Rural Poverty: भारत के गांवों में गरीबी तेजी से घट रही है. एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि पहली बार पावर्टी रेश्यो 5 प्रतिशत से नीचे गया है. वित्त वर्ष 2023 में जहां पावर्टी रेश्यो 7.2 प्रतिशत था, वहीं अब यह घटकर 4.86 प्रतिशत पर पहुंच गया है. कुछ ऐसा ही हाल शहरी क्षेत्रों का भी है, जहां पावर्टी रेश्यो 4.6 प्रतिशत से घटकर 4.09 प्रतिशत हो गया है.
गांवों में इस वजह से घट रही है गरीबी
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि गांवों में गरीबी रेश्यो में कमी उपभोग बढ़ने की वजह से आई है. एसबीआई की यह रिपोर्ट हाउसहोल्ड कंजप्शन सर्वे (HCES) के एक सर्वे नतीजे पर आधारित है. इसमें पाया गया कि फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर में जैसे-जैसे वृद्धि हो रही है वैसे-वैसे गांव और शहरों के बीच की दूरी कम हो रही है. इससे दोनों जगहों के आय में अंतर भी कम होता जा रहा है. शहरों और गांवों के बीच दूरी कम होने की एक और वजह प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसी सरकारी योजनाएं भी हैं.
कई चीजों पर निर्भर ग्रामीणों का मासिक व्यय
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया कि गांवों में प्रति व्यक्ति मासिक व्यय कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे कि सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थी के बैंक अकाउंट तक पहुंचा है कि नहीं गांव में इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है कि नहीं जिससे औद्योगिक उत्पादन बढ़ने के साथ लोगों की जीवनशैली भी सुधरती है, सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने या ग्रामीणों की आजीविका में सुधार लाने के लिए किस तरह की पहल की है.
उपभोग में पहले के मुकाबले इजाफा
एसबीआई की इस रिपोर्ट में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा वाले व्यक्तियों की मासिक व्यय 1,632 रुपये और शहरी क्षेत्रों के लिए 1,944 रुपये होने का अनुमान लगाया गया है. इससे पहले 2011-12 में यह आंकड़ा गांव और शहर के लिए क्रमश: 816 रुपये और 1000 रुपये था. यानी कि उपभोग में वृद्धि हुई है. इसके साथ ही साथ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में गरीबी दर अब 4 प्रतिशत से 4.5 प्रतिशत के बीच हो सकती है.
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