RSS-BJP का हिंदू संघटन मिशन जो पूरा हो चुका है। इस मिशन के बाद, इन दोनों संगठनों का नया लक्ष्य क्या है? क्या वे अन्य समुदायों और दलों को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं? क्या वे भारत में एक पूर्ण विरोधी-कांग्रेस और विरोधी-वाम शक्ति बनाने का इरादा रखते हैं? और क्या इसके पीछे का राष्ट्रवादी नारा ‘हम सब हिंदू हैं’? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए इस वीडियो को अंत तक देखते रहिए। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़।
आपने तो देखा होगा कि पिछले कुछ सालों में RSS-BJP ने हिंदू समुदाय को एकजुट करने का एक महाअभियान चलाया है। चाहे वो राम मंदिर निर्माण हो, या धार्मिक स्थलों का अधिकार हो, या फिर धार्मिक छूटों का विरोध हो, इन सब मुद्दों पर RSS-BJP ने हिंदू जनता का समर्थन पाया है। इसका नतीजा ये रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP ने अपनी सीटों की संख्या बढ़ाकर 303 तक पहुंचाई, और अपनी सत्ता को मजबूत किया। इसके साथ ही, BJP ने कई राज्यों में भी अपनी सरकारें बनाई, और कुछ राज्यों में तो अपने विरोधियों को बिल्कुल खत्म कर दिया।
लेकिन क्या ये हिंदू संघटन मिशन अब पूरा हो चुका है?
ऐसा लगता है कि RSS-BJP का अब एक नया लक्ष्य है, जो कि है अन्य समुदायों और दलों को अपने साथ लाना। हां, आपने सही सुना, RSS-BJP अब अन्य समुदायों और दलों को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं, जो कि उनके साथ राष्ट्रवादी और विरोधी-कांग्रेस विचारधारा से जुड़े हुए हैं।
आपने तो देखा होगा कि पिछले कुछ दिनों में RSS ने कई ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया है, जिनमें वे अन्य समुदायों और दलों के प्रतिनिधियों से बातचीत कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, RSS ने हाल ही में मुस्लिम इंटेलेक्चुअल्स, शिक्षकों, वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक की, जिसमें वे भारतीय मुस्लिमों के लिए एक नई पहचान बनाने के बारे में चर्चा करते रहे। इसी तरह, RSS ने दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों के साथ भी विभिन्न विषयों पर वार्ता की, जैसे कि सामाजिक न्याय, आरक्षण, आत्मसम्मान और संस्कृति।
RSS का मकसद इन सभी समुदायों और दलों को अपने साथ जोड़ना है, ताकि वे भारत के विकास और सुरक्षा के लिए एकजुट हो सकें। RSS के प्रचारक और विचारक राकेश सिन्हा ने कहा है कि RSS का उद्देश्य है “एक ऐसा भारत बनाना, जिसमें सभी भारतीयों का समान अधिकार हो, जिसमें कोई भेदभाव न हो, जिसमें सभी धर्मों का सम्मान हो, जिसमें सभी जातियों का समान स्थान हो”।
RSS का यह प्रयास भाजपा के लिए भी फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे भाजपा को अपने वोट बैंक को बढ़ाने और अपने विरोधियों को कमजोर करने का मौका मिल सकता है। भाजपा को पता है कि अगर वे 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर से जीतना चाहते हैं, तो उन्हें अपने कट्टर वोटरों के अलावा अन्य वर्गों और समुदायों का भी साथ पाना होगा। इसलिए, भाजपा ने भी RSS के इस मिशन का समर्थन किया है, और अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी अन्य लोगों से बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
लेकिन, RSS-BJP के इस मिशन को आसानी से पूरा करना मुमकिन नहीं है, क्योंकि उनके इस मिशन का विरोध करने वाले भी कम नहीं हैं। उनके विरोधी दलों और नेताओं ने RSS-BJP पर हिंदूवादी, सांप्रदायिक, जातिवादी और तानाशाही का आरोप लगाया है, और कहा है कि वे भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को नष्ट करना चाहते हैं। उनके अनुसार, RSS-BJP का यह मिशन एक धोखा है, जिसका उद्देश्य है अन्य समुदायों और दलों को अपने कब्जे में लेना, और उनकी आवाज को दबाना।
इस प्रकार, RSS-BJP का यह मिशन एक बहुत बड़ी चुनौती है, जिसमें वे अपने विचारों और कार्यों को अन्य लोगों को समझाने और मनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे चाहते हैं कि भारत में एक ऐसा समाज बने, जिसमें सभी लोग एक दूसरे का सम्मान करें, और एक ऐसा राजनीतिक व्यवस्था हो, जिसमें सभी लोग एक दूसरे के साथ मिलकर काम करें। लेकिन, यह बात भी सच है कि भारत एक बहुत विविध और जटिल देश है, जिसमें अलग-अलग धर्म, जाति, भाषा, संस्कृति और राजनीतिक विचारधाराओं के लोग रहते हैं। इन सभी लोगों को एक साथ लाना और उनके आपसी मतभेदों और विरोधों को सुलझाना आसान नहीं है। इसके लिए आवश्यक है कि RSS-BJP अपने विचारों और कार्यों को लोगों के सामने स्पष्ट और सरल भाषा में रखें, और उनके सवालों और शंकाओं का उत्तर दें। इसके साथ ही, वे अन्य समुदायों और दलों की भावनाओं का भी आदर करें, और उनके साथ सहयोग और समझौता करने के लिए तैयार रहें।
इसके अलावा, RSS-BJP को अपने आंतरिक मुद्दों और विवादों को भी हल करना होगा, जो कभी-कभी उनके इस मिशन को बाधित करते हैं। उदाहरण के लिए, RSS-BJP के बीच मंदिर निर्माण, धर्मांतरण, गोरक्षा, आर्टिकल 370, नागरिकता संशोधन कानून आदि जैसे मुद्दों पर मतभेद रहते हैं, जिन्हें समय-समय पर सुलझाना पड़ता है। इन मुद्दों पर RSS-BJP को एक साथ मिलकर एक सामंजस्यित और संतुलित नीति बनानी होगी, जो लोगों की आकांक्षाओं और आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखे।
इस प्रकार, RSS-BJP का यह मिशन एक लंबी और कठिन यात्रा है, जिसमें उन्हें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनेक बाधाओं और चुनौतियों का सामना करना होगा। लेकिन, यह भी सत्य है कि अगर वे इस मिशन में सफल होते हैं, तो वे भारत को एक ऐसा देश बना सकते हैं, जिसमें सभी लोग एक दूसरे के साथ भाईचारे, शांति और सद्भावना के साथ रहें, और एक ऐसा देश, जो विश्व में अपनी एक अलग पहचान और प्रभाव बना सके।
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