भारत में बेरोजगारी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। युवाओं को अच्छी नौकरी और आय की कमी के कारण, वे अपने देश को छोड़कर दूसरे देशों में रोज़गार की तलाश कर रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ लोग तो युद्ध-ग्रस्त इज़राइल में भी जाने को तैयार हैं? हां, यह सच है। उत्तर प्रदेश और हरियाणा के हज़ारों युवा इज़राइल में फ़िलीस्तीनी श्रमिकों के स्थान पर काम करने के लिए लाइनों में लगे हुए हैं।-Seeking Employment
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इस बात को लेकर कांग्रेस ने भारत सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह देश में बेरोजगारी की गंभीर स्थिति का परिणाम है और इसने सरकार के उन दावों का मज़ाक बना दिया है जिसमे केंद्र सरकार ने बेरोजगारी और गरीबी के आकड़ो में अपने आप को 100 में से 100 नंबर दिए थे। रमेश ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के कल के आदेश को भी उद्धरण देते हुए कहा कि इज़राइल के खिलाफ नरसंहार के आरोपों को खारिज नहीं किया गया है, जो इज़राइल में रोज़गार की तलाश करने वाले भारतीयों के लिए नैतिक और राजनैतिक मुद्दों को उभारता है।-Seeking Employment
आपको बता दे की इज़राइल और फ़िलीस्तीन के बीच युद्ध का सिलसिला अभी भी जारी है। इज़राइल की सेना ने गाज़ा पट्टी में हमास के आतंकी ठिकानों पर बमबारी की है, जिससे वहां के हज़ारों नागरिकों की मौत हो गई है। इसके जवाब में, हमास ने इज़राइल के शहरों पर रॉकेट फायर किया है, जिससे इज़राइल के कई लोग घायल हुए हैं।
इस युद्ध के बीच, इज़राइल को अपनी अर्थव्यवस्था चलाने के लिए श्रमिकों की जरूरत है। इज़राइल में फ़िलीस्तीनी श्रमिकों की कमी हो गयी है, जो कि इस युद्ध के कारण वहां का काम छोड़कर भाग गए हैं। इसलिए, इज़राइल ने दूसरे देशों से श्रमिकों को बुलाने का फैसला किया है।
इसमें भारत से भी कई लोग शामिल हैं, जो इज़राइल में अपना भविष्य बनाने की आशा लेकर जा रहे हैं। इन लोगों को इज़राइल की एक एजेंसी द्वारा रोज़गार दिया जाता है, जो उन्हें खेती, निर्माण, सफाई और अन्य क्षेत्रों में काम करने के लिए भेजती है। इन लोगों को इज़राइल की मुद्रा शेकेल में वेतन मिलता है, जो कि भारतीय रुपये से काफी ज्यादा है।
लेकिन इन लोगों को इज़राइल में काम करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पहली बात तो यह है कि इज़राइल में युद्ध का माहौल है, जिसमें रॉकेट और बम का खतरा हमेशा बना रहता है। दूसरी बात यह है कि इज़राइल में भारतीयों को बहुत कम सम्मान और सुविधाएं मिलती हैं। वे अपने देश की भाषा, संस्कृति और धर्म को छोड़कर इज़राइल की भाषा, संस्कृति और धर्म को अपनाने को मजबूर होते हैं। वे अपने परिवार और दोस्तों से दूर रहते हैं और अक्सर अकेलापन महसूस करते हैं।
तीसरी बात यह है कि इज़राइल में भारतीयों की फ़िलीस्तीनी श्रमिकों के साथ तुलना की जाती है, जो कि उनके लिए अपमानजनक है। फ़िलीस्तीनी श्रमिकों को इज़राइल में बहुत ही बुरा सलूक किया जाता है, उन्हें घटिया वेतन, असुरक्षित काम और रहने के लिए बहुत कम सुविधा दी जाती है। इज़राइल की सरकार और जनता उन्हें अपने देश से निकालने की कोशिश करती है, जिससे वे अपने मूलभूत अधिकारों से वंचित रहते हैं।
इस प्रकार, इज़राइल में रोज़गार की तलाश करने वाले भारतीयों का जीवन आसान नहीं है। वे अपने देश की गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा से निजात पाने के लिए इज़राइल के युद्ध, भेदभाव और अन्याय को सहन करते हैं। वे अपने देश के लिए न कुछ कर पाते हैं और न ही अपने देश को छोड़ने का दुख भुला पाते हैं।
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