आमेर निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव हार के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता Satish Poonia की राजनीति से आश्चर्यजनक सेवानिवृत्ति
“लोकतंत्र में जनता जनार्दन होती है, मैं आमेर की जनता के निर्णय को स्वीकार करता हूं” ऐसा कहते हुए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, सतीश पूनिया, ने अपनी आमेर विधानसभा सीट से मिली चुनाव हार के बाद राजनीति से संन्यास लेने का निर्णय लेकर सबको हैरत में डाल दिया।
सतीश पूनिया ने आमेर से अपना रिश्ता बयां करते हुए कहा कि वे 2013 में पार्टी के निर्देश पर चुनाव लड़ने आए थे और उन्होंने अमर की जनता के लिए , उनके विकास के लिए काम किया है और उनकी बुनियादी जरूरतों और समस्याओ को सुलझाया । उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे अब भविष्य में आमेर क्षेत्र के लोगों और कार्यकर्ताओं को सेवा और समय नहीं दे पाएंगे, और वे अब कुछ समय अपने पारिवारिक कामों को पूरा करने में लगाएंगे।
आपको बता दे की, भाजपा ने राजस्थान में 115 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए सत्तासीन कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने में सफलता प्राप्त की है, जबकि कांग्रेस को केवल 69 सीटों पर जीत मिली। इस चुनाव में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं को भी हार का सामना करना पड़ा, जबकि सतीश पूनिया सहित भाजपा के कई वरिष्ठ नेता और सांसदों को भी हार का सामना करना पड़ा। आपको बता दे कि चुनाव से पहले ही पूनिया अपनी विधानसभा सीट बदलकर झोटवाड़ा और सांगानेर से चुनाव लड़ना चाहते थे। लेकिन कथित तौर पर केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें इजाजत नहीं दी। सिर्फ नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को ही अपनी सीट बदलने की छूट दी गई। इस बार राठौड़ ने चूरू विधानसभा की बजाय तारानगर विधानसभा से चुनाव लड़ा था। इसके बावजूद उन्हें भी हार का मुँह देखना पड़ा।
आपको बता दे कि, Satish Poonia का जन्म 24 अक्टूबर 1964 को राजस्थान के चूरू जिले के राजगढ़ गांव में हुआ। उनके पिता, श्री सुभाष चंद्र पूनिया, राजगढ़ पंचायत समिति के पूर्व प्रमुख थे। सतीश पूनिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा राजगढ़ में पूरी की, उसके बाद उन्होंने चूरू से अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने महाराजा कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की, उसके बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने लॉ कॉलेज से श्रम विधि, अपराध विज्ञान और भारतीय इतिहास और संस्कृति में डिप्लोमा प्राप्त किया। 1994 में, उन्होंने भूगोल में एम.एससी. की डिग्री प्राप्त की और उसके बाद उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से भूगोल में पीएचडी की।
सतीश पूनिया ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में 1982 में शामिल होकर राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रभावित होकर राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने अगले दशक में एबीवीपी में महानगर सह-सचिव, राज्य सह-सचिव, महानगर सचिव, और प्रदेश मंत्री के रूप में काम किया।
उन्होंने 1989 में राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव आंदोलन और एबीवीपी के शैक्षिक सुधार आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इस दौरान उन्होंने बोफोर्स घोटाले के खिलाफ आंदोलन चलाया और इसके दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा इसके अलावा, उन्होंने राज्य सरकार पर वित्तीय दुर्व्यवस्था का आरोप लगाया। यद्यपि, यह आरोप अभी तक साबित नहीं हुआ है और इस पर न्यायिक जांच जारी है।
Satish Poonia ने अपने राजनीतिक जीवन के दौरान अनेक उत्कृष्टताएं प्राप्त की हैं और उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। उनकी नेतृत्व शैली और समर्पण भाव ने उन्हें उनके कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच लोकप्रिय बनाया। उनका योगदान भाजपा के लिए महत्वपूर्ण रहा है और वे पार्टी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
फिर भी, उनका निर्णय राजनीति से संन्यास लेने का उनके समर्थकों के लिए एक आश्चर्यजनक कदम था। उन्होंने अपने निर्णय को साझा करते हुए कहा कि वे अब अपने पारिवारिक कामों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। यह निर्णय उनके लिए एक नई अध्याय की शुरुआत है, जिसमें वे अपने व्यक्तिगत जीवन को प्राथमिकता देंगे।
इस प्रकार, Satish Poonia के बारे में उपलब्ध सभी सूचनाओं के आधार पर, उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कई उत्कृष्टता प्राप्त की हैं और उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। उनकी नेतृत्व शैली और समर्पण भाव ने उन्हें उनके कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच लोकप्रिय बनाया। उनका योगदान भाजपा के लिए महत्वपूर्ण रहा है और वे पार्टी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
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