असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच की तकरार असम की राजनीति में एक नया मोड़ लाने वाली है। दोनों नेताओं ने अपने-अपने राजनीतिक यात्राओं के दौरान एक-दूसरे पर तीखे हमले किए हैं, और असम के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की है। राहुल गांधी ने अपनी ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के तहत असम के विभिन्न जिलों में जनसभाएं करते हुए सरकार को भ्रष्टाचार, अर्थव्यवस्था, रोजगार, किसानों की समस्याओं, और नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दों पर घेरा है। उन्होंने सरमा को ‘देश का सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री’ कहा है, और उन्हें अपने बच्चे से भी डरने का आरोप लगाया है। हिमंत बिस्वा सरमा ने भी राहुल गांधी को पलटवार में आरोपों की बौछार की है, और उन्हें ‘असम के लिए खतरा’ बताया है। उन्होंने राहुल गांधी को असम के प्रतिष्ठित संत श्रीमंत संकरदेव के जन्मस्थान बाटद्रवा का दौरा करने से रोकने का भी आग्रह किया है, क्योंकि उनके अनुसार इससे राम मंदिर और बाटद्रवा सत्र के बीच ‘अनावश्यक प्रतिस्पर्धा’ पैदा होगी, जो असम के लिए अच्छा नहीं होगा।-Rahul Gandhi vs Himanta Biswa Sarma
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राहुल गांधी और हिमंत बिस्वा सरमा के बीच की जुबानी जंग तब शुरु हुई, जब राहुल गांधी ने 19 जनवरी को असम के राजगढ़-होल्लोंगी सीमा पर अपनी यात्रा का आगाज किया। उन्होंने वहां की जनता से कहा कि वे भाजपा के ‘झूठी वादे’ को नहीं मानें, और उन्हें असम को बचाने के लिए कांग्रेस का साथ दें। उन्होंने सरकार को असम के लोगों की आवाज को दबाने, उनके संस्कृति को नष्ट करने, और उनके अधिकारों को छीनने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने असम को अपना गुलाम बनाने की कोशिश की है, और उन्हें अपने विकास के नाम पर लूटा है।-Rahul Gandhi vs Himanta Biswa Sarma
आपको बता दे की राहुल गांधी के इस भाषण का जवाब देते हुए, हिमंत बिस्वा सरमा ने उन्हें ‘असम के लिए खतरा’ कहा, और उन्हें असम के बारे में कुछ भी नहीं पता होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने असम के इतिहास, संस्कृति, और धर्म का अपमान किया है, और उन्हें असम के लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने राहुल गांधी को अपने बच्चे से भी डरने का आरोप लगाया, और कहा कि वे अपने बच्चे को असम के लिए एक अच्छा नेता बनाने की कोशिश कर रहे हैं।-Rahul Gandhi vs Himanta Biswa Sarma
ऐसे में राहुल गांधी और हिमंत बिस्वा सरमा के बीच की तकरार ने असम की राजनीति में एक नया रुख बनाया है, जिसमें दोनों पक्ष अपने आगे आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी ने अपनी यात्रा के जरिए कांग्रेस के विकल्प को प्रचारित करने का प्रयास किया है, जबकि हिमंत बिस्वा सरमा ने भाजपा की नीतियों और कार्यों का बखान किया है। दोनों नेताओं ने असम के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक मुद्दों का इस्तेमाल किया है, जिससे असम की जनता में विभाजन और अशांति का खतरा बढ़ा है।
राहुल गांधी और हिमंत बिस्वा सरमा के बीच की इस जुबानी जंग ने असम की राजनीति को एक नए मोड़ पे ले आया है, जिसमें दोनों पक्ष अपने आप को असम के लिए सबसे बेहतर विकल्प बताने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें असम के लोगों का हित और भलाई कहीं खो रही है, और उन्हें अपने विचार और मत को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने का अवसर नहीं मिल रहा है। असम के लिए जरूरी है कि वहां की राजनीति में शांति, सद्भाव, और समानता का माहौल बनाया जाए, और असम के लोगों को अपने अधिकारों और आवाज का सम्मान किया जाए।
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