Rakesh Tikait’s call for Bharat Bandh: A new turn in Indian politics? | AIRR News

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भारत के विशाल लोकतांत्रिक परिदृश्य में, चुनाव हमेशा राजनीतिक उथल-पुथल और रोमांचक मोड़ से भरे होते हैं। जैसे-जैसे 2024 का आम चुनाव अपने आखिरी चरणों में पहुंच रहा है, किसान कार्यकर्ता राकेश टिकैत ने मतदाताओं से आह्वान किया है कि वे मौजूदा भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल करने में सक्षम उम्मीदवारों को चुनें। क्या यह आह्वान भारतीय राजनीति के भविष्य को आकार देगा, या यह केवल एक चुनावी हवा है? आइये इसे विस्तार से समझते है। नमस्कार, आप AIRR न्यूज़ देख रहे हैं। –Rakesh Tikait political news

भारतीय किसान संघ (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के सदस्य राकेश टिकैत ने आगामी 1 जून को होने वाले भारत के आम चुनाव 2024 के अंतिम दो चरणों में मतदाताओं से भाजपा को सत्ता से हटाने में सक्षम उम्मीदवारों का समर्थन करने का आह्वान किया है। टिकैत ने आरोप लगाया है कि भाजपा पूंजीपतियों के वर्चस्व में है।-Rakesh Tikait political news

आपको बता दे कि 2024 के भारत के आम चुनाव 19 अप्रैल को शुरू हुए थे, और अब तक छह चरण पूरे हो चुके हैं। –Rakesh Tikait political news

एक सोशल मीडिया पोस्ट में, टिकैत ने कहा, “अब चुनाव के केवल एक चरण बाकी हैं। SKM स्पष्ट रूप से कहता है कि आपको वही उम्मीदवार चुनना चाहिए जो भाजपा को हरा सकता है। यह भाजपा का शासन नहीं है, बल्कि पूंजीपतियों के एक गिरोह की सरकार है। इस गिरोह ने देश पर कब्ज़ा कर लिया है और वह चुनाव लड़ रहा है। कोई भी उसका समर्थन नहीं कर रहा है।”

टिकैत ने मतदाताओं से भाजपा को हराने में सक्षम उम्मीदवारों का समर्थन करने का आह्वान करते हुए कहा, “यह भाजपा का शासन नहीं है, बल्कि पूंजीपतियों के एक गिरोह की सरकार है।” इस गिरोह ने देश पर कब्ज़ा कर लिया है और वह चुनाव लड़ रहा है। कोई भी उसका समर्थन नहीं कर रहा है।” उन्होंने भाजपा के ख़िलाफ़ रणनीतिक रूप से मतदान करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर NOTA (उपरोक्त में से कोई नहीं) विकल्प का उपयोग करने के ख़िलाफ़ भी चेतावनी दी, और दावा किया कि यह अप्रत्यक्ष रूप से सरकार का पक्ष लेता है।-Rakesh Tikait political news

उन्होंने कहा, “लेकिन NOTA दबाने से सीधे तौर पर सरकार को मदद मिलती है। NOTA दबाएँ नहीं, अपने उम्मीदवार को वोट दें, निराश न हों। यह लोगों का चुनाव है और लोग इस चुनाव को लड़ रहे हैं, चाहे नतीजा कुछ भी हो। हमें संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए।”

आगे उन्होंने कहा कि SKM, जो गैर-राजनीतिक बना हुआ है, भूमि अधिग्रहण, कृषि ऋण माफी, फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन समिति की सिफ़ारिशों को लागू करने, जनजातीय अधिकारों, वन संरक्षण, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे मुद्दों की वकालत करना जारी रखेगा।

उन्होंने मतदाताओं को शांत और धैर्यवान रहने की सलाह देते हुए कहा, “जिस तरह एक शांत समुद्र अपनी गहराई को नहीं दर्शाता है, उसी तरह लोगों को भी इस चुनाव को शांत तरीके से लड़ना चाहिए। शांति का मतलब यह नहीं है कि लोगों का गुस्सा खत्म हो गया है। धैर्यवान, आशान्वित रहें। लोग जीतेंगे।”

आपको बता दे कि राकेश टिकैत का आह्वान भारतीय किसानों और राजनीतिक परिदृश्य दोनों के लिए कई महत्वपूर्ण प्रवृत्तियों को उजागर करता है। 

किसानों का बढ़ता असंतोष

टिकैत का आह्वान भारतीय किसानों के बीच व्याप्त असंतोष को दर्शाता है। मौजूदा कृषि संकट, बढ़ती लागत और कम फसल की कीमतों ने किसानों की आजीविका को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। किसान सरकार से अपनी चिंताओं को दूर करने और खेती को एक व्यवहार्य पेशा बनाने के लिए कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।

सरकार के खिलाफ सार्वजनिक भावना 

किसानों का असंतोष सरकार के खिलाफ व्यापक सार्वजनिक भावना का संकेत है। कई भारतीय नागरिक महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। टिकैत का आह्वान उन लोगों की हताशा को व्यक्त करता है जो मौजूदा व्यवस्था से निराश हैं और बदलाव चाहते हैं।

राजनीतिक गतिशीलता में किसानों की भूमिका

भारतीय किसानों ने ऐतिहासिक रूप से राजनीतिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वे बड़े मतदाता समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं और किसान आंदोलनों ने अतीत में राजनीतिक बदलाव को उत्प्रेरित किया है। टिकैत का आह्वान किसानों की बढ़ती राजनीतिक शक्ति और चुनाव के नतीजे को प्रभावित करने की उनकी क्षमता को रेखांकित करता है।

चुनावी प्रतिस्पर्धा में तेज वृद्धि

टिकैत का आह्वान चुनावी प्रतिस्पर्धा में तेज वृद्धि की ओर इशारा करता है। विपक्षी दल भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए किसानों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे बहुकोणीय चुनाव हो सकते हैं, जिससे किसी एक दल के लिए बहुमत हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।

गैर-पारंपरिक राजनीतिक नेताओं का उदय

टिकैत जैसे गैर-पारंपरिक राजनीतिक नेताओं का उदय एक अन्य महत्वपूर्ण प्रवृत्ति है। ये नेता स्थापित राजनीतिक दलों से बाहर से आते हैं और अक्सर विशिष्ट मुद्दों या सामाजिक आंदोलनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनके संदेश आम जनता से जुड़ते हैं और वे राजनीतिक परिदृश्य को हिला सकते हैं।

तो इस तरह हमने जाना कि राकेश टिकैत का आह्वान भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह किसानों के बढ़ते असंतोष, सरकार के खिलाफ सार्वजनिक भावना, राजनीतिक गतिशीलता में किसानों की बढ़ती भूमिका, चुनावी प्रतिस्पर्धा में वृद्धि और गैर-पारंपरिक राजनीतिक नेताओं के उदय की प्रवृत्तियों को उजागर करता है। चुनाव का नतीजा अभी भी अनिश्चित है, लेकिन टिकैत का आह्वान संभावित रूप से भारतीय राजनीतिक परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। आज के लिए इतना ही जुड़े रहिये हमारे साथ।  नमस्कार आप देख रहे थे AIRR न्यूज़। 

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