Republic Day का पर्व हर साल देश की एकता, विविधता और गौरव को दर्शाने का अवसर होता है। इस दिन, राजधानी दिल्ली में राजपथ पर एक शानदार परेड होता है, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां शामिल होती हैं। इन झांकियों का उद्देश्य देश की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, सामाजिक और विकासशील पहचान को प्रस्तुत करना है।-Republic Day -Controversy over Tableaux
लेकिन तब क्या हो जब,Republic Day 2024 के लिए झांकियों का चयन ही विवाद का केंद्र बन जाए। जी हां , रक्षा मंत्रालय ने दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल की झांकियों को ये कहते हुए कि वे इस वर्ष के परेड की “व्यापक थीम” के अनुरूप नहीं हैं अस्वीकार कर दिया। इसके विरोध में, इन राज्यों के नेताओं ने केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है, और कहा है कि यह एक राजनीतिक साजिश है।
इस वीडियो में, हम इस विवाद के पीछे के कारणों पर विस्तृत जानकारी देंगे। नमस्कार आप देख रहे है AIRR न्यूज़।
Republic Day के परेड में झांकियों का चयन एक बहुत ही सूक्ष्म और समय-ग्राही प्रक्रिया है। रक्षा मंत्रालय हर साल सितंबर माह में सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय मंत्रालयों और कुछ संवैधानिक प्राधिकरणों को परेड में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है। रक्षा मंत्रालय झांकियों के लिए कुछ मूल दिशानिर्देश भी साझा करता है, जैसे कि झांकियां किसी ऐतिहासिक घटना, संस्कृति, विरासत, विकास कार्यक्रमों या पर्यावरण को प्रतिबिंबित करनी चाहिए। झांकियों में कोई लिखित या किसी प्रकार के चिन्ह का उपयोग नहीं होना चाहिए, सिवाय राज्य/केंद्र शासित प्रदेश/विभाग के नाम के, जो हिंदी में सामने, अंग्रेजी में पीछे और किसी भी क्षेत्रीय भाषा में बाएं और दाएं लिखने के।
रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि झांकियों का चयन एक विशेषज्ञ समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें कला, संस्कृति, चित्रकला, संगीत, वास्तुकला, नृत्य आदि के क्षेत्रों से जुड़े लोग होते हैं। इस समिति को रक्षा मंत्रालय द्वारा गठित किया जाता है, और इसके सदस्यों का चयन भी रक्षा मंत्रालय ही करता है। इस समिति का कार्य होता है कि वह झांकियों के प्रस्तावों को विभिन्न मापदंडों के आधार पर मूल्यांकन करे, जैसे कि दृश्य आकर्षण, जनसाधारण पर प्रभाव, विचार/थीम, संगीत, विस्तार में काम करना आदि। इस समिति की बैठकों में झांकियों के प्रस्तावों के रूपरेखा, तीन आयामी मॉडल और अंतिम रूप देखे जाते हैं, और इनमें से कुछ ही चुने जाते हैं।
इस बार, रक्षा मंत्रालय ने झांकियों के लिए एक थीम निर्धारित की है, जो है “गणतंत्र — लोकतंत्र की जननी”। इस थीम का उद्देश्य है कि वह भारत के गणतंत्र के 75 वर्षों के इतिहास, विकास और उपलब्धियों को दर्शाए। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि वह झांकियों को इसी थीम के अनुरूप होने पर ही स्वीकार करेगा, और इसके लिए वह झांकियों के प्रस्तावों में बदलाव करने का भी अधिकार रखता है।
इस निर्णय के विरोध में, दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल के राज्य सरकारों ने आवेदन किया है कि उनकी झांकियों को भी परेड में शामिल किया जाए। इन राज्यों के अनुसार, उनकी झांकियों में भी देश की संस्कृति, विरासत और विकास को प्रदर्शित किया गया है, और वे भी गणतंत्र के 75 वर्षों के साथ जुड़े हैं। इन राज्यों के नेताओं ने कहा है कि रक्षा मंत्रालय ने उनकी झांकियों को बिना किसी वजह या दलील के अस्वीकार कर दिया है, और यह एक राजनीतिक साजिश है।
आपको बता दे की इन राज्यों में से दो राज्यों की सरकारें आम आदमी पार्टी की हैं, जो केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की विपक्षी दल है। इन राज्यों ने कहा है कि रक्षा मंत्रालय ने उनकी झांकियों को राजनीतिक दुश्मनी के चलते नकार दिया है, और यह देश की फेडरल ढांचे को नुकसान पहुंचाता है।
इस विवाद के बारे में आगे की घटनाओं की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए, हम देख सकते हैं कि यह मुद्दा अभी भी अनिर्णित है।
रक्षा मंत्रालय ने अभी तक इन राज्यों की झांकियों का परेड में स्थान निश्चित नहीं किया है, और यह अभी भी इन राज्यों के आपत्तियों को विचार में ले रहा है। यदि रक्षा मंत्रालय ने इन राज्यों की झांकियों को अस्वीकार कर दिया, तो यह संभावना है कि इन राज्यों ने परेड का बहिष्कार कर दिया जायेगा, और वे अपने राज्यों में अलग से परेड कर रहे होंगे।
यह विवाद देश की एकता और अखंडता को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि गणतंत्र दिवस का पर्व देश के सभी भागों को एक साथ लाने का एक मौका है। इसके अलावा, यह विवाद देश की जनता को भी बांट सकता है, क्योंकि कुछ लोग रक्षा मंत्रालय का समर्थन करते हैं, जबकि कुछ लोग इन राज्यों का।
इस विवाद को हल करने के लिए, रक्षा मंत्रालय को इन राज्यों के साथ संवाद करने की आवश्यकता हो सकती है, और यह सुनिश्चित करने की कोशिश करनी चाहिए कि झांकियों का चयन एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से हो।
आगे की घटनाओं की संभावनाओं को देखते हुए, हमें उम्मीद है कि यह मुद्दा जल्द ही हल हो जाएगा, और Republic Dayका पर्व देश की एकता, विविधता और गौरव को दर्शाने का अवसर बनेगा।
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