वायनाड नहीं रायबरेली छोड़ेंगे राहुल गांधी, कांग्रेस के लिए कितना अहम ये फैसला ? -rahul gandhi political news

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रायबरेली सीट छोड़ेंगे राहुल गांधी-rahul gandhi political news

वायरनाड नहीं छोड़ने पर बनेगी सहमति 

सोनिया गांधी ने राहुल गांधी को समझाया

यूपी से अपना होल्ड नहीं छोड़ना चाहती कांग्रेस

दक्षिण के साथ ही उत्तर पर भी कांग्रेस चाहत है होल्ड

रायबरेली छोड़ने पर यूपी में गलत मैसेज जाएगा

प्रियंका दोबारा UP प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल सकती हैं 

लोकसभा चुनाव के नजीते इस बार कांग्रेस के लिए काफी खुश करने वाले है.. 2019 की तुलना में कांग्रेस इस बार दोगुनी सीट जीती है.. यूपी ने जहां बीजेपी को नुकसान पहुंचाया तो वहीं कांग्रेस के लिए संजीवनी से कम नहीं रहा.. राहुल गांधी ने इस चुनाव में काफी मेहनत की थी.. और इसी का नजीता है कि कांग्रेस की सीटें बढ़ीं.. हालांकि अब राहुल गांधी के सामने एक दुविधा की स्थिति बनी हुई है.. आज के वीडियो में हम इसी दुविधा की बात करेंगे.. नमस्कार आप देख रहे हैं AIRR NEWS… -rahul gandhi political news

दरअसल राहुल गांधी ने केरल की वायनाड और यूपी की रायबरेली सीट से बंपर जीत हासिल की है..  इस जीत ने राहुल गांधी को सुकून जरूर दिया है लेकिन अब राहुल के सामने परेशानी ये है कि दोनों में एक सीट उन्हें छोड़नी होगी…  अब ऐसे में वो कौन सी सीट होगी जिसे राहुल छोड़ेगे इस पर चर्चा है.. तो खबर ये आ रही है कि राहुल गांधी वायनाड सीट छोड़ सकते हैं..लगभग तय हो गया है कि राहुल गांधी मां सोनिया की सीट रायबरेली अपने पास रखेंगे.. वो वायनाड छोड़ सकते हैं.. 5 जून को हुई कांग्रेस की पहली बैठक और परिवार के साथ रायशुमारी के बाद उन्होंने ये फैसला किया.. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, राहुल दोनों सीटों में से कौन सी सीट चुनें, उनके इस कन्फ्यूजन को सोनिया गांधी ने दूर किया..-rahul gandhi political news

सोनिया ने राहुल को समझाया कि UP कांग्रेस के लिए बेहद जरूरी है.. इसलिए उन्हें रायबरेली अपने पास रखना चाहिए.. यह भी कहा जा रहा है कि प्रियंका दोबारा UP प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल सकती हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में हार के बाद उन्होंने इस पद को छोड़ दिया था.. वहीं राहुल के सीट छोड़ने पर प्रियंका वायनाड से उपचुनाव लड़ सकती हैं.. गांधी परिवार इसके जरिए उत्तर के साथ दक्षिण में पकड़ मजबूत रखना चाहता है..बताया जा रहा है कि राहुल के रायबरेली में बने रहने की सहमति के पीछे मां सोनिया की वो भावुक अपील भी है, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘आपको बेटा सौंप रही हूं।’

राहुल ने भी रिजल्ट के दिन पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका संकेत दिया था, उन्होंने UP को स्पेशल थैंक्यू बोला था.. बताया जा रहा है कि राहुल गांधी को परिवार ने समझाया है कि रायबरेली क्यों जरूरी सीट है.. पार्टी के एक सीनियर लीडर ने बताया कि मां सोनिया, बहन प्रियंका और जीजा रॉबर्ट वाड्रा से बातचीत करके रायबरेली नहीं छोड़ने पर सहमत हो गए हैं.. परिवार ने समझाया कि रायबरेली की जीत इस लिहाज से भी बड़ी है कि परिवार ने अमेठी की खोई सीट भी हासिल कर ली.. रायबरेली में राहुल को वायनाड से बड़ी जीत मिली.. ऐसे में रायबरेली छोड़ेंगे तो UP में गलत मैसेज जाएगा..यहीं नहीं, गांधी परिवार के मुखिया ने हमेशा UP से ही राजनीति की.. पिता राजीव गांधी अमेठी और परदादा जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद से चुनाव लड़ते रहे हैं.. रायबरेली सीट उनकी मां,

दादी इंदिरा और दादा फिरोज गांधी की सीट है.. इसी परंपरा को निभाने की बात परिवार ने राहुल गांधी को कही है.. हालांकि प्रियंका गांधी का जो खेमा है वो ये चाहता है कि राहुल गांधी वायनाड नहीं छोड़ें….सूत्र बताते हैं कि प्रियंका गांधी के खेमे के कुछ लोग पहले की तरह चाहते थे कि राहुल वायनाड में ही रहें और प्रियंका रायबरेली से उपचुनाव लड़ें.. दरअसल, नामांकन से ठीक एक दिन पहले ही गांधी परिवार ने फैसला लिया था कि राहुल रायबरेली से लड़ेंगे..

ये फैसला आखिरी वक्त में इसलिए हुआ कि प्रियंका और रॉबर्ट दोनों चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी के सीनियर नेताओं ने प्रियंका को समझाया कि परिवारवाद के आरोप से कांग्रेस कमजोर होगी.. पूरे परिवार को चुनाव में उतरने की बजाय राहुल को ब्रांड बनाना जरूरी है..  अब आपको सिलसिलेवार तरीके से हम बताते हैं कि वो क्या वजह हैं जिनकी वजह से राहुल गांधी रायबरेली नहीं छोड़ेंगे.. इसके लिए सोनिया गांधी की अपील और रिकॉर्ड मतों से जीत जिम्मेदार है..

17 मई को सोनिया गांधी इस लोकसभा चुनाव की पहली रैली में रायबरेली पहुंची थीं। उन्होंने मंच से कहा- ‘मैं आपको बेटा सौंप रही हूं। जैसे मुझे माना, वैसे ही मानकर रखना। राहुल आपको निराश नहीं करेंगे। राहुल ने 3.90 लाख वोटों से जीत दर्ज की, जबकि 2019 में सोनिया गांधी ने 1.67 लाख वोटों से जीत दर्ज की थी.. ये एक बड़ी वजह है कि राहुल गांधी रायबरेली की जनता को नहीं छोड़ेंगे नहीं तो गलत मैसेज जाएगा.. वहीं एक वजह ये है कि केंद्र में कांग्रेस को अगर आना है तो UP में मजबूत पैठ जरूरी है…कांग्रेस को UP में इस बार 9.4 फीसदी वोट मिले.. ये कांग्रेस के लिए संजीवनी की तरह है.. 2019 में 6.36% वोट शेयर और एक सीट ही मिली थी.. 2022 UP विधानसभा चुनाव में 2.33% वोट और दो सीटें मिली थीं…

वहीं एक वजह ये है कि दक्षिण के बाद हिंदी पट्‌टी को भी कांग्रेस मजबूत करना चाहती है… राहुल ने 2019 में पहली बार अमेठी के साथ वायनाड से चुनाव लड़ा पर अमेठी हार गए.. वायनाड से जीतकर संसद पहुंचे। राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत भी कन्याकुमारी से की थी, इसके बाद कांग्रेस लगातार दक्षिण में मजबूत हुई। खासकर केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में। कर्नाटक में कांग्रेस ने सरकार भी बना ली.. इस चुनाव में केरल में कांग्रेस को 20 में से 14 सीटें, तमिलनाडु में 9 और कर्नाटक में 9 सीटें मिलीं। अब राहुल गांधी नॉर्थ इंडिया खासकर हिंदी पट्‌टी को मजबूत करने पर फोकस करना चाहते हैं। यही वजह है कि दूसरी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उन्होंने जो रूट चुना उसमें ज्यादातर समय इसी इलाके को दिया.. यूपी के बाद कांग्रेस का राजस्थान में भी अच्छा प्रदर्शन रहा..

अब दोनों भाई-बहन यूपी में अपनी एक्टिविटी और बढ़ा सकते हैं। अमेठी में किशोरी लाल के साथ 4 अन्य सीट जीतने पर उनका कॉन्फिडेंस भी काफी बढ़ा है। दोनों की बॉडी लैंग्वेज भी बदल चुकी है। इसके अलावा उन्हें यह भी पता है कि अगर वे यूपी छोड़ देंगे, तो अखिलेश का उन्हें हमेशा सहारा लेना पड़ेगा और कांग्रेस कभी अपने दम पर यूपी में खड़ी नहीं हो पाएगी..तो यही वो वजहें हैं जिससे राहुल गांधी रायबरेली सीट नहीं छोड़ेंगे.. इसी तरह की सियासी खबरों के लिए आप जुड़े रहिए AIRR NEWS के साथ…

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