डेरा प्रमुख Ram Rahim के फरलो या पैरोल को लेकर मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक अपने बयान में उसका सपोर्ट करते हुए नजर आए हैं. सवाल करने पर नियमों का हवाला देकर कन्नी काट लेते हैं। – Ram Rahim Honeypreet update
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डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को 2017 में अपनी दो शिष्याओं के साथ बलात्कार करने के जुर्म में 20 साल की सजा सुनाई गई थी। तब से, वह 10 बार पैरोल या फरलो पर जेल से बाहर आ चुका है। हाल ही में, 13 अगस्त को उसे 21 दिन की फरलो पर जेल से बाहर निकाला गया। – Ram Rahim Honeypreet update
इस बार फरलो की अवधि खत्म होने पर पूरे होंगे आठ महीने
अबकी बार मिले फरलो की अवधि समाप्त होने के बाद डेरा प्रमुख अपनी सजा के 255 दिन यानी आठ महीने से अधिक समय जेल से बाहर बिता चुका होगा। इन पैरोल और फरलो पर करीब से नजर डालने से पता चलता है कि हाल ही में कई लोगों को फरलो मिला है, जो हरियाणा और दूसरे राज्यों में चुनावों के साथ दिए गए हैं। गुरमीत राम रहीम को हाल ही में फरलो हरियाणा में 1 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों से कुछ हफ्ते पहले दिया गया है। – Ram Rahim Honeypreet update
पंजाब विधानसभा चुनावों के पूर्व मिला पैरोल
2022 में डेरा प्रमुख को तीन बार जेल से रिहा करके बाहर लाया गया। सबसे पहले फरवरी 2022 की शुरुआत में 21 दिन की राहत दी गई। यह राहत पंजाब विधानसभा चुनाव होने से कुछ हफ्त पहले दी गई। आम आदमी पार्टी (AAP) पंजाब में 92 सीटें जीतने में कामयाब रही, जबकि भाजपा को सिर्फ दो और कांग्रेस को 18 सीटें मिलीं। फिर जून में उसको 30 दिन की पैरोल मिली। अबकी बार जेल से बाहर उस समय किया गया, जब पंचायत चुनाव नजदीक थे। लेकिन, इस कदम से लोगों की भौहें तन गईं। हालांकि, अबकी बार उसको उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित उसके आश्रम तक ही सीमित रहने को कहा गया, लेकिन रोहतक जिले में राम रहीम के ऑनलाइन सत्संग (प्रवचन) ने हलचल मचा दी, जब भाजपा नेता और करनाल की पूर्व मेयर रेणु बाला गुप्ता को वर्चुअली उसका आशीर्वाद लेते देखा गया।
राजस्थान विधानसभा चुनावों के पूर्व मिला पैरोल
पिछले साल जुलाई में डेरा प्रमुख को 30 दिन की पैरोल मिली। इस समय राज्य के कुछ हिस्सों में पंचायत चुनाव होने थे। फिर नवंबर 2023 में 21 दिन के फरलो पर बाहर आया। यह तब हुआ जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने थे। राजस्थान में डेरा का काफी प्रभाव माना जाता है। इस साल जनवरी में, राजस्थान विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले, उसे 50 दिन की पैरोल पर रिहा किया गया।
क्या राम रहीम को मिला है राजनीतिक संरक्षण?
ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिनको कोर्ट ने सजा सुनाई है और उन्हें सजा जेल में काटनी है तो कैसे बार-बार उन दोषियों को पैरोल या फरलो मिल जाता है। ऐसे अपराधियों को किसका संरक्षण मिला है। क्या उन्हें चुनाव प्रभावित करने के लिए जेल से बाहर लाया जाता है? क्या सच में उनके पास इतना बड़ा वोट बैंक है जो पूरे राज्य में तो नहीं लेकिन उस निर्वाचन क्षेत्र के वोटरों को प्रभावित कर सकते हैं, जहां के वो रहने वाले हैं?
सिरसा में है डेरा का हेडक्वार्टर
हरियाणा के जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला जो रानिया विधानसभा सीट को बरकरार रखने के लिए विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. रानिया विधानसभा क्षेत्र सिरसा जिले का हिस्सा है. इसी जिले में डेरा सच्चा सौदा का हेडक्वार्टर है।
रिहाई पर रणजीत सिंह देते रहे हैं तर्क
जनवरी 2024 में जब राम रहीम को रिहा किया गया था, तब रणजीत सिंह ने कहा था कि जेल मैनुअल के मुताबिक, किसी भी कैदी को 70 दिन की पैरोल और 30 दिन की फरलो दी जाती है। फरलो एक बार दी जाती है, पैरोल दो बार मिल सकती है। यह कैदी की मर्जी पर निर्भर करता है। हरियाणा की जेलों में 23 से 24 हजार कैदी हैं और सभी पर एक ही नियम लागू होता है। सात साल की सजा काट चुके कैदी जिला मजिस्ट्रेट के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। जो सात साल से ज्यादा की सजा काट रहे हैं, उनका मामला डिवीजनल कमिश्नर के पास जाता है।
मनोहर लाल खट्टर भी करते रहे हैं तरफदारी
पिछले साल मनोहर लाल खट्टर से जब इस मुद्दे पर पूछा गया तो उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए कहा था कि अगर उन्हें पैरोल मिली है तो सभी प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद ही मिली होगी और यह उनका अधिकार है। सभी दोषी नियमों के अनुसार पैरोल के लिए आवेदन करते हैं। अगर नियम अनुमति देते हैं तो उन्हें पैरोल मिलती है, अगर नियम अनुमति नहीं देते हैं तो उन्हें पैरोल नहीं मिलती। राम रहीम के बेटे के ससुर हरमिंदर जस्सी तीन बार कांग्रेस से विधायक रहे हैं. वे इसी साल मई में केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए हैं। लेकिन डेरा प्रमुख और भाजपा के बीच संबंध परिवार से परे हैं और बहुत पुराने हैं।
2014 के लोकसभा चुनाव में डेरा ने खुलकर किया BJP का सपोर्ट
2014 में, डेरा ने हरियाणा में लोकसभा चुनावों में भाजपा का खुलकर समर्थन किया था। हालांकि पार्टी ने राज्य की 10 संसदीय सीटों में से सात पर जीत हासिल की, लेकिन वह सिरसा में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) से हार गई। उसी साल बाद में, डेरा ने विधानसभा चुनावों में फिर से भाजपा का समर्थन किया और कहा जाता है कि यह कहा जाता है कि डेरा सच्चा सौदा के सपोर्ट करने की वजह से 2014 में भाजपा की सीटें चार से बढ़कर 47 पर पहुंच गईं. हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं. 2014 के पूर्व भाजपा के पास महज चार विधायक थे. चुनावों के बाद, कई भाजपा नेता राम रहीम से मिलने के लिए उमड़ पड़े और सिरसा में डेरा मुख्यालय के बाहर उनकी गाड़ियों की कतार की तस्वीरें वायरल हो गईं।
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