राजमाता अमृता रॉय को टिकट दिया है. वो इस सीट पर टीएमसी की महुआ मोइत्रा को टक्कर देंगी. ऐसे में तृणमूल कांग्रेस ने राजमाता अमृता रॉय पर निशाना साधा है… -Siraj-ud-Daula’s entry in the war of Bengal!
टीएमसी का आरोप है कि बीजेपी ने कृष्णानगर सीट से जिन राजमाता अमृता रॉय को चुनावी मैदान में उतारा है, उनके परिवार ने अंग्रेजों का साथ दिया था. टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा कि जब बंगाल के नवाब Siraj-ud-Daula अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए थे, तब कृष्णानगर के राजा कृष्ण चंद्र रॉय ने ब्रिटिश सेनाओं की मदद की थी… -Siraj-ud-Daula’s entry in the war of Bengal!
कुणाल घोष ने बताया कि इतिहास से पता चलता है कि अंग्रेजों के साथ जब Siraj-ud-Daulaलड़ाई कर रहे थे तब कृष्णानगर के शाही परिवार ने ब्रिटिश हुकूमत की मदद की थी…घोष ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि ये स्पष्ट है कि महात्मा गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार सावरकर की पार्टी ने अंग्रेजों की मदद करने वाले परिवार के एक शख्स को चुना है. दूसरी तरफ, महुआ मोइत्रा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रही हैं…
बता दें कि कृष्णानगर से महुआ मोइत्रा टीएमसी की उम्मीदवार हैं. इस सीट से उन्होंने 2019 में चुनाव जीता था लेकिन पिछले साल कैश फॉर क्वेरी मामले में उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी. दूसरी तरफ अमृता रॉय ने टीएमसी के इन आरोपों को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हर बंगाली और भारतीय इस बात से सहमत होंगे कि मेरे परिवार के बारे में जो कुछ भी बताया जा रहा है, वह पूरी तरह झूठ है. आरोप है कि महाराजा कृष्ण चंद्र रॉय ने अंग्रेजों का पक्ष लिया था.
उन्होंने ऐसा क्यों किया? उन्होंने ऐसा Siraj-ud-Daula की प्रताड़ना की वजह से किया.. रॉय ने कहा कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया होता तो क्या हिंदू धर्म बच पाता? क्या सनातन धर्म बच पाता? नहीं. अगर ऐसा है तो हम ये क्यों नहीं कह सकते कि महाराजा ने हमें सांप्रदायिकता विरोधी हमले से बचाया… आपको बता दें कि राजा कृष्ण चंद्र देव भारतीय इतिहास में, खासतौर से बंगाल में काफी मशहूर हैं, जो 18वीं शताब्दी के दौरान अपने दूरदर्शी शासन के लिए जाने जाते रहे हैं. प्रशासनिक सुधारों, कला को बढ़ावा देने और बंगाली संस्कृति में गौरवशीलता की वजह से उनकी विरासत आज भी बंगाल में संजोकर रखी गई है, जो उनके शासन की खासियत थी…
अब आपको बताते हैं कि प्लासी का युद्ध क्या है.. प्लासी का युद्ध आज से ठीक 266 साल पहले हुआ था. यह युद्ध 23 जून 1757 को अंग्रेजों और Siraj-ud-Daula के बीच लड़ा गया था. इस युद्ध के नतीजों ने हिन्दुस्तान की गुलामी का दरवाजा खोल दिया था. ये लड़ाई एक नातजुर्बेकार नवाब Siraj-ud-Daula और एक शातिर अंग्रेज सैन्य अधिकारी क्लाइव के बीच लड़ी गई थी. इस लड़ाई में वफादारियों के बिकने की कहानी है, साजिशें हैं और वो गद्दारी है जिसकी वजह से हिन्दुस्तान पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज पुख्ता हो गया..
कहा जाता है कि Siraj-ud-Daula के सेनापति मीर जाफर की बगावत उनके पतन का कारण थी. इस युद्ध में अंग्रेज सैन्य अधिकारी रॉबर्ट क्लाइव से सांठगांठ करने वाले मीर जाफर, जगत सेठ, ओमीचंद और राय दुर्लभ के साथ राजा कृष्ण चंद्र रॉय भी थे. इन लोगों ने Siraj-ud-Daula के खिलाफ साजिश रचकर अंग्रेजों का साथ दिया था. इस वजह से Siraj-ud-Daula प्लासी का युद्ध हार गए थे… अब लोकसभा चुनाव में इसी युद्ध का सहारा लेकर सियासी शह और मात का खेल खेला जा रहा है.. ऐसी ही और खबरों के लिए आप बने रहिए AIRR NEWS के साथ