भारतीय राजनीति में धर्म और राजनीति का मिश्रण हमेशा से ही एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। हाल ही में कांग्रेस के सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में भगवान Shiva, गुरु नानक और यीशु मसीह के चित्र दिखाए और यह बताया कि विपक्ष उनके द्वारा सिखाए गए मूल्यों का पालन करता है। इस घटना ने संसद में काफी हलचल मचाई और स्पीकर ओम बिरला ने इसे नियमों का उल्लंघन बताया। इस घटना को समझने और इसके विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए आइए, इस घटनाकर्म को समझते है। नमस्कार, आप देख रहे हैं AIRR न्यूज़। –rahul gandhi Parliament news
राहुल गांधी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान अपने भाषण की शुरुआत भगवान Shiva के चित्र से की। उन्होंने कहा, “मैं हमारे रक्षक, भगवान Shiva की छवि दिखाकर शुरुआत करना चाहता हूँ। हमारे सभी महान पुरुषों ने अहिंसा और भय को समाप्त करने के बारे में बात की है। लेकिन, जो खुद को हिंदू कहते हैं यानि भाजपा, वे केवल हिंसा, घृणा और असत्य के बारे में बात करते हैं। आप हिंदू हो ही नहीं।”
राहुल गांधी ने कहा कि उनके द्वारा दिखाए गए चित्र का उद्देश्य यह था कि विपक्ष और पूरा देश उनके आदर्शों में विश्वास करता है। उन्होंने आगे कहा कि “इस छवि का उद्देश्य हमारे डर का सामना करना है, जो आप मुझे दिखाने नहीं दे रहे हैं।”
गुरु नानक और यीशु मसीह के चित्र दिखाते हुए उन्होंने बताया कि सभी धर्म साहस और निडरता की बात करते हैं। उन्होंने कहा, “सभी धर्म, चाहे वह इस्लाम हो, ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म या सिख धर्म, निडरता और साहस पर जोर देते हैं।”-rahul gandhi Parliament news
स्पीकर ओम बिरला ने राहुल गांधी के इस कृत्य पर आपत्ति जताई और कहा कि संसद के नियमों के अनुसार किसी भी प्रकार के पोस्टर या प्रतीक दिखाना नियमों का उल्लंघन है। स्पीकर ने उन्हें नियमों का पालन करने की सलाह दी और कहा कि “आपने एक सवाल पूछा, आपके सहयोगियों ने विपक्ष से नियम 353, 352 का हवाला दिया, जो सदन के अंदर किसी भी प्रकार के पोस्टर या प्रतीक के प्रदर्शन के खिलाफ है। आपके नेताओं ने आग्रह किया कि सदन इन नियमों पर चले।”
राहुल गांधी ने अपने भाषण में आगे भाजपा पर भारतीय संविधान और भारत की मौलिक धारणा पर व्यवस्थित हमले करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि “लाखों लोग उन विचारों का विरोध कर रहे हैं जो सत्ताधारी पार्टी द्वारा प्रस्तावित किए गए हैं।”
आपको बता दे कि राहुल गांधी का लोकसभा में धार्मिक चित्र दिखाना एक महत्वपूर्ण घटना है जिसने संसद में भारी विवाद को जन्म दिया। भारतीय संसद में धार्मिक प्रतीकों का उपयोग संवेदनशील मुद्दा है और इससे विभिन्न पक्षों की तीव्र प्रतिक्रियाएं होती हैं। यह कृत्य विपक्ष के धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को उजागर करने का प्रयास था, लेकिन इसे संसद के नियमों के उल्लंघन के रूप में देखा गया।-rahul gandhi Parliament news
बाकि भारतीय संसद के नियम और प्रक्रियाएं स्पष्ट रूप से कहती हैं कि किसी भी प्रकार के पोस्टर, बैनर या प्रतीकों का प्रदर्शन नहीं किया जा सकता। यह नियम सदन की गरिमा बनाए रखने और बहस को संरचनात्मक बनाने के लिए बनाए गए हैं। स्पीकर ओम बिरला का इस पर आपत्ति जताना उचित था क्योंकि नियमों का पालन करना सभी सांसदों के लिए अनिवार्य है।
ऐसे में भारत, जो एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहाँ धर्म और राजनीति को अलग रखा जाना चाहिए। हालांकि, भारतीय राजनीति में धर्म का हमेशा से महत्वपूर्ण स्थान रहा है। राहुल गांधी का धार्मिक प्रतीकों का उपयोग करके अपने राजनीतिक विचार प्रस्तुत करना एक साहसी कदम था, लेकिन यह भी ध्यान देने योग्य है कि इससे संसद की कार्यवाही में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
तो इस तरह राहुल गांधी द्वारा लोकसभा में धार्मिक चित्र दिखाने की घटना भारतीय राजनीति में धर्म और राजनीति के मिश्रण की संवेदनशीलता को उजागर करती है। यह घटना संसद के नियमों के उल्लंघन के रूप में देखी गई और इससे संबंधित बहस ने इसे और भी जटिल बना दिया। भारतीय लोकतंत्र में ऐसे मुद्दों पर विचार-विमर्श और बहस आवश्यक है ताकि एक सशक्त और न्यायपूर्ण समाज का निर्माण हो सके।-rahul gandhi Parliament news
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