RAJASTHAN ANALYSIS: Rajasthan’s Political Battle: Marudhara’s Mahabharata Winner.
RAJASTHAN ANALYSIS: राजस्थान का सियासी संग्राम: मरुधरा महाभारत विजेता.
राजस्थान के सियासी रण का सरताज कौन होगा.. और मरुधरा की महाभारत का विजेता कौन होगा ये बड़ा सवाल है.. इस बार विधानसभा चुनाव में 199 सीटों पर 75.45 फीसदी वोटिंग हुई.. इस बार का चुनाव कई मायनों में बेहद खास हुआ है..
राजस्थान में हुई बंपर वोटिंग किस के लिए फायदेमंद साबित होगी और किसके लिए नुकसानदायक. इसका पता तो 3 दिसंबर को चलेगा.. लेकिन अगर हम पिछले चुनाव परिमाणों पर नजर डालें तो बीजेपी और कांग्रेस को मिले मतों में बेहद कम अंतर रहा था… साल 2018 के चुनावों में कुल प्रतिशत 74.71 फीसदी मतदान हुआ था… उसमें कांग्रेस को 39.82 फीसदी मत मिले थे और बीजेपी को 39.28 प्रतिशत वोटर्स का साथ मिला था… कुल मिलाकर महज 0.54 फीसदी के अंतर से बीजेपी चुनाव में पिछड़ गई थी और कांग्रेस सत्ता पर काबिज हो गई थी…
इस बार वोटिंग प्रतिशत बीते चुनाव के मुकाबले 0.74 फीसदी ज्यादा हुआ है… इस मतदान को लेकर कांग्रेस और बीजेपी का दावा है कि वो उनके खाते में गया है.. इसी दावे के आधार पर कांग्रेस जहां सरकार रिपीट होने का दावा कर रही है, वहीं बीजेपी इसे गहलोत सरकार के खिलाफ गया मत बताकर अपनी जीत का दावा कर रही है… RAJASTHAN ANALYSIS: इस बार के चुनाव परिणामों में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. कि पिछली बार भी जैसलमेर जिले की पोकरण विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 87.65 फीसदी मतदान हुआ था और इस बार भी वो 87.79 प्रतिशत मतदान के साथ पहले नंबर पर है.. इसी तरह पिछली बार भी पाली जिले का मारवाड़ जंक्शन 60.42 फीसदी मतदान के साथ राजस्थान में वोटिंग के लिहाज से सबसे कमजोर साबित हुआ था.. और इस बार भी 61.29 फीसदी मतदान के साथ अंतिम पायदान पर है…
ये और बात है कि यहां पिछली बार के मुकाबले मामूली सा वोट बढ़ा है लेकिन वो फिर भी आखिरी नबंर पर रहा है. इससे चुनाव आयोग और राजनीतिक विश्लेषक दोनों हैरान हैं. … पूरे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जिस बात का सबसे ज्यादा डर सता रहा था, वो जी फैक्टर यानी गुर्जरों की नाराजगी का था… पूर्वी राजस्थान में गुर्जर वोटरों का प्रभाव था कि पिछली बार कांग्रेस, निर्दलीय और बसपा ने मिलाकर 39 में से 35 सीटों पर जीत दर्ज की थी.. बीजेपी सिर्फ 4 सीटों पर सिमट गई थी.. वजह थी सचिन पायलट, जिनके प्रभाव से गुर्जर वोटरों ने अपनी जाति के प्रत्याशी को भी छोड़कर कांग्रेस के पक्ष में वोट किया था.. जिसके चलते बीजेपी के सभी 9 गुर्जर प्रत्याशी चुनाव हार गए थे.. लेकिन इस बार पूर्वी राजस्थान में वोटिंग पैटर्न बदला है..
कई सीटों पर वोटिंग पिछली बार से कम हुई है तो कई सीटों पर बढ़ी है.. जिन सीटों पर बढ़ी है वहां गुर्जर प्रत्याशी हैं.. ये संकेत हैं कि गुर्जर वोटरों का रुझान इस बार सिर्फ जाति की तरफ रहा है… इस बार 2023 का विधानसभा चुनाव बड़ा ही दिलचस्प और रोचक था. कांग्रेस ने सीधे अशोक गहलोत का चेहरा सामने था लेकिन बीजेपी ने किसी चेहरे को सामने नहीं किया. बीजेपी ने केवल कमल के निशान को आगे किया गया. इस चुनाव में कुछ चीजें एकदम क्लियर हैं. अब 3 दिसंबर को इंतजार है कि राजस्थान में ऊंट किस करवट बैठता है..
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