BJP से बगावत करके निर्दल प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरीं सावित्री जिंदल, क्या पार्टी के उम्मीदवार को दे पाएंगी पटखनी?

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Savitri Jindal rebelled against BJP and contested the elections as an independent candidate, will she be able to defeat the party's candidate?
Savitri Jindal rebelled against BJP and contested the elections as an independent candidate, will she be able to defeat the party's candidate?

भारत की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल ने BJP से बगावत करते हुए हिसार विधानसभा सीट के लिए स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया है। BJP ने मौजूदा विधायक कमल गुप्ता को टिकट दिया, जिससे नाराज होकर सावित्री ने निर्दल चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।

भारत की सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल ने हिसार विधानसभा सीट के लिए निर्दल उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया है। सावित्री जिंदल ने यह कदम मौजूदा विधायक और मंत्री कमल गुप्ता को इस सीट के लिए मैदान में उतारे जाने के बाद उठाया। सावित्री जिंदल, जो ओपी जिंदल ग्रुप की चेयरपर्सन हैं और 74 वर्ष की हैं, उन्होंने BJP से टिकट नहीं मिलने पर निर्दल उम्मीदवार बनने का फैसला किया।

निर्दल उम्मीदवार बनने का फैसला

सावित्री जिंदल का निर्दल उम्मीदवार बनने का फैसला BJP की ओर से कमल गुप्ता को टिकट देने के बाद लिया गया। सावित्री जिंदल ने BJP में शामिल होने के बाद हिसार सीट पर टिकट की उम्मीद लगाई थी, लेकिन पार्टी ने कमल गुप्ता को फिर से टिकट दे दिया। इस फैसले से नाराज होकर उन्होंने निर्दल उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया।

मार्च 2023 में, उनके बेटे नवीन जिंदल ने कांग्रेस छोड़कर BJP जॉइन की थी और उन्हें कुरुक्षेत्र सीट से उम्मीदवार बनाया गया था। सावित्री जिंदल भी उसी समय BJP में शामिल हुईं थीं, और उनको यह उम्मीद थी कि उन्हें भी पार्टी से टिकट मिलेगा। जब पार्टी ने उन्होंने अपना प्रत्याशी नहीं बनाया तो उन्होंने निर्दल प्रत्याशी के तौर पर पर्चा दाखिल करने का निर्णय लिया।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और परिवार का सपोर्ट

सावित्री जिंदल की राजनीति में एंट्री उनके पति, ओम प्रकाश जिंदल की मौत के बाद हुई। ओम प्रकाश जिंदल हिसार सीट से तीन बार (1991, 2000 और 2005) चुने गए थे और भूपिंदर सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार में मंत्री भी थे। उनकी मौत के बाद, सावित्री ने राजनीति में कदम रखा और 2005 में हिसार में उपचुनाव जीतकर मंत्री बनीं। उन्होंने 2009 और 2013 में भी हिसार सीट पर जीत दर्ज की, लेकिन 2014 में हार गईं और 2019 के चुनाव में भी नहीं उतरीं।

लोकसभा चुनावों में किया बेटे के लिए प्रचार

हाल ही में लोकसभा चुनावों में, सावित्री जिंदल ने अपने बेटे नवीन जिंदल के लिए कुरुक्षेत्र में प्रचार किया और हिसार से BJP के उम्मीदवार रंजीत सिंह चौटाला के लिए भी प्रचार किया। उनके सपोर्टर उम्मीद कर रहे थे कि पार्टी उन्हें हिसार सीट के लिए टिकट देगी, लेकिन BJP ने कमल गुप्ता को टिकट दे दिया। इससे सावित्री के सपोर्टर निराश हो गए और उन्होंने उन्हें निर्दल उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया।

चुनावी रणनीति और वित्तीय स्थिति

सावित्री जिंदल ने अपने नामांकन पत्रों में कुल संपत्ति 270.66 करोड़ घोषित की है। उनकी वित्तीय स्थिति में पिछले कुछ वर्षों में काफी बढ़ोतरी हुई है। 2009 में उनकी संपत्ति 43.68 करोड़ थी, जो 2014 में बढ़कर 113 करोड़ हो गई थी। अगस्त 2024 में, फोर्ब्स ने उन्हें भारत की सबसे अमीर महिला के रूप में रैंक किया है और ओपी जिंदल ग्रुप की कुल संपत्ति 39.5 बिलियन डॉलर बताई है। ब्लूमबर्ग के बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, उन्होंने कई प्रमुख उद्योगपतियों को पीछे छोड़ते हुए महत्वपूर्ण वित्तीय उपलब्धि हासिल की है।

जनता की सेवा का अंतिम प्रयास

सावित्री जिंदल ने चुनाव प्रचार में कहा है कि यह उनका अंतिम प्रयास है जनता की सेवा करने का। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका पहला मकसद हिसार के लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करना है। कांग्रेस से अपने पूर्व जुड़ाव के बावजूद, उन्होंने पार्टी से दूर रहकर निर्दल रूप से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

समर्थन और विरोध

सावित्री जिंदल का निर्दल उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतरना BJP के कमल गुप्ता के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। कांग्रेस ने हिसार सीट पर चुनाव लड़ने के लिए राम निवास रारा को चुना है, जो एक कम चर्चित नेता हैं। कांग्रेस द्वारा इस उम्मीदवार को चुने जाने से चुनाव की स्थिति पर असर पड़ सकता है।

पूरी ताकत के साथ लडेंगी चुनाव

सावित्री जिंदल के सपोर्टर उनके लंबे समय से जनता की सेवा करने के प्रति डेडिकेशन को उजागर कर रहे हैं। उनके राजनीतिक अनुभव और परिवार की मजबूत राजनीतिक विरासत उनकी उम्मीदवारी को एक गंभीर चुनौती बना देती है। उनके प्रचार की बराबर निगरानी की जा रही है, और उनके सपोर्टर आश्वस्त हैं कि सावित्री जिंदल इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगा देंगी।

राजनीतिक रणनीति और भविष्य की योजनाएं

सावित्री जिंदल की निर्दल उम्मीदवार के रूप में चुनाव में एंट्री उनके दृढ़ संकल्प को दर्शाती है कि वह हिसार की जनता की सेवा करना चाहती हैं, भले ही उन्हें पार्टी टिकट नहीं मिला। उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि वह अपने सपोर्टरों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए पूरी मेहनत करेंगी। सावित्री जिंदल ने स्पष्ट किया है कि अगर वह चुनाव जीतती हैं, तो वह हिसार के लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए पूरी कोशिश करेंगी।

सत्ता विरोधी लहर का मिल सकता है फायदा

अबकी बार के विधानसभा चुनावों में BJP की स्थिति पहले के चुनावों जैसी मजबूत नहीं मानी जा रही है। सरकार के फैसले उसके गले की फांस बन रहे हैं। वहीं कांग्रेस इस स्थिति को भुनाने की पूरी कोशिश में है। इसके अलावा BJP ने अपने ज्यादातर विधायकों का टिकट काट करके नए प्रत्याशियों को टिकट दे दिया है, जिससे पार्टी के अंदर की अंदरुनी कलह भी उभरकर सामने आ गई है। साथ ही किसानों का मुद्दा और बेरोजगारी की स्थिति भी युवाओं में BJP के प्रति नाराजगी भी जाहिर हो रही है। इसके अलावा भाजपा सांसद द्वारा महिला पहलवानों के साथ किए गए बर्ताव को भी हरियाणा में एक अहम मुद्दा बना दिया गया है।

गौरतलब है कि सावित्री जिंदल का हिसार विधानसभा सीट के लिए निर्दल उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरना हरियाणा चुनावों में एक महत्वपूर्ण घटना है। उनका निर्णय व्यक्तिगत राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और हिसार के लोगों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उनकी वित्तीय स्थिति और राजनीतिक अनुभव के साथ, वह आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की संभावना रखती हैं। साथ ही सावित्री जिंदल की जीत भी यह बताने के लिए काफी होगी कि उन्होंने सही समय पर सही फैसला लेकर चुनाव मैदान उतरीं और भाजपा प्रत्याशी को हराकर यह साबित कर दिया कि जीत के लिए कोई पार्टी नहीं बल्कि शख्सियत का होना मायने रखता है।

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