भारतीय राजनीति में दल-बदल की घटनाएँ नई नहीं हैं, लेकिन हर बार ऐसी घटनाएँ नई चर्चा और विवाद का विषय बन जाती हैं। ऐसी ही एक घटना हाल ही में मध्य प्रदेश में घटित हुई जब कांग्रेस के छह बार विधायक रह चुके रामनिवास रावत ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया और मंत्री पद की शपथ ली। यह घटना कई सवाल खड़े करती है: रामनिवास रावत ने कांग्रेस क्यों छोड़ी? बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके राजनीतिक जीवन में क्या बदलाव आएंगे? और सबसे महत्वपूर्ण, इस दल-बदल का मध्य प्रदेश की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा? आइए, इस घटना का विस्तृत विश्लेषण करते हैं।-Ramniwas Rawat news update
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रामनिवास रावत, जो विजयपुर से छह बार विधायक रह चुके हैं, ने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है। 30 अप्रैल को लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने बीजेपी में शामिल होने की घोषणा की। हालांकि, इस घोषणा के बाद उन्होंने राज्य विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया।-Ramniwas Rawat news update
सोमवार को, मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने राजभवन में रामनिवास रावत को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। रावत के शामिल होने के बाद, मध्य प्रदेश कैबिनेट की ताकत 29 हो गई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 13 दिसंबर 2023 को पदभार संभालने के बाद 25 दिसंबर को 28 विधायकों को अपनी कैबिनेट में शामिल किया था।
रामनिवास रावत का बीजेपी में शामिल होना और मंत्री बनना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है। यह न केवल मध्य प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके असर देखने को मिल सकते हैं।
आपको बता दे कि रामनिवास रावत का कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होना और मंत्री बनना कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, यह घटना कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि रावत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे और छह बार विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस को इस घटना से राजनीतिक नुकसान हो सकता है और उनके समर्थकों में निराशा फैल सकती है।
दूसरी ओर, बीजेपी के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। रामनिवास रावत के शामिल होने से बीजेपी को विजयपुर में मजबूती मिलेगी और राज्य की राजनीति में उनकी पकड़ और मजबूत होगी। यह घटना मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व को भी समर्थन देती है, क्योंकि उन्होंने अपनी कैबिनेट में एक अनुभवी नेता को शामिल किया है।
हालाँकि इतिहास में दल-बदल की कई घटनाएँ मिलती हैं। उदाहरण के लिए, 2019 में कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) के विधायकों के दल-बदल ने राज्य की राजनीति को हिला कर रख दिया था। इस घटना ने बीजेपी को सत्ता में आने का अवसर दिया। इसी प्रकार, मध्य प्रदेश में 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने से कमलनाथ सरकार गिर गई थी और शिवराज सिंह चौहान की बीजेपी सरकार बनी।
वही राजनीति में दल-बदल की घटनाएँ नई नहीं हैं और भारतीय राजनीति में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं। 2019 में महाराष्ट्र में अजित पवार ने एनसीपी से बगावत कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की थी, हालांकि बाद में वे वापस एनसीपी में लौट आए।
उत्तर प्रदेश में भी ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जब विधायक और सांसद दल-बदल करते रहे हैं। 2017 के चुनावों से पहले कई नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा था, जिससे पार्टी को बड़ी जीत मिली।
दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी के कुछ विधायकों ने कांग्रेस और बीजेपी के प्रति अपनी निष्ठा जताई थी, जिससे दिल्ली की राजनीति में भी बड़े बदलाव देखने को मिले थे।
तो इस तरह हमने जाना कि रामनिवास रावत का बीजेपी में शामिल होना और मंत्री पद की शपथ लेना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना है। यह न केवल मध्य प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करेगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसके असर देखने को मिल सकते हैं। कांग्रेस को इस घटना से राजनीतिक नुकसान हो सकता है, जबकि बीजेपी के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।
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