Sexual Harassment: Challenges of Justice in India | AIRR News
यौन उत्पीड़न: भारत में न्याय की चुनौतियाँ | एआईआरआर समाचार
यौन उत्पीडन एक गंभीर समस्या है, जिसका सामना भारत में कई महिलाएं और बच्चे करते हैं। यौन उत्पीडन के मामलों की संख्या और न्याय प्राप्ति की दर के बारे में आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध हैं, लेकिन ये आंकड़े पूरी तस्वीर नहीं दिखाते हैं। कई मामलों में शिकार अपनी शिकायत दर्ज नहीं करवाते हैं, या उनके मामलों को ठीक से जांचा नहीं जाता है। इसलिए, यौन उत्पीडन की वास्तविक बढ़ोतरी और न्याय की वास्तविक कमी का अंदाजा लगाना मुश्किल है।
हाल ही में दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में एक यौन उत्पीड़न का शिकार हुए किशोर ने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर एक आदमी की नृशंस हत्या कर दी। इस पर पुलिस ने तीन किशोरों को गिरफ्तार किया। पुलिस के अनुसार, इन तीनों ने एक आदमी को खुकरी से मारकर उसका चेहरा पत्थरों से बिगाड़ दिया था और उसके शव को आग लगाकर नष्ट करने की कोशिश की थी।
इस घटना के पीछे का कारण यौन उत्पीड़न था। पुलिस के मुताबिक, इन तीनों किशोरों में से एक का दावा है कि उसे बार-बार एक आदमी ने यौन रूप से शोषित किया था। इस आदमी का नाम आजाद था और वह निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन का एक बदमाश घोषित किया गया अपराधी था। इन किशोरों ने रात करीब 10 बजे आजाद को घेर लिया और उसे बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला।
इस घटना के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया है और आगे की जांच जारी है। इस घटना ने दिल्ली के कानून व्यवस्था को एक बार फिर से सवालों के घेरे में डाल दिया है। इस घटना ने यह भी उजागर किया है कि बाल और योन अपराधियों के खिलाफ सरकार के कदम कितने प्रभावी हैं।
फिर भी, जो आंकड़े हमारे पास हैं, उनसे हम कुछ निष्कर्ष निकाल सकते हैं। भारत में यौन उत्पीडन के विभिन्न तरीके हैं, जैसे बलात्कार, छेड़छाड़, यौन शोषण, यौन अपहरण, यौन अत्याचार, यौन दुराचार, यौन अश्लीलता, यौन अवैध व्यापार, आदि। इनमें से कुछ अपराध भारतीय दंड संहिता के तहत आते हैं, जबकि कुछ अन्य विशेष अधिनियमों के तहत आते हैं, जैसे यौन उत्पीडन के विरुद्ध महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2013, बाल यौन अपराधों के विरुद्ध बाल संरक्षण अधिनियम, 2012, आदि।
भारतीय दंड संहिता के तहत, यौन उत्पीडन के मामलों में एक बढ़ोतरी देखी जा रही है। नागरिक रजिस्टर के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में IPC के तहत यौन उत्पीडन के 4,05,861 मामले दर्ज हुए, जो 2018 के 3,78,236 मामलों से 7.3 प्रतिशत अधिक हैं। इनमें से 32,033 मामले बलात्कार के थे, जो 2018 के 33,356 मामलों से 4 प्रतिशत कम हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि बलात्कार की घटनाएं कम हुई हैं, बल्कि यह हो सकता है कि बलात्कार की शिकायत करने की दर कम हुई हो।
यौन उत्पीडन के मामलों में न्याय प्राप्ति की दर भी बहुत कम है। 2019 में IPC के तहत यौन उत्पीडन के 4,05,861 मामलों में से केवल 1,27,605 मामलों का निराकरण हुआ, जिसमें से केवल 43,917 मामलों में दोषी ठहराए गए। इसका मतलब है कि केवल 10.8 प्रतिशत मामलों में न्याय मिला। बलात्कार के मामलों में भी न्याय की दर बहुत कम है। 2019 में बलात्कार के 32,033 मामलों में से केवल 11,995 मामलों का निराकरण हुआ, जिसमें से केवल 4,640 मामलों में दोषी ठहराए गए। इसका मतलब है कि केवल 14.5 प्रतिशत मामलों में न्याय मिला।
यौन उत्पीडन के मामलों में न्याय प्राप्ति की कमी के कई कारण हैं, जैसे पुलिस का असहयोग, जांच की धीमी गति, फ़ौरेंसिक जांच की कमी, न्यायालयों में पेंडिंग मामलों का ढेर, गवाहों का डर, शिकार का विक्टिम ब्लेमिंग, आदि। इन सबको दूर करने के लिए सरकार, पुलिस, न्यायिक प्रणाली, मीडिया और समाज को मिलकर काम करना होगा। यौन उत्पीडन के शिकारों को आवाज उठाने का यौन उत्पीडन के शिकारों को आवाज उठाने का साहस, अपनी शिकायत दर्ज करवाने का अधिकार और अपने न्याय के लिए लड़ने का समर्थन देना होगा। यौन उत्पीडन के अपराधियों को तेजी से पकड़ने, इमानदारी से जांचने और कड़ी से सजा देने का प्रबंध करना होगा। यौन उत्पीडन के मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्टों में सुनवाई करने और निर्णय देने का व्यवस्था करना होगा। यौन उत्पीडन के पीड़ितों को न्याय के साथ-साथ मानवीय, सामाजिक और आर्थिक सहायता भी देनी होगी।
आपको बता दे कि यौन उत्पीडन को रोकने के लिए सबसे पहले हमें अपनी सोच और संस्कृति को बदलना होगा। हमें यौन उत्पीडन को एक अपराध नहीं, बल्कि एक अपमान, एक अत्याचार और एक अन्याय के रूप में देखना होगा। हमें यौन उत्पीडन के शिकारों को दोषी नहीं, बल्कि शहीद, वीर और नायक के रूप में मानना होगा। हमें यौन उत्पीडन के अपराधियों को बचाने की नहीं, बल्कि उन्हें शर्मिंदा करने की कोशिश करनी होगी। हमें यौन उत्पीडन को एक गुप्त, एक अश्लील और एक अस्वीकार्य बात के रूप में नहीं, बल्कि एक सार्वजनिक, एक गंभीर और एक जरूरी मुद्दा के रूप में उठाना होगा।
यौन उत्पीडन को मिटाने के लिए हमें अपनी शिक्षा और संचार व्यवस्था को सुधारना होगा। हमें अपने बच्चों को यौन शिक्षा, यौन स्वास्थ्य और यौन अधिकारों के बारे में जागरूक करना होगा। हमें अपने बच्चों को सम्मान, सहमति और सुरक्षा के महत्व को समझाना होगा। हमें अपने बच्चों को यौन हिंसा, यौन भेदभाव और यौन उत्पीडन के खतरों से बचने के तरीके बताना होगा। हमें अपने मीडिया, अपने साहित्य और अपने कला को यौन उत्पीडन के खिलाफ एक मंच, एक आवाज और एक हथियार बनाना होगा।
यौन उत्पीडन को खत्म करने के लिए हमें अपने आप को बदलना होगा। हमें अपने आप को एक यौन उत्पीडन का शिकार, एक यौन उत्पीडन का गवाह, एक यौन उत्पीडन का विरोधी और एक यौन उत्पीडन का निवारक बनाना होगा। हमें अपने आप को एक यौन उत्पीडन का सहयोगी, एक यौन उत्पीडन का बचावी, एक यौन उत्पीडन का प्रचारक और एक यौन उत्पीडन का अनुमोदक नहीं बनने देना होगा।
Sexual Harassment एक ऐसा अपराध है, जिसका न केवल व्यक्तिगत, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। Sexual Harassment से महिलाओं और बच्चों का आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता नष्ट हो जाता है। यौन उत्पीडन से परिवारों, समुदायों और समाजों का संगठन, संघर्ष और समृद्धि बिगड़ जाता है। यौन उत्पीडन से देश का विकास, शांति और सम्मान खतरे में पयौन उत्पीडन से देश का विकास, शांति और सम्मान खतरे में पड़ जाता है। Sexual Harassment को रोकना और मिटाना हम सबका कर्तव्य है। हमें अपने आप को, अपने परिवार को, अपने समाज को और अपने देश को Sexual Harassmentसे मुक्त करना है। हमें यौन उत्पीडन के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना है। हमें यौन उत्पीडन के शिकारों को न्याय दिलाना है। हमें यौन उत्पीडन के अपराधियों को सजा देना है। हमें Sexual Harassment को एक अपराध, एक अपमान और एक अन्याय के रूप में नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय अपराध, एक राष्ट्रीय अपमान और एक राष्ट्रीय अन्याय के रूप में मानना है।
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